आयुर्वेद में कई सारे ऐसे पेड़ पौधे हैं जिनके सभी हिस्सों को प्रयोग में लाकर तमाम स्वास्थ्य संबंधी लाभ प्राप्त किए जाते रहे हैं। अंकोल ऐसा ही एक पौधा है। देश के ज्यादातर हिस्सों में यह बहुतायत मात्रा में पाया जाता है। स्वास्थ्य संबधी कई सारी समस्याओं के उपचार के लिए अंकोल के जड़ से लेकर इसके तने तक को विभिन्न प्रकार से प्रयोग में लाया जाता है। चाहे वह बीज हों या पत्ते, फल हों या तेल सभी को शरीर के लिए बेहद फायदेमंद बताया गया है। हालांकि, आयुर्वेद में विशेष रूप से अंकोल की छाल और तेल के उपयोग और लाभ के बारे में जिक्र मिलता है।
अंकोल, मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीका और पूर्वी एशिया में पाया जाने वाला पौधा है। फरवरी से अप्रैल के महीने में इस पौधे पर सफेद फूल आते हैं। इस पेड़ की लकड़ियों को काफी अच्छी गुणवत्ता वाला माना जाता है, जिनका कई प्रकार के कार्यों में प्रयोग किया जाता रहा है। फर्नीचर, संगीत वाद्ययंत्र और कुछ प्रकार के गहनों को बनाने में भी इसकी लकड़ियों को प्रयोग में लाया जाता रहा है। कई स्थानों पर अंकोल की लकड़ियों का प्रयोग ईंधन के रूप में भी किया जाता है। लकड़ियों के अलावा इसकी छाल, पत्ते और फल भी तमाम तरह की औषधीय गुणों के लिए सदियों से प्रसिद्ध हैं। आइए आयुर्वेद के वरदान अंकोल के बारे में जानते हैं।
- वानस्पतिक नाम : एलैंगियम सैल्बीफोलियम
- सामान्य नाम : अंकोल
- मूल : एलैंगिएसियाई
- मूल क्षेत्र और भौगोलिक वितरण : पूर्वी एशिया और दक्षिण अफ्रीका
- प्रयोग में लाए जाने वाले भाग : छाल, तेल, पत्ते, जड़ और फल
- उपयोग : कफ और पित्त दोष को शांत करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है
जैसा कि उपरोक्त पंक्तियों में बताया गया कि अंकोल का पौधा कई मामलों में स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। आइए इस लेख में अंकोल से होने वाले विभिन्न फायदों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।