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Ontop Vedics Ortho 21 Advanced Oil बिना डॉक्टर के पर्चे द्वारा मिलने वाली आयुर्वेदिक दवा है, जो मुख्यतः जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव, घुटनों में दर्द के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। Ontop Vedics Ortho 21 Advanced Oil के मुख्य घटक हैं देवदार, जटामांसी, रसना, नागकेसर, पुनर्नवा, तिल का तेल, लहसुन जिनकी प्रकृति और गुणों के बारे में नीचे बताया गया है। Ontop Vedics Ortho 21 Advanced Oil की उचित खुराक मरीज की उम्र, लिंग और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली समस्याओं पर निर्भर करती है। यह जानकारी विस्तार से खुराक वाले भाग में दी गई है।
देवदार |
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जटामांसी |
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रसना |
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नागकेसर |
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पुनर्नवा |
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तिल का तेल |
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लहसुन |
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Ontop Vedics Ortho 21 Advanced Oil इन बिमारियों के इलाज में काम आती है -
मुख्य लाभ
चिकित्सा साहित्य में Ontop Vedics Ortho 21 Advanced Oil के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। हालांकि, Ontop Vedics Ortho 21 Advanced Oil का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें।
इस जानकारी के लेखक है -
BAMS, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डर्माटोलॉजी, मनोचिकित्सा, आयुर्वेद, सेक्सोलोजी, मधुमेह चिकित्सक
10 वर्षों का अनुभव
संदर्भ
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume- IV. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1986: Page No 27-28
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 1. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1986: Page No 67-68
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 3. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 2001: Page No - 163 - 165
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 2. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1999: Page No - 125 - 126
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 3. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 2001: Page No 108-109