दुनियाभर में होने वाली मौतों के दस सबसे बड़े कारणों में नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज (गैर-संचारी रोग) की बढ़कर संख्या सात हो गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बुधवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। 2019 ग्लोबल हेल्थ एस्टिमेट्स नाम की इस रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2000 में पूरी दुनिया में हुई मौतों के लिए दस सबसे बड़ी वजहों में गैर-संचारी रोगों की संख्या चार थी। नया डेटा कहता है कि 2019 आते-आते यह संख्या सात हो गई है। इस आधार पर रिपोर्ट के लेखकों ने कहा है कि इस समय गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और इलाज पर फोकस करने की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ ने जिन वैश्विक मौतों के लिए जिम्मेदार जिन सात नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज का जिक्र किया है, उनमें हृदय रोग, कैंसर, डायबिटीज और क्रोनिक रेस्पिरेटरी डिजीज शामिल हैं। इसके अलावा डब्ल्यूएचओ ने उन इन्जरी या चोटों को लेकर भी फोकस करने की बात कही है, जिनका इलाज करना संभव है, लेकिन इसके बावजूद उनसे लोगों की मौत हो जाती है।
नए डेटा पर टिप्पणी करते हुए डब्ल्यूएचओ के प्रमुख डॉ. टेड्रोस गेब्रेयेसस ने कहा है, 'ये नए आंकलन हमें फिर याद दिलाते हैं कि हमें नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज की रोकथाम, डायग्नॉसिस और ट्रीटमेंट को लेकर तेजी से कदम उठाने की जरूरत है। ये प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को समान और समग्र रूप से सुधारने के संबंध में पैदा हुई जरूरत को रेखांकित करते हैं। मजबूत प्राइमरी हेल्थकेयर ही स्पष्ट रूप से वह बुनियाद है, जिस पर बाकी चीजें टिकी हैं, चाहे नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज हो वैश्विक महामारी।'
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हृदय रोग हैं सबसे बड़ा कारण
डब्ल्यूएचो की रिपोर्ट कहती है कि दुनियाभर में हो रही मौतों का सबसे बड़ा कारण हृदय रोग हैं। पिछले 20 सालों में सबसे ज्यादा मौतों के मामलों में दिल की बीमारियां सबसे बड़ी वजह के रूप में सामने आई हैं। डब्ल्यूएचओ की मानें तो अब हृदय रोग पहले के किसी भी समय से ज्यादा लोगों की जान ले रहे हैं। साल 2000 से 2019 के बीच हृदय रोग के कारण होने वाली मौतों की संख्या 20 लाख से 90 लाख हो गई है। केवल डब्ल्यूएचओ वेस्टर्न पैसिफिक रीजन की बात करें तो यहां हुई अतिरिक्त 20 लाख मौतों में से आधी से ज्यादा दिल की बीमारी के कारण देखने को मिली हैं।
वहीं, अल्जाइमर और डिमेंशिया के अलग-अलग प्रकार भी वैश्विक मौतों के दस सबसे बड़े कारणों में शामिल किए गए हैं। अमेरिका और यूरोप में तो 2019 में हुई मौतों के लिए ये दोनों बीमारियां सबसे ज्यादा जिम्मेदार पाई गई हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, महिलाओं विशेष रूप से अल्जाइमर का प्रभावित हुई हैं। उसकी रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक रूप से अल्जाइमर और डिमेंशिया के कारण हुई मौतों में 65 प्रतिशत पीड़ित महिलाएं ही हैं। इसके अलावा, डायबिटीज से होने वाली मौतों में 2000 से 2019 के बीच 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। डायबिटिक पुरुषों में यह बढ़ी हुई दर 80 प्रतिशत है।
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संचारी रोगों से जुड़ी मौतों में कमी, लेकिन खतरा बरकरार
वहीं, कम्युनिकेबल डिजीज यानी संचारी रोगों की बात करें तो पिछले दो दशकों में इनसे होने वाली मौतों में कमी आई है। हालांकि ये बीमारियां अभी भी वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए चुनौती बनी हुई हैं। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट कहती है कि निमोनिया और अन्य लोअर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन सबसे अधिक जानलेवा संचारी रोगों के समूह में शामिल हैं और नई रिपोर्ट में एकसाथ मिला कर वैश्विक मौतों के चौथे सबसे बड़े कारण के रूप में शामिल किए गए हैं। हालांकि साल 2000 की तुलना में इस प्रकार की मौतों में कमी देखी गई है। डब्ल्यूएचओ ने बताया कि पिछले दो दशकों में कम्युनिकेबल डिजीज से होने वाली मौतों की संख्या लगभग पांच लाख है, जो पहले काफी ज्यादा होती थी।
उदाहरण के लिए, रिपोर्ट में उल्लिखित तथ्य बताते हैं कि साल 2000 में एचआईवी/एड्स ग्लोबल डेथ का आठवां सबसे बड़ा कारण होता था। लेकिन 2019 में यह नीचे गिरकर 19वें नंबर पर आ गया है। यह इस वैश्विक महामारी की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों की सफलता को दर्शाता है। एड्स से सबसे ज्यादा मौतें अफ्रीका में देखने को मिलती हैं। लेकिन वहां भी इन पर नियंत्रण करने में कामयाबी मिली है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, अफ्रीका में एड्स के कारण होने वाली मौतों में 50 लाख से ज्यादा की कमी हुई है। साल 2000 में यह संख्या दस लाख से ज्यादा थी, जो 2019 में कम होकर चार लाख 35 हजार रह गई।
इसके अलावा, ट्यूबरकुलोसिस की बात करें तो यह बीमारी भी वैश्विक मौतों के दस सबसे बड़े कारणों की सूची से बाहर हो गई है। साल 2000 में यह बीमारी ग्लोबल डेथ के लिए सातवां सबसे बड़ा कारण थी। लेकिन 2019 आते-आते 30 प्रतिशत की गिरावट के साथ यह 13वें नंबर पर आए गई। हालांकि अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशियाई इलाकों में यह अभी भी मौतों के दस सबसे बड़े कारणों में शामिल है।