कुत्तों में केनेल खांसी क्या है?

केनेल खांसी या कैनाइन खांसी श्वसन प्रणाली में होने वाला एक संक्रमण है, जो किसी बैक्टीरिया या वायरस के कारण होता है। यह कुत्ते के फेफड़ों, श्वास नली और वॉइस बॉक्स (कंठनली) को नुकसान पहुंचाता है। इस बीमारी को कैनाइन इन्फेक्शियस ट्रेकियोब्रोंकाइटिस (Canine Infectious Tracheobronchitis) के नाम से भी जाना जाता है।

हालांकि ज्यादातर मामलों में केनेल खांसी कोई हानिकारक स्थिति नहीं होती है और इससे ग्रस्त ज्यादातर कुत्ते बिना किसी इलाज प्रक्रिया के ठीक हो जाते हैं।

  1. कुत्तों में केनेल खांसी के लक्षण - Kutte me kennel khansi ke lakshan
  2. कुत्तों में केनेल खांसी का कारण - Kutte me kennel khansi ke karan
  3. कुत्तों में केनेल खांसी कैसे फैलती है - kennel khansi kaise failti hai
  4. कुत्तों में केनेल खांसी का परीक्षण - Kutte me kennel khansi ke parikshan
  5. कुत्तों में केनेल खांसी के लिए उपचार - Kutte me kennel khansi ka upchar
  6. कुत्तों में केनेल खांसी से बचाव - Kutte me kennel khansi se bachav

केनेल खांसी के संकेत क्या हो सकते हैं?

इसका सबसे मुख्य लक्षण खांसी ही होता है, लेकिन कुछ मामलों में इसके साथ निम्न लक्षण भी विकसित हो सकते हैं:

  • लगातार सूखी खांसी होना
    इस स्थिति में खांसी लगातार या बार-बार हो सकती है, जिसकी वजह से आपका कुत्ता बैचेन हो सकता है। कुछ मामलों में थोड़ी-थोड़ी देर में गंभीर खांसी हो सकती है, जबकि कुछ कुत्तों में यह समस्या दिनभर प्रभावित कर सकती है।
     
  • गले में घुटन होना
    जब ऐसा महसूस हो कि प्रभावित कुत्ते के खांसने के दौरान उसके गले में कुछ अटक गया है, तो यह केनेल खांसी का संकेत हो सकता है। अक्सर ऐसा तब होता है जब श्वासनली में सूजन आ जाती है।
     
  • उल्टी छींक:
    इसे रिवर्स स्नीज कहते हैं। इसके लक्षण असामान्य रूप से खांसी होने, छींक आने या गले में घुटन होने आदि से मेल खा सकते हैं। यह श्वसन संबंधी समस्या कुत्तों में काफी आम है, हालांकि बिल्लियों में शायद ही कभी देखा जाता है।
     
  • नाक बहना
    कुत्ते की नाक से धुंधले व सफेद रंग का तरल पदार्थ निकलना, जो सेकिंडरी इन्फेक्शन का संकेत देता है।
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कुत्तों में केनेल खांसी की वजह क्या हो सकती है?

केनेल खांसी का सबसे सामान्य कारण एक बैक्टीरिया है, जिसे बोर्डेटेला ब्रोंकिसेप्टिका कहा जाता है और इसीलिए ही केनेल खांसी को मेडिकल भाषा में बोर्डेटेला के नाम से जाना जाता है।

यदि इस बीमारी के पीछे का कारण बोर्डेटेला ब्रोन्किसेप्टिका बैक्टीरिया है, तो इसके लक्षण केवल 10 दिनों तक रहेंगे और फिर ये लक्षण अपने आप ही खत्म हो जाएंगे। हालांकि, इस दौरान आपका कुत्ता अगले 6-14 सप्ताह तक बीमारी को फैला सकता है।

ज्यादातर मामलों में केनेल कफ कुत्तों में बोर्डेटेला बैक्टीरिया व अन्य संक्रामक वायरसों से एक साथ संक्रमिंत होने के कारण होती है, जैसे कैनाइन इंफ्लुएंजा और कैनाइन डिस्टेंपर वायरस। ये वायरस न केवल कुत्ते की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करती है, बल्कि वे श्वसन तंत्र की कोशिकाओं को भी प्रभावित करते हैं, जिससे श्वास नली और स्वरयंत्र जैसे भागों को भी नुकसान पहुंचता है।

कुत्तों में केनेल खांसी का संक्रमण कैसे फैलता है? 

केनेल खांसी फैलने के निम्न कारण हो सकते हैं:

  • हवा के माध्यम से
    जब एक संक्रमित कुत्ता खांसता, छींकता या भौंकता है, तो इस दौरान उसके मुंह व नाक से हवा में हजारों सूक्ष्म बैक्टीरिया फैल जाते हैं। ये बैक्टीरिया दो सप्ताह हवा में जीवित रह सकते हैं। जब इस दूषित हवा के संपर्क में कोई कुत्ता आता है तो वो भी इस समस्या का शिकार हो जाता है।
  • दूषित वस्तुओं के माध्यम से
    यदि कोई स्वस्थ कुत्ता किसी संक्रमित कुत्ते के बर्तन में खाता है, उसके खिलौने से खेलता है या उसके बिस्तर आदि का उपयोग करता है, तो वह इस बैक्टीरिया के संपर्क में आ सकता है।
     
  • सीधे संपर्क के जरिए
    जब आपका कुत्ता किसी संक्रमित कुत्ते की नाक को छूता है या सूंघता है तो ऐसे में केनेल खांसी के बैक्टीरिया फैल सकते है। इसके अलावा केनेल खांसी से संक्रमित कुत्ते के आसपास की  हवा में सांस लेने से भी संक्रमण हो सकता है।

कुत्तों में केनेल खांसी का निदान कैसे किया जा सकता है?

केनेल खांसी का निदान रोग की स्थिति पर निर्भर करता है। पशु चिकित्सक ब्लड केमिस्ट्री टेस्ट या ब्लड टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा पशु चिकित्सक बैक्टीरिया की पहचान करने के लिए कुत्ते के यूरिन टेस्ट या मल की जांच भी कर सकते हैं। किसी अन्य प्रकार की समस्या का पता लगाने के लिए एक्स-रे भी किया जा सकता है।

कुत्तों में केनेल खांसी का इलाज कैसे किया जा सकता है?

केनेल खांसी से ग्रस्त अधिकांश कुत्ते तीन सप्ताह के अंदर पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, हालांकि कई बार इलाज बीमारी की स्थिति पर भी निर्भर करता है और हो सकता है कि ठीक होने में छह सप्ताह तक का समय लग जाए।

यदि केनेल खांसी गंभीर नहीं है तो ऐसे मामलों में यह स्थिति अपने आप ठीक हो सकती है, लेकिन बेहतर रहेगा कि आप पशु चिकित्सक से सलाह लेकर संक्रमण को रोकने के लिए कुछ एंटीबायोटिक्स व साथ ही खांसी की दवा ले लें। इन दवाओं की मदद से केनेल कफ के लक्षणों को कम किया जा सकता है।

कुछ गंभीर मामलों में इलाज के दौरान कुत्तों एंटीबायोटिक और खांसी की दवाओं के साथ-साथ सांस लेने में मदद करने वाली दवाएं भी दी जा सकती हैं।

आमतौर पर, कुत्तों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला पट्टा (कॉलर) श्वास नली पर दबाव डालता है, जिसकी वजह से खांसी की समस्या हो सकती है। यदि मुमकिन हो तो, अपने रोगग्रस्त कुत्ते को वॉक पर ले जाने के लिए कॉलर की जगह एक हार्नेस का उपयोग करना चाहिए। हार्नेस शरीर पर पहनाया जाने वाला उपकरण है जिससे कुत्ते की गर्दन पर दबाव नहीं पड़ता है।

यदि केनेल कफ की समस्या ठीक नहीं होती है तो संक्रमण की वजह से कुत्ते को निमोनिया हो सकता है। इसलिए अपने कुत्ते को नियमित रूप से पशु चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए।

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कुत्तों में केनेल खांसी से रोकथाम कैसे की जा सकती है?

रोग होने से बचाव रखना रोगग्रस्त होने के बाद उसका इलाज करने से कई गुना बेहतर है। इसलिए  समय पर उचित टीके लगवाना बहुत जरूरी है।आमतौर पर इस बीमारी में बोर्डेटेला ब्रोंकिसेप्टिका टीके का इस्तेमाल किया जाता है, जो कि आपके कुत्ते को बोर्डेटेला बैक्टीरिया से जुड़ी बीमारी से बचाने के लिए होता है।

बोर्डेटेला वैक्सीन के अलावा एक इंट्रानेजल वैक्सीन भी उपलब्ध है। इस वैक्सीन की मदद से कुत्ते के शरीर में एंंटीबॉडीज बनने लगते हैं, जो शरीर में रोगाणुओं के घुसने से पहले ही उनके खिलाफ प्रतिक्रिया करने के लिए तैयार हो जाते हैं। हालांकि यह टीका हर कुत्ते के लिए अनिवार्य नहीं है, पशु चिकित्सक यह निर्णय लेते हैं कि आपके कुत्ते को इस टीके की आवश्यकता है या नहीं।

हालांकि केनेल खांसी के अधिकांश मामले बिना उपचार के भी ठीक हो सकते हैं, लेकिन उचित दवाओं के सेवन से संक्रमण के लक्षणों को जल्दी ठीक किया जा सकता है। इन दवाओं में एंटीबायोटिक दवाएं शामिल हैं, जो बोर्डेटेला बैक्टीरिया और खांसी की समस्या को नियंत्रित करने में सक्षम है।

यदि आपको लगता है कि आपका कुत्ता इस बीमारी से ग्रस्त है, तो उसे अन्य जानवरों के संपर्क में न आने दें।

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