बरमूडा घास (Bermuda grass) भारत में पवित्र पौधा मानी जाती है इसे हिंदी में दूर्वा घास या दूब के रूप में जाना जाता है। यह हिंदुओं के लिए धार्मिक है क्योंकि इससे भगवान गणेश की पूजा की जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि दूब घास 'अमृत' की उत्पत्ति हैं। जब राक्षसों और देवताओं के बीच समुद्र मंथन हुआ; तब एक बर्तन से अमृत का निर्माण किया गया था जिसमें से कुछ बूंदें पृथ्वी पर भी गिर गईं थीं जिससे दूब घास की उत्पत्ति हुई। धार्मिक समारोहों जैसे पूजा, शादियों आदि में दूब घास का इस्तेमाल किया जाता है।

इस पौधे का वैज्ञानिक नाम- साइनोडान डेक्टीलान (cynodon dactylon) है। इसे आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक पारंपरिक जड़ी बूटी के रूप में इस्तेमाल किया गया है। स्वास्थ्य से संबंधित गुणों के कारण इस घास ने काफ़ी लोकप्रियता पाई है। दुर्वा घास कैल्शियम, फास्फोरस, फाइबरपोटेशियम और प्रोटीन से समृद्ध है जो स्वास्थ्य लाभों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करते हैं। तो आइये जानते है इसके स्वास्थ्य लाभों के बारे में -

  1. दूब घास के फायदे हैं मधुमेह के लिए - Bermuda Grass for Diabetes in Hindi
  2. दूर्वा घास के लाभ रखें प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ - Durva Grass for Immune Function in Hindi
  3. दूब घास के गुण हैं पीसीओएस में उपयोगी - Durva Grass for PCOS in Hindi
  4. दूर्वा घास के फायदे करें पाचन में सुधार - Doob Ghas ke Fayde for Digestion in Hindi
  5. दूब घास के लाभ हैं मौखिक समस्याओं के लिए - Durva Ghas for Oral Problems in Hindi
  6. दूब का उपयोग करे त्वचा विकारों में - Durva Grass for Skin in Hindi
  7. दूर्वा घास के गुण करें रक्त शोधन - Doob Ghas for Blood Purification in Hindi
  8. बरमूडा घास रखें हृदय को स्वस्थ - Cynodon Dactylon for Heart Health in Hindi
  9. दूब घास रखें आपको सक्रिय - Doob Grass Keeps you Active in Hindi
  10. दूब का रस करे मिर्गी का इलाज - Durva Grass Benefits for Epilepsy in Hindi
  11. दूर्वा घास का उपयोग उल्टी में है सहायक - Doob Grass Benefits for Vomiting in Hindi
  12. सिरदर्द को ठीक करें दूर्वा घास से - Bermuda Grass good for Headache in Hindi
  13. दूब घास के अन्य फायदे - Other Benefits of Durva Grass in Hindi

हाल के दिनों में कई शोध अध्ययनों से दूब की ग्लाइसेमिक क्षमता को साबित किया गया है। इस घास के अर्क से मधुमेह रोगियों पर महत्वपूर्ण हाइपोग्लिसीमिक प्रभाव पड़ता है और इसके साथ यह विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के जोखिम को कम करने के साथ जुडी हुई है।

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एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली बेहतर स्वास्थ्य बनाए रखने और रोगों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है। दूर्वा घास में प्रोटीन का अंश होता है जो इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गतिविधि ke liye jaani jaati है जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली को अनुकूलित करने में मदद मिलती है। दूर्वा घास की एंटीवायरल और एंटी-माइक्रोबियल गतिविधि प्रतिरक्षा स्वास्थ्य को बढ़ाने और विभिन्न रोगों से लड़ने में सहायक है।  (और पढ़ें – प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ)

मूत्र पथ के संक्रमण के उपचार में दुर्वा घास प्रभावी पाई गई है जो पुरुषों की तुलना में महिलाओं में आम है। बवासीर और योनि से सफेद स्राव से पीड़ित महिलाओं के लिए यह घास दही के साथ लेने से अच्छे परिणाम देती है। यह पीसीओएस (पॉली सिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम) के लिए एक प्राकृतिक उपाय के रूप में कार्य करती है और प्रोलैक्टिन हार्मोन का उत्पादन बढ़ाता है जिससे स्तनपान में वृद्धि होती है। (और पढ़ें - ओवरी में सिस्ट (पीसीओएस) का घरेलू इलाज)

पाचन और पेट की जटिलताएं और अस्वस्थ खाने की वजह से उम्र और रोगों की बढ़ती संवेदनशीलता इन दिनों काफी सामान्य हैं। लेकिन दुर्वा घास के लगातार उपयोग के साथ, पाचन में सुधार और आँतों के कार्यों और कब्ज का इलाज करने के अलावा पेट की बीमारियों का खतरा कम हो सकता है। यह एक प्राकृतिक डेटोक्सिफायर के रूप में कार्य करती है जिससे शरीर से विषाक्त पदार्थों को नष्ट किया जाता है और अम्लता भी कम हो जाती है। (और पढ़ें – पाचन क्रिया सुधारने के आयुर्वेदिक उपाय)

दुर्वा घास स्वस्थ पोषक तत्वों के साथ पैक है जिसे फ्लेवोनोइड कहा जाता है जो कि एंटी अल्सर गतिविधि को अल्सर के खिलाफ रोकते हैं। यह कोल्ड से लड़ने में मदद करती है और कफ को कम करने में भी सहायता करती है। यह घास न केवल मसूड़ों के रक्तस्राव के उपचार में मदद करती है बल्कि सांसों की बदबू का भी मुकाबला करती है। (और पढ़ें – दाँत में दर्द का एकदम सरल उपाय)

एक शक्तिशाली एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक एजेंट होने के नाते खुजली, स्किन रशेस और एक्जिमा जैसी त्वचा की विभिन्न समस्याओं के इलाज में दूर्वा घास का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। हल्दी पाउडर के साथ मिलाकर इस घास का पेस्ट बनायें और त्वचा की प्रोब्लेम्स से छुटकारा पाने के लिए इस पेस्ट को बाहरी रूप से लगाएं। यह कुष्ठ रोग और खुजली जैसे त्वचा रोगों के उपचार के लिए एक प्राकृतिक उपचार के रूप में भी प्रयोग की जाती है। (और पढ़ें - खुजली दूर करने के घरेलू उपाय)

दुब घास एक प्राकृतिक रक्त शोधक के रूप में कार्य करती है और रक्त की क्षारीयता को बनाए रखने में भी मदद करती है। चोट, नाक या अत्यधिक मासिक धर्म के रक्त प्रवाह के कारण रक्त की हानि में बहुत प्रभावी है। इससे लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में वृद्धि होती है जिससे शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ जाता है और इस तरह से एनीमिया से बचा जा सकता है। (और पढ़े – नीम के पत्ते खाने के फायदे रक्त को शुद्ध करने के लिए)

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दूर्वा घास का नियमित सेवन केवल आपके रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को ही कम नहीं करती है, बल्कि आपके हृदय संबंधी फंक्शन में भी सुधार करती है। यह आपके दिल के लिए अच्छा होने के अलावा, यह एक शक्तिशाली अतालता (arrhythmic) विरोधी एजेंट के रूप में भी काम करता है। (और पढ़ें - हृदय को स्वस्थ रखने के लिए ज़रूर करें ये 5 कार्डियो एक्सरसाइज)

दुर्वा घास स्वस्थ पोषक तत्वों की असंख्य श्रेणी से भरी हुई है जिससे आप ऊर्जावान और सक्रिय महसूस कर सकते हैं। यह अनिद्रा और सामान्य थकान का इलाज करने के लिए एक प्रभावी प्राकृतिक उपाय के रूप में कार्य करता है। नियमित रूप से इस घास का सेवन न केवल तनाव से राहत देता है, बल्कि नर्वस की कमजोरी भी ठीक करता है जिससे आपके शरीर और मन को रेविटालीज़िंग (revitalizing) किया जा सकता है। (और पढ़ें - नींद के लिए घरेलू उपाय)

इस घास का अर्क मिर्गी का इलाज करने में सहायक हो सकता है। चंदन और चूर्ण को रस में मिलाकर रोगी को दें। (और पढ़ें - मण्डूकपर्णी है मिर्गी में उपयोगी)

रोगी को दूब घास का रस दें। पानी के साथ दूब घास दें जिसमें चावल को धोया जाता है। यह पित्त की वजह से उल्टी को ठीक करता है। (और पढ़ें - गर्भवती महिलाओं के लिए लाभकारी है जल जीरा)

दूब घास और बेसन को समान मात्रा में लें। उन्हें पानी में पीसकर एक पेस्ट तैयार करें। इस पेस्ट को माथे पर लगाएं। यह उपाय सिरदर्द को ठीक करता है। (और पढ़ें – सिर दर्द का देसी इलाज​)

काली मिर्च के साथ दूब घास को पीसें। इस मिश्रण को रोगी को दिन में तीन बार दें। इससे अधिक पेशाब होता है जो शरीर के जलोदर और सूजन को ठीक करने में मदद करता है। रोगी को कच्ची दूब का ताजा रस दें। इसमें बाध्यकारी गुण होते हैं और यह दस्त का इलाज करने में लाभकारी है। इसके अलावा दूब घास को अदरक की जड़ के साथ उबाल लें। और रोगी को यह घोल दें। पानी में दूब घास को पीसें। एक अच्छे कपड़े के माध्यम से घोल को छान लें। इसमें चीनी मिलाकर और रोगी को दें। यह ल्‍यूकोरिया में फायदेमंद है।


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