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Vyas Neem Tail बिना डॉक्टर के पर्चे द्वारा मिलने वाली आयुर्वेदिक दवा है, जो मुख्यतः स्किन एलर्जी, एक्जिमा, सोरायसिस, मुंहासे, खुजली के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। Vyas Neem Tail के मुख्य घटक हैं नीम जिनकी प्रकृति और गुणों के बारे में नीचे बताया गया है। Vyas Neem Tail की उचित खुराक मरीज की उम्र, लिंग और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली समस्याओं पर निर्भर करती है। यह जानकारी विस्तार से खुराक वाले भाग में दी गई है।
नीम |
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Vyas Neem Tail 100ml इन बिमारियों के इलाज में काम आती है -
मुख्य लाभ
चिकित्सा साहित्य में Vyas Neem Tail के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। हालांकि, Vyas Neem Tail का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें।
क्या Vyas Neem Tail 100ml का उपयोग गर्भवती महिला के लिए ठीक है?
गर्भवती महिलाओं पर Vyas Neem Tail का असर क्या होगा इस बारे में कोई रिसर्च नहीं की गई है। इसलिए इसकी सही जानकारी मौजूद नही है।
क्या Vyas Neem Tail 100ml का उपयोग स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए ठीक है?
स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए Vyas Neem Tail सही और सुरक्षित है।
क्या Vyas Neem Tail 100ml का उपयोग बच्चों के लिए ठीक है?
Vyas Neem Tail बच्चों के लिए सुरक्षित है इस बारे में कोई शोध न होने की वजह से ये कहना मुश्किल है कि Vyas Neem Tail बच्चों के लिए सुरक्षित है या नहीं।
क्या Vyas Neem Tail 100ml का उपयोग शराब का सेवन करने वालों के लिए सही है
इसके बारे में फिलहाल कोई शोध कार्य नहीं किया गया है। सही जानकारी मौजूद न होने की वजह से Vyas Neem Tail का क्या असर होगा इस विषय पर अनुमान लगा पाना मुश्किल होगा।
क्या Vyas Neem Tail 100ml शरीर को सुस्त तो नहीं कर देती है?
Vyas Neem Tail लेने के बाद ड्राइव करना या दूसरे कामों को करना सुरक्षित है, क्योंकि आपको झपकी नहीं आएगी।
क्या Vyas Neem Tail 100ml का उपयोग करने से आदत तो नहीं लग जाती है?
नहीं, लेकिन फिर भी आप Vyas Neem Tail को लेने से पहले डॉक्टर से जरूर पूछें।
इस जानकारी के लेखक है -
BAMS, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डर्माटोलॉजी, मनोचिकित्सा, आयुर्वेद, सेक्सोलोजी, मधुमेह चिकित्सक
10 वर्षों का अनुभव
संदर्भ
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 2. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1999: Page No - 131 - 135