नाभि खिसकना / उतरना / ऊपर चढ़ना (धरण) क्या है?
नाभि खिसकने की समस्या के बारे में आपने सुना ही होगा। कई लोग इसको नाभि का डिगना, धरण और धरण गिरना के नाम से भी जानते हैं। आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धति में स्वास्थ्य के लिए नाभि को महत्त्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन पश्चिमी चिकित्सा (एलॉपथी) में इसकी कोई चर्चा या महत्त्व नहीं है।
आयुर्वेद के अनुसार, जैसे रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन आ सकता है, उस ही तरह नाभि और पेट की मांसपेशियों में भी मरोड़ या अन्य दिक्कत आ सकती है। ऐसा होने पर नाभि अपनी जगह से हट जाती है। इसके अधिकतर मामलों में नाभि ऊपर या नीचे की तरफ चली जाती है। नाभि अक्सर किसी भारी वजन को उठाने, अचानक झुकने और यौन गतिविधियों को करने से खिसक (धरण) जाती है।
नाभि खिसकने से कई परेशानियाँ हो सकती हैं जैसे पेट में तेज दर्द, कब्ज, उल्टी और जी मिचलाना। इसके अलावा नाभि खिसकने से महिलाओं में माहवारी के समय अधिक रक्तस्त्राव और दर्द होता है।
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पश्चिमी चिकित्सा नाभि खिसकने का कोई इलाज मौजूद नहीं हैं, लेकिन आयुर्वेद, योग और कुछ घरेलू इलाज से इससे राहत पायी जा सकती है।
इस लेख में आगे जानेंगे कि नाभि का खिसकना क्या है, नाभि खिसकने के क्या लक्षण होते हैं, नाभि डिगने (धरण गिरना) के कारण, नाभि खिसकने के उपचार और घरेलू उपाय क्या हैं।
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