1. वनस्पति तेल के फायदे - Vansapati Tel ke Fayde
  2. वनस्पति तेल के नुकसान - Vanspati Tel ke Nuksan

सब्जियों और फलों के बीज से प्राप्त तेलों में से ज्यादातर का उपयोग आहार के लिए किया जाता है। आप इन तेलों का उपयोग खाना पकाने से लेकर बेकिंग या सलाद ड्रेसिंग तक कर सकते हैं। ये तेल स्वस्थ फैट (healthy fat) का एक अच्छा स्रोत होते हैं। वनस्पति तेल का उपयोग कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों, मेटाबोलिज्म को बढ़ाने, पाचन स्वस्थ और बेहतर रखने, स्तन कैंसर के खतरे को कम करने और ओमेगा -3 फैटी एसिड के लिए लाभकारी होता है।

वनस्पति तेल के फायदे कोशिकओं के विकास के लिए - Vanspati tel ke fayde koshikaon ke vikas ke liye

सेफ्लॉवर, बिनौला, सूरजमुखी, बादाम और गेहूं की जर्म जैसे तेल विटामिन ई में भरपूर होते हैं जो कोशिकाओं को सुरक्षित रखने और उनके विकास के लिए आवश्यक होते हैं। यह विटामिन हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। यह पाचन तंत्र स्वस्थ रखने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने में लाभकारी होता है। इसके अलावा ये तेल शरीर के ऊतकों जैसे त्वचा, आंखों, स्तन और लिवर की रक्षा भी करने में मदद करते हैं।

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वनस्पति तेल के लाभ रखें ह्रदय को स्वस्थ - Vanspati tel ke labh rakhen hriday ko swsth

वनस्पति तेलों में सबसे अधिक मात्रा में पॉलीअनसैचुरेटेड और मोनोअनसैचुरेटेड फैट पाई जाती है। पॉलीअनसैचुरेटेड फैट खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद और कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के जोखिम को कम करती है। इसके अलावा, इन तेलों में मौजूद विटामिन ई हृदय रोगों को रोकने और रक्त के थक्कों को खत्म करने में मदद करती है जो हृदय रोगों का मुख्य कारण होता हैं। 
स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क, बफेलो में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, वनस्पति तेल दिल की बीमारियों के विकास के जोखिम को कम कर सकता है। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं के अनुसार वनस्पति तेल कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के विकास से जुड़े कारणों जैसे रक्त शर्करा के अधिक स्तर  हाई ब्लड प्रेशर और सीरम कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित रखने में मदद करता है।

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वनस्पति तेल का सेवन करें सूजन को दूर - Vanspati tel ka sewan karen sujan ko dur

शरीर को विभिन्न कार्य करने के लिए फैटी एसिड की जरूरत होती है। ओमेगा -3 और ओमेगा -6 दो प्रकार के फैटी एसिड होते हैं। शरीर इन फैटी एसिड का स्वाभाविक रूप से उत्पादन नहीं करता है। इसलिए इन फैटी एसिड्स को भोजन के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। अल्फा-लिनोलेनिक, ओमेगा -3 फैटी एसिड का एक प्रकार होता है, जो सोयाबीन, कैनोला और अलसी के तेल में पाया जाता है जो मछली में मौजूद फैटी एसिड के ही समान होता है।

ओमेगा -3 फैटी एसिड का उपयोग सूजन को कम करने के लिए किया जाता है। इसी कारण वनस्पति तेलों का उपयोग हृदय, त्वचा और पाचन से जुड़ी चिंताओं से पीड़ित लोगों को करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा ओमेगा -6 भी सूजन को कम करने में उपयोगी होता है। कुछ लोग 16:1 के अनुपात में ओमेगा -6 और ओमेगा -3 फैटी एसिड का सेवन करते हैं, जो ओटोम्यून्यून बीमारियों, हृदय रोगों, सूजन की समस्याओं और कैंसर से जुड़ा हुआ है।

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वनस्पति तेल के औषधीय गुण बचाएं कैंसर से - Vanspati tel ke aushdhiya gun bachayen cancer se

इटली के यूनिवर्सिटी डि मिलानो में किए गए एक अध्ययन "कैंसर के कारणों और नियंत्रण" के नवंबर 1995 के एक अंक में, यह बताया गया कि जैतून का तेल और अन्य वनस्पति तेलों का नियमित रूप से सेवन ब्रैस्ट कैंसर के विकास के जोखिम को कम करने में फायदेमंद हो सकता है, उनकी तुलना में जो मक्खन और मार्जरीन का का सेवन करते हैं। इसलिए यदि आप कैंसर से बचाव करना चाहते हैं तो आज से ही वनस्पति तेलों का सेवन शुरू कर दें।

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वनस्पति तेल का उपयोग रखें इम्युनिटी को मजबूत - Vanspati tel ka upyog rakhen immunity ko majboot

नारियल के तेल जैसे वनस्पति तेलों में लॉरिक एसिड (मोनोलौरीन) होता है, जो कैंडीडा को कम करने, बैक्टीरिया से लड़ने और वायरस से लड़ने में लाभकारी होता है। इसके ये तेल आपकी इम्युनिटी को भी मजबूत रखने में मदद करते हैं। कमजोर इम्युनिटी के कारण हम से कई लोग अक्सर बीमार रहते हैं। ऐसे में हमें इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना शुरू कर देना चाहिए। इन्हीं खाद्य पदार्थों में से हैं वनस्पति तेल। इसलिए हमें नियमित रूप से इन तेलों का उपयोग करना चाहिए।

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मेटाबोलिज्म को बढ़ाएं वेजिटेबल आयल से - Metabolism ko badhayen vegetable oil se

ब्राजील के साओ पाउलो स्टेट यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन के अनुसार वनस्पति तेल, विशेष रूप से जैतून के तेल का सेवन, मोटापे से पीड़ित लोगों में मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद कर सकता है। क्योंकि जैतून के तेल में फेनोलिक यौगिक (ऐसे पदार्थ जिनमें एंटीऑक्सीडेंट, सूजन को कम करने वाले और एंटी-ब्लड क्लोटिंग गुण होते हैं।) होते हैं, जो शरीर की चयापचय दर को बढ़ा सकते हैं।

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डिप्रेशन को दूर करें वनस्पति तेल से - Depression ko dur kare vanspati tel se

तिल के तेल में टायरोसिन (एक एमिनो एसिड) पाया जाता है, जो सीधे सेरोटोनिन (एक यौगिक) के कार्यों से जुड़ा हुआ है।  और जब यह मस्तिष्क में रिलीज़ होता है, तो यह एंजाइम और हार्मोन के साथ मूड को अच्छा रखने में मदद कर सकता है जो व्यक्ति को खुश महसूस करने में मदद करते हैं। इसलिए डिप्रेशन या तनाव से दूर रहने के लिए आपको नियमित रूप से वनस्पति तेलों का इस्तेमाल करना चाहिए।

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वेजिटेबल आयल फॉर ऑस्टियोपोरोसिस इन हिंदी - Vegetable oil for osteoporosis in Hindi

नारियल के तेल में एंटीऑक्सीडेंट की भरपूर मात्रा पाई जाती हैं जो फ्री रेडिकल से लड़ने में मदद करते हैं। इसके अलावा ये मुख्य रूप से ऑस्टियोपोरोसिस के लिए एक प्राकृतिक उपचार की तरह भी कार्य करते हैं। ऑस्टियोपोरोसिस पर की गई रिसर्च के अनुसार नारियल का तेल न केवल हड्डी और संरचनाओं को बढ़ाता है, बल्कि ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डियों के होने वाले नुकसान को भी कम करता है। इसलिए यदि आप अपनी हड्डियों को सुरक्षित और मजबूत और ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को कम करना चाहते हैं तो वनस्पति तेलों का सेवन बहुत ही लाभकारी साबित हो सकता है।

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वनस्पति तेल के गुण स्वस्थ पाचन के लिए - Vanspati tel ke gun swasth paachan ke liye

नारियल में पाचन में को स्वस्थ और बेहतर रखने वाले गुण होते हैं। क्योंकि यह शरीर में फैट में घुलनशील विटामिन, कैल्शियम और मैग्नीशियम को अवशोषित करने में मदद करता है। और इस प्रकार यह पेट के अल्सर और अल्सरेटिव कोलाइटिस के इलाज या इसे रोकने में भी मदद करता है। नारियल का तेल खराब बैक्टीरिया और कैंडीडा को नष्ट कर बैक्टीरिया और आंतो के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकता है। इसलिए नारियल के तेल जैसे वनस्पति तेल का सेवन हमारे पाचन को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है।

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वनस्पति तेलों में ओमेगा -6 पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड बहुत अधिक मात्रा पाई जाती है, जिसका अधिक मात्रा में सेवन हानिकारक  (जैतून का तेल या नारियल के तेल को छोड़कर) हो सकता है।

ओमेगा -3 और ओमेगा -6 फैटी एसिड का उपयोग शरीर में ईकोसैनोइड्स नामक पदार्थ बनाने के लिए किया जाता है, जो अनसैचुरेटेड फैट हैं जो बहुत अधिक जहरीले होते हैं।

जिसके कारण हृदय रोग, कैंसर, डायबिटीज और मोटापे जैसी विभिन्न बीमारियों के जोखिम बढ़ सकते हैं।

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