शरीर में होने वाले किसी प्रकार के संक्रमण के दौरान श्वेत रक्त कोशिकाएं उनसे मुकाबला कर हमारी रक्षा करती हैं। श्वेत रक्त कोशिकाओं को ल्यूकोसाइट्स के नाम से भी जाना जाता है जो प्रतिरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। श्वेत रक्त कोशिकाओं का एक ऐसा ही रूप है- न्यूट्रोफिल। प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया के दौरान न्यूट्रोफिल ही अग्रणी भूमिका में रहते हैं। सफेद रक्त कोशिकाओं में न्यूट्रोफिल की उपस्थिति 55 से 70 प्रतिशत के करीब होती है।
हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ऊतकों, अंगों और कोशिकाओं से बनी होती है। जब हमें किसी प्रकार की चोट लगती है या फिर एंटीजन जैसे किसी बाहरी अवयव के कारण बीमार पड़ते हैं तो उस स्थिति में प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय भूमिका में आ जाती है। प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीजन से मुकाबला कर शरीर की रक्षा करती है। श्वेत रक्त कोशिकाएं रसायनों का उत्पादन करती हैं जो संक्रमण या सूजन के स्रोत पर जाकर एंटीजन से मुकाबला करती हैं।
एंटीजनों के प्रकार निम्नलिखित हैं
- बैक्टीरिया
- वायरस
- फंगस
- जहर
- कैंसर कोशिकाएं
अब सवाल उठता है कि ऐसी स्थिति में न्यूट्रोफिल की क्या भूमिका होती है? असल में अन्य श्वेत रक्त कोशिकाओं के परिसंचरण का स्थान सीमित होता है। इसके विपरीत न्यूट्रोफिल नसों की दीवारों के माध्यम से शरीर के ऊतकों में पहुंच कर एंटीजनों से मुकाबला कर सकते हैं।