यह एक बहुत लोकप्रिय जड़ी बूटी है, जिसे हिंदी में "माजूफल", तमिल में "मस्काई", मलेशिया में मंजाकनी और अंग्रेजी में "ओक गॉल" कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम है क्वेरकस इंफेक्टोरिया (quercus infectoria)। तमिलनाडु में तो विशेष रूप से आप इसे हर नवजात शिशु वाले घर में पाएंगे।
जिस तरह से माजूफल बनाया जाता है, वह बहुत दिलचस्प है। जब एक ओक के पेड़ की पत्तियों पर एक विशेष प्रकार के कीट हमला करते हैं तब माजूफल का उत्पादन होता है। माजूफल फल न होकर कीट का घर होता है। माजूफल देखने में गोल और कठोर होते हैं। इसके कारण पत्तियों को कीड़ों के चारों ओर गोल कणों का निर्माण होता है। इसे ओट पित्त कहा जाता है। 5 से 6 महीने के बाद कीड़े पत्तियों से निकल जाते हैं। ओट गॉल्स सूखने के बाद इस्तेमाल के लिए तैयार हो जाते हैं।
आगे पढ़िए माजूफल के फायदे और नुकसान।