मेडिकल साइंस लगातार तरक्की कर रही है, रोगों का पता लगाने और इलाज करने की नई-नई तकनीकें व मशीने आ रही हैं। इससे हमें फायदा तो हो रहा है, लेकिन साथ ही साथ चिकित्सा मुद्रास्फिती बढ़ रही है और परिणामस्वरूप महंगाई भी आसमान छूने लगी है। बीमारी आती तो अचानक है पर जाती धीरे-धीरे है, जिसके लिए समय, मेहनत और पैसे की आवश्यकता पड़ती है। आम आदमी समय और मेहनत तो दे सकता है, लेकिन बीमारी के लिए एकदम से पैसा जुटाना उसके लिए मुश्किल हो जाता है। भारत में एक बड़ी आबादी मध्यम या निम्न वर्ग में जी रही है, जिसके लिए किसी बड़ी बीमारी का मेडिकल खर्च उठाना लगभग न के ही बराबर है।
जब भी अचानक से कोई बड़ी बीमारी आती है, तो एक मध्यम या निम्न वर्ग का आदमी पैसे के लिए मेडिकल लोन की तरफ भागता है। अपने या परिवार के किसी व्यक्ति का जीवन बचाने के चक्कर में वह उस समय कुछ नहीं सोच पाता है। वह सोचता ही नहीं कि लोन और ब्याज उसके लिए बाद में कितने भारी पड़ने वाले हैं। ऐसे में एक अच्छा ऑप्शन है मेडिक्लेम पॉलिसी, जो आपको किसी भी मेडिकल इमर्जेंसी से पहले ही उसके लिए तैयार रखती है और बुरा समय आने पर आपको पैसे के लिए इधर-उधर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में क्या कवर नहीं होता)
आज हम इस लेख में इसी बारे में बात करने वाले हैं कि मेडिक्लेम पॉलिसी या मेडिकल लोन में क्या बेहतर है। चलिए नीचे दिए गए लेख को पढ़ते हैं -