आज 'विश्व स्वास्थ्य दिवस' या 'वर्ल्ड हेल्थ डे' है। सर्वसमाज के अच्छे स्वास्थ्य और किसी विशेष स्वास्थ्य विषय पर वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के मकसद से हर साल सात अप्रैल का दिन 'विश्व स्वास्थ्य दिवस' के रूप में मनाया जाता है। हर वर्ष स्वास्थ्य क्षेत्र के विषयों और चिंताओं को ध्यान में रखते हुए अलग थीम को चुना जाता है। इस साल डब्ल्यूएचओ की थीम दुनिया भर के डॉक्टरों, नर्स और स्वास्थ्य कर्मियों को समर्पित है।
दरअसल, इस बार का स्वास्थ्य दिवस ऐसे समय में आया है जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस से पैदा हुए स्वास्थ्य संकट से गुजर रही है। लोगों को इस संकट से निकालने की लड़ाई में सबसे आगे डॉक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मी हैं। वे न सिर्फ इस महामारी में संक्रमित और संदिग्ध लोगों की हर संभव मदद करने में लगे हैं, बल्कि अपनी सहूलियत और सुरक्षा को पीछे छोड़ स्वयं की जान भी दांव पर लगा रहे हैं। इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस 2020’ के मौके पर सभी लोगों को दुनियाभर के डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों का समर्थन करने को कहा है। यही वजह है कि इस साल के स्वास्थ्य दिवस को ‘इंटरनेशनल इयर ऑफ द नर्स एंड द मिडवाइफ’ का नाम दिया है।
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यूएन ने किया स्वास्थ्यकर्मियों को धन्यवाद
स्वास्थ्य दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) के महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने ट्विटर के जरिए स्वास्थ्यकर्मियों को धन्यवाद दिया है। गुटेरेस का कहना है कि इस बार ‘स्वास्थ्य दिवस’ ऐसे मौके पर आया है जब हम सभी स्वास्थ्य समस्या से जुड़ी बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उनका कहना है ‘नए कोरोना वायरस जैसी महामारी से लड़ने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के प्रति हम सम्मान व्यक्त करते हैं। हम सब उनके बहुत आभारी हैं।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वास्थ्यकर्मियों का जताया आभार
वैश्विक संगठनों के अलावा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 'विश्व स्वास्थ्य दिवस' पर स्वास्थ्यकर्मियों के समर्पण और उनके सहयोग के प्रति सम्मान प्रकट किया है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा है, ‘आज विश्व स्वास्थ्य दिवस है। इस अहम मौके पर हम न केवल एक-दूसरे के अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं, बल्कि उन सभी डॉक्टरों, नर्सों, चिकित्सा कर्मचारियों और स्वास्थ्य सेवाकर्मियों का आभार व्यक्त करते हैं जो कोविड-19 के खतरे के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। साथ ही बड़ी बहादुरी से मरीजों की देखभाल में लगे हुए हैं।’
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स्वास्थ्य कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने पर जोर
हेल्थ डे के मौके पर डब्ल्यूएचओ ने वैश्विक सहयोगियों के साथ मिलकर दुनियाभर में स्वास्थ्य कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया है। उसके मुताबिक, यह जरूरी है कि हम राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य चिंताओं पर ध्यान दें।
दरअसल दुनियाभर में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, संक्रामक रोग और गैर-संचारी रोगों से संबंधित कई बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं हैं। इसके अलावा मानसिक स्वास्थ्य और आपातकालीन जैसी समस्याओं को लेकर भी हमें तैयार रहने की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इसलिए ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ के मौके पर पूरी दुनिया के लोगों के समर्थन की जरूरत है ताकि नर्स और स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या बढ़ाकर इनके काम को पर्याप्त मजबूती दी जाए। इससे हर किसी के लिए और हर जगह स्वास्थ्य देखभाल की जरूरत को पूरा किया जा सकेगा।
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इतिहास और उद्देश्य
साल 1948 में 'प्रथम विश्व स्वास्थ्य सभा' का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाए जाने को लेकर सहमति जताई गई थी। साल 1950 को पहला विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया गया। तब से हर साल सात अप्रैल के दिन वर्ल्ड हेल्थ डे मनाने की परंपरा चली आ रही है। इस मुहिम का मकसद डब्ल्यूएचओ की किसी विशेष क्षेत्र से जुड़ी स्वास्थ्य चिंताओं के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को जागरूक बनाना है। इसीलिए हर साल अलग थीम के साथ वर्ल्ड हेल्थ डे मनाया जाता है।