नए कोरोना वायरस सीओवीआईडी-19 ने 'महामारी' का रूप ले लिया है। इस वायरस की चपेट में हर आयु वर्ग के लोग शामिल हैं। हालांकि इससे मरने वाले लोगों में ऐसे पीड़ितों की संख्या काफी ज्यादा है, जो या तो बुजुर्ग हैं या पहले से किसी बीमारी से पीड़ित हैं। दुनियाभर के मेडिकल विशेषज्ञों ने भी कहा है कि सीओवीआईडी-19 उन लोगों के लिए ज्यादा जानलेवा है, जो डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग आदि बीमारियों से पीड़ित हैं।
जानी-मानी स्वास्थ्य पत्रिका 'न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन’ (एनईजेएम) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाई बीपी, डायबिटिज और कार्डियोवस्क्युलर डिजीज (हृदय रोग) जैसी बीमारियां से पीड़ित लोग आसानी से कोरोना वायरस की चपेट में आ सकते हैं। पत्रिका ने कहा है कि भले ही कोरोना वायरस के 80 प्रतिशत मामले गंभीर नहीं होते, लेकिन बुजुर्गों के अलावा बीमार लोगों के लिए यह गंभीर हो सकता है।
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क्यों और कब घातक है कोरोना वायरस?
पहले माना जा रहा था कि कोरोना वायरस केवल बुजुर्गों के लिए अधिक जानलेवा है, लेकिन डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में कोरोना वायरस की मृत्यु दर 3.4 प्रतिशत बताई थी, जो सभी आयु वर्गों के आधार पर आंकी गई थी। आंकड़े बताते हैं कि जिन लोगों की उम्र 50 साल से कम है और वे किसी बीमारी से पीड़ित हैं तो कोरोना वायरस की चपेट में आने से उनके मरने की आशंका भी छह से दस गुना बढ़ जाती है।
फेफड़ों और दिल के लिए घातक कोरोना
नया कोरोना वायरस फेफड़ों को तो प्रभावित करता ही है, लेकिन यह हृदय पर भी बड़ा असर डालता है। अमेरिका में कई लोगों को हाई बीपी की समस्या है। वहीं, प्रत्येक दस अमेरिकियों में से एक को डायबिटीज की परेशानी है। ये दोनों समस्याएं आगे चल कर हृदय रोग का कारण बन सकती हैं। हालांकि कार्डियोवस्क्युलर सिस्टम पर सीओवीआईडी-19 का प्रभाव स्पष्ट नहीं हो पाया है। लेकिन एक अमेरिकी स्वास्थ्य संस्थान के मुताबिक, (किसी वायरस से) संक्रमित व्यक्तियों में एक्यूट हार्ट इंजरी, हाइपोटेंशन (लो बीपी) और टैकीकार्डिया (दिल का तेजी से धड़कना) की समस्या आती है।
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चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस के 150 मरीजों का अध्ययन किया गया। ये सभी हृदय से जुड़ी किसी न किसी बीमारी से पीड़ित थे। अध्ययन में पता चला कि सीओवीआईडी-19 से संक्रमित होने पर उनकी मृत्यु का खतरा काफी बढ़ गया था। ये तथ्य बताते हैं कि कोरोना वायरस के प्रभाव के बाद दिल के रोगियों की हालात ज्यादा गंभीर हो सकती है।
अस्थमा के मरीजों को भी सतर्क रहने की जरूरत
नया कोरोना वायरस श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए भी जानलेवा हो सकता है। उदाहरण के लिए जिन लोगों को सिस्टिक फाइब्रोसिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), अस्थमा या सांस की एलर्जी की समस्या है, उन लोगों में कोरोना वायरस के गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। इसके साथ-साथ जिन लोगों के फेफड़े धूम्रपान की वजह से खराब हो चुके हैं, उनमें भी सीओवीआईडी-19 का घातक प्रभाव हो सकता है। इसके अलावा सर्दी-खांसी या हल्का फ्लू भी कोरोना वायरस के मरीज की सेहत को गंभीर बना सकते हैं।
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कैंसर के मरीजों को भी कोरोना वायरस से ज्यादा खतरा
इनके अलावा, कैंसर के मरीजों में भी कोरोना वायरस के गंभीर और घातक परिणाम देखे जाने के दावे किए गए हैं। दरअसल कैंसर की बीमारी से ग्रसित जिन लोगों को श्वसन संबंधी समस्या है, उनके लिए सीओवीआईडी-19 जानलेवा हो सकता है। ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) या लिम्फोमा (एक प्रकार का कैंसर) के लिए गहन चिकित्सा (इंटेंशिव थेरेपी) के साथ इलाज किया जा रहा है और जिन लोगों ने बोर्न मैरो (अस्थि मज्जा) प्रत्यारोपण कराया है वे वायरल संक्रमण समेत निमोनिया की चपेट में आ सकते हैं।
ऐसा इसलिए, क्योंकि इलाज के दौरान इन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावित होती है। दरअसल कैंसर ट्यूमर की वजह से या कैंसर के उपचार के कारण इम्यूनिटी सिस्टम से समझौता करना पड़ता है। इससे कैंसर के मरीजों के लिए कोरोना वायरस घातक ही नहीं, जानलेवा भी साबित हो सकता है।