बीमा पॉलिसी लेते समय पॉलिसीधारक की कई जिम्मेदारियां होती हैं, जिनमें से एक नॉमिनी का चयन करना है। बात हेल्थ इन्शुरन्स की हो, टर्म इन्शुरन्स की हो, पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स की या लाइफ इन्शुरन्स की, इन सभी में नॉमिनी का अहम किरदार होता है। क्योंकि यह वह व्यक्ति होता है, जिसे बीमित व्यक्ति अपना आर्थिक उत्तराधिकारी घोषित करता है। लेकिन नॉमिनी से जुड़ी कुछ जरूरी बातें हमें जरूर पता होनी चाहिए जैसे नॉमिनी के अधिकार क्या हैं, नॉमिनी कौन हो सकता है इत्यादि। यदि आप भी इन प्रश्नों के उत्तर जानना चा​हते हैं तो नीचे आर्टिकल को जरूर पढ़ें।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स और लाइफ इन्शुरन्स में अंतर)

  1. नॉमिनी (नामित) क्या होता है? - What is Nominee in Hindi
  2. कौन हो सकता है नॉमिनी - Who can be the Nominee in Hindi
  3. नॉमिनी कब जोड़ा जाता है? - When is the Nominee added in Hindi
  4. नॉमिनी जोड़ते समय जरूरी जानकारी - Nominee Details in Hindi
  5. नॉमिनी सुविधा के फायदे - Benefits of Nomination facility in Hindi
  6. क्यों जरूरी है नॉमिनी - Why is a Nominee important in Hindi
  7. नॉमिनी बनाना किस तरह से फायदेमंद है? - How is it beneficial to have a Nominee in Hindi
  8. सिंगल नॉमिनी बनाम मल्टीपल नॉमिनी - Single Nominee vs Multiple Nominees in Hindi
  9. माइनर नॉमिनी कौन होता है? - Minor Nominee in Hindi
  10. नॉमिनी को किन कागजातों की जरूरत होती है? - What documents are required by the Nominee in Hindi
  11. नॉमिनी से जुड़ी ध्यान रखने योग्य बातें - Things to keep in mind about the Nominee in Hindi

एक व्यक्ति जब भी बीमा पॉलिसी लेता है, तो पॉलिसी लेते समय उसे नॉमिनी चुनना होता है। यह पॉलिसीधारक की तरफ से बहुत जरूरी और सोच-समझकर उठाया जाने वाला कदम होता है। लाइफ इन्शुरन्स, टर्म इन्शुरन्स या पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स में नॉमिनी का सीधा सा मतलब है कि यदि बीमाधारक की अप्रत्याशित मौत हो जाती है, तो उसके द्वारा चुना गया नॉमिनी बीमा का लाभ ले सकता है। जबकि हेल्थ इन्शुरन्स में नॉमिनी बीमा का लाभ तभी मिल सकता है जब उसकी मौत चिकित्सा उपचार के दौरान होती है।

(और पढ़ें - हॉस्पिटल कैश पॉलिसी क्या है)

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आप किसी भी भरोसेमंद व्यक्ति को नॉमिनी चुन सकते हैं। आमतौर पर लोग अपने जीवनसाथी (पति/पत्नी), बच्चे, माता-पिता या परिवार में ही किसी सदस्य को चुनते हैं। कुछ मामलों में, वह दूर के रिश्तेदारों जैसे चाची, चाचा, भतीजे या भतीजी को भी चुन सकते हैं, लेकिन ऐसे में पॉलिसीधारक को दूर के रिश्तेदारों को नॉमिनी घोषित करने के लिए जरूरी दस्तावेज जमा करने होंगे। इसके अलावा, आप अपने किसी खास मित्र को भी नॉमिनी चुन सकते हैं।

हालांकि, नामित करना हमेशा जरूरी नहीं होता है, लेकिन तब भी नामित करने का सुझाव इसलिए दिया जाता है, ताकि आपके परिवार को भविष्य में किसी अदालती मामलों में जूझना न पड़े। उदाहरण से समझिए, मान लीजिए किसी बीमित व्यक्ति ने नॉमिनी वाले कॉलम में नाम नहीं भरा है और उसकी ट्रीटमेंट के दौरान मौत हो जाती है, तो ऐसे में परिवार के सदस्य कानूनी रूप से बीमा राशि का फायदा लेने की कोशिश कर सकते हैं। लेकिन यदि आप नॉमिनी लिखित रूप से घोषित कर देते हैं तो बीमा राशि सीधे नामित व्यक्ति के पास चली जाएगी।

जब आप हेल्थ इन्शुरन्स बीमा योजना को ऑफलाइन या ऑनलाइन भर रहे हों तो इसी दौरान नामित व्यक्ति को पॉलिसी से जोड़ा जा सकता है। आपका एजेंट इस प्रक्रिया के दौरान आपकी मदद कर सकता है और यदि कोई संदेह है तो आप उनसे पूछ सकते हैं। इसके अलावा यदि आपने नॉमिनी नहीं बनाया है या बाद में नाम बदलना चाहते हैं तो आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से कभी भी ऐसा कर सकते हैं।

बता दें कई ऐसे भी मामले हैं जिनमें लोगों ने दोस्तों, चचेरे भाइयों आदि को अपना नॉमिनी बनाया है और यदि कभी अदालती मामले सामने आए तो कानूनी रूप से वारिसों के हाथ कुछ नहीं लगता है।

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स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में नॉमिनी जोड़ते समय आपको उनका पूरा नाम, आयु, जन्म तिथि, पता और उनसे क्या रिश्ता है, इस बारे में जानकारी देनी होगी। कोई भी जानकारी गलत होने से क्लेम के समय समस्याएं आ सकती हैं। यदि आप कुछ समय के बाद नॉमिनी को बदलना चाहते हैं, तो अपने बीमाकर्ता को सूचित करके नामित व्यक्ति को बदल सकते हैं और दूसरा नाम जोड़ सकते है। यदि नामांकित व्यक्ति की मृत्यु पॉलिसीधारक से पहले हो जाती है, तो बीमित राशि कानूनी रूप से वारिसों को दे दी जाएगी।

भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (Irdai) ने बीमा अधिनियम, 2015 में संशोधन ​करके "बेनीफिशियल नॉमिनी" नामक एक कैटेगरी बनाई है, जिसके तहत आपका जीवनसाथी व सगे संबंधी जैसे बच्चे और माता-पिता अपने आप ही लाभकारी नामित व्यक्ति बन जाते हैं। इस तरह बीमाकर्ता जल्द से जल्द बीमा राशि का भुगतान कर सकता है।

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नॉमिनेशन सुविधा के फायदे​ निम्नलिखित हैं -

बीमा के उद्देश्य को करता है पूरा - नामित सुविधा बीमा के मुख्य उद्देश्य को पूरा करती है। यदि दुर्भाग्य से पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाती है तो नामित व्यक्ति को वित्तीय लाभ मिलता है, जिसके बाद पॉलिसी का अनुबंध समाप्त हो जाता है। इस तरह से न सिर्फ बीमाधारक बल्कि नॉमिनी के हितों की भी रक्षा होती है।

किसी भी व्यक्ति को नॉमिनी बना सकते हैं - पॉलिसीधारक किसी भी व्यक्ति को नामित व्यक्ति के रूप में चुन सकता है। ऐसे में पॉलिसीधारक को आदर्श रूप से एक जिम्मेदार व्यक्ति का चयन करना चाहिए, जो उसकी अनुपस्थिति में परिवार की आवश्यकताओं को पूरा कर सकता हो।

एक से ज्यादा नॉमिनी बनाने का विकल्प - पॉलिसीधारक कई व्यक्तियों को नामित व्यक्ति के रूप में चुन सकता है। अगर नॉमिनी ए व्यक्ति पॉलिसी की अवधि तक जीवित नहीं रहता है, तो नॉमिनी बी को डेथ बेनिफिट मिलता है।

डेथ बेनिफिट शेयरिंग - डेथ बेनिफिट को नॉमिनी के बीच शेयर किया जा सकता है। पॉलिसीधारक एक से अधिक नॉमिनी के बीच डेथ बेनिफिट को साझा कर सकता है।

नॉमिनी का कैंसिलेशन - मान लीजिए आप नामिनी से संतुष्ट नहीं हैं या कुछ समय के बाद आपको कोई अन्य नॉमिनी बनने का पात्र लगता है तो आप पूर्व में चुने गए नॉमिनी को हटाकर उसकी जगह नया नॉमिनी चुन सकते हैं।

बीमा कवर पर नामित का विवरण - नामित से संबंधित जानकारी बीमा पॉलिसी दस्तावेज पर लिखित होनी चाहिए। इससे बीमा कंपनी को कानूनी रूप से नामित व्यक्ति को बीमा का लाभ देने में मदद मिलती है।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में क्या क्या कवर होता है)

पहले यह जान लें कि नॉमिनी केवल इन्शुरन्स जगत में ही नहीं, बल्कि कई अन्य सेक्टर जैसे ईपीएफ, बैंक या शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड जैसे कई निवेश माध्यमों में भी जरूरी होता है। अब रही बात नॉमिनी जरूरी क्यों होता है? तो बता दें, भले आप पॉलिसीधारक हों या किसी बैंक में खाताधारक, दोनों स्थिति में आपका कुछ पैसा या तो बैंक के पास जमा होगा या फिर बीमा कंपनी के पास। ऐसे में नॉमिनी का नाम इसलिए डलवाया जाता है ताकि बीमित व्यक्ति की मृत्यु के बाद बैंक या बीमा कंपनी पैसा न जब्त कर ले।

दूसरी तरफ, सभी बीमा पॉलिसियां इस तरह से डिजाइन की जाती हैं कि वह संकट के समय में आपको मदद पहुंचा सकें। इसमें गर्भावस्था को कवर करने के लिए मैटरनिटी हेल्थ इन्शुरन्स प्लान, पहले से मौजूद बीमारियों के लिए प्री एग्जिस्टिंग इलनेस प्लान, पूरे परिवार को कवर करने के लिए फैमिली फ्लोटर प्लान, उम्रदराज लोगों के लिए सीनियर सिटीजन हेल्थ इन्शुरन्स इत्यादि शामिल हैं। यानी स्वास्थ्य संबंधी जैसी भी दिक्कत है, उसके अनुसार हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी डिजाइन की गई हैं। यह सभी पॉलिसी सुनिश्चित करती हैं कि आपको या परिवार के सदस्य को स्वास्थ्य संबंधी लाभ मिल सके और यदि बीमित व्यक्ति की ट्रीटमेंट के दौरान मौत हो जाती है तो उसके नॉमिनी को बीमा का फायदा मिल सके, इसलिए नॉमिनी का होना जरूरी है।

बदलती जीवनशैली और खराब खानपान की वजह से बीमारियों का खतरा पहले से कहीं ज्यादा बढ़ चुका है। दूसरी तरफ कोरोना वायरस भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में लोग अक्सर इस तरह के सवाल पूछते हैं कि क्या उन्हें मेडिकल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेना चाहिए? और यदि लेना चाहिए तो उनके लिए सबसे अच्छा हेल्थ इन्शुरन्स कौन सा है? उत्तर सीधा है - स्वास्थ्य बीमा योजना मुसीबत के समय में आपकी व परिवार की आर्थिक रूप से मदद करता है। यह परिवार को एक अप्रत्याशित आघात से उबरने में मदद करता है।

नॉमिनी हेल्थ इन्शुरन्स सेक्टर में निम्नलिखित तरीके से फायदेमंद हो सकता है :

डिपेंडेंट्स् को सपोर्ट करना
यदि आप अपने परिवार के सदस्य को नामित करते हैं और यदि ट्रीटमेंट के दौरान आपकी मौत हो जाती है, तो ऐसे में बीमा कंपनी आपके न रहने पर परिवार की आर्थिक सहायता करती है। बीमा कंपनी पहले से तय सम इनश्योर्ड नामित व्यक्ति को ट्रांसफर कर देती है। इससे परिवार वालों को दुख से उबरने में मदद मिलती है साथ ही पैसों को लेकर उन्हें परेशान नहीं होना पड़ता है।

जटिलताओं को दूर करना
नामित करने से बीमा कंपनियों के लिए जटिलताएं खत्म हो जाती हैं। यदि बीमा पॉलिसी में किसी को नामित नहीं किया गया है, तो बीमाकर्ता को मुआवजे के लिए सही व्यक्ति का चयन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसलिए, पॉलिसीधारक होने के नाते आपको खुद से सही लाभार्थी के बारे में बीमा कंपनी को जानकारी दे देनी चाहिए।

मृत्यु लाभ साझा करना
पॉलिसी धारक चाहे तो एक से अधिक व्यक्ति को भी नॉमिनी बना सकता है। यदि पॉलिसीधारक ऐसा करता है, तो जितने लोगों को नॉमिनी बनाया गया है सभी के बीच मृत्यु लाभ समान रूप से साझा किया जाएगा। आप चाहें तो हर नॉमिनी के लिए सम-इनश्योर्ड का कुछ फीसद भी तय कर सकते हैं। मान लीजिए यदि नामांकित व्यक्तियों में से किसी एक की मौत हो गई है, तो दूसरे नामांकित व्यक्ति को सुनिश्चित राशि दे दी जाएगी।

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सिंगल नॉमिनी : एक पॉलिसीधारक के पास यह विकल्प रहता है कि यदि मेडिकल ट्रीटमेंट के दौरान उसकी मौत हो जाती है तो बीमा राशि उसके द्वारा नामित किसी एक व्यक्ति को दे दी जाए।
मल्टीपल नॉमिनी : इसमें पॉलिसीधारक अपने परिवार के कई सदस्यों या दोस्तों को नॉमिनी बना सकता है, ऐसे में बीमा राशि सभी नॉमिनी के बीच साझा की जाएगी।

सिंगल नॉमिनी : नामित व्यक्ति कैशलेस या रिइम्बर्समेंट तरीके से क्लेम कर सकता है, जिसमें सम इन्श्योर्ड सीधे नामित व्यक्ति के खाते में स्थानांतरित कर दी जाती है।
मल्टीपल नॉमिनी : सम इनश्योर्ड पाने के बाद, कई नामित लोग वित्तीय लाभों को आपस में साझा कर सकते हैं।

सिंगल नॉमिनी : सिंगल नॉमिनी कानूनी रूप से कोई उत्तराधिकारी, पति या पत्नी या माता-पिता में से एक हो सकता है।
मल्टीपल नॉमिनी : मल्टीपल नॉमिनी आपके परिवार के सदस्य, करीबी दोस्त या बच्चे हो सकते हैं।

यदि नामित व्यक्ति की उम्र 18 वर्ष से कम है, तो उसे नाबालिग माना जाएगा। हालांकि, एक पॉलिसीधारक नाबालिग व्यक्ति को नामित कर सकता है, लेकिन जब तक वह नाबालिग 18 वर्ष की आयु तक पहुंच नहीं जाता, तब तक बीमा राशि प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं होगा। अब मान लीजिए कि नामित व्यक्ति 18 साल से कम उम्र का है, और इस बीच बीमित व्यक्ति की मेडिकल ट्रीटमेंट के दौरान मौत हो जाती है तो ऐसे में बीमित व्यक्ति द्वारा घोषित राशि का भुगतान नियुक्त व्यक्ति को किया जाएगा।

स्वास्थ्य बीमा के मामले में यदि बीमित व्यक्ति की अस्पताल में भर्ती होने के दौरान मौत हो जाती है तो ऐसे में नामित व्यक्ति को मेडिकल बिल, मृत्यु प्रमाण पत्र, पहचान पत्र और संबंध प्रमाण पत्र जमा करके रिइम्बर्समेंट के लिए क्लेम करना होता है। रिइम्बर्समेंट क्लेम करने का एक तरीका है, जिसमें पहले बिल जमा कर दिया जाता है, इसके बाद बीमा कंपनी को जरूरी कागजात दिखाने होते हैं। जब कंपनी कागजातों का सत्यापन कर लेती है और सब कुछ नियम व शर्तों के तहत पाया जाता है, तो वह पैसे सीधे अकाउंट में ट्रांसफर कर देती है।

ग्रुप पॉलिसियों में, नॉमिनी की घोषणा पॉलिसी जारी होने के समय की जा सकती है। अगर ग्रुप पॉलिसी में नॉमिनी को पहले घोषित नहीं किया जाता है, तो कानूनी उत्तराधिकारी को बीमा राशि दे दी जाती है।

नॉमिनी से जुड़ी कुछ जरूरी बातें -

  • नामित व्यक्ति से संबंधित पूरी जानकारी देनी चाहिए
  • नामित व्यक्ति को बदला भी जा सकता है
  • जरूरत पड़ने पर एक नाबालिग को भी नामित किया जा सकता है। यदि इस दौरान बीमित व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उस नाबालिग के 18 साल होने के बाद ही बीमा की राशि दी जाएगी।

लाइफ इन्शुरन्स  के मामले में, मान लीजिए बीमित व्यक्ति की अचानक से मौत हो जाती है तो ऐसे में नामित व्यक्ति को क्या करना चाहिए? जवाब सीधा है - नॉमिनी को जल्द से जल्द बीमा कंपनी को इस बारे में जानकारी देनी चाहिए। प्राकृतिक रूप से हुई मृत्यु के मामले में मृत्यु प्रमाण पत्र, आयु प्रमाण पत्र, बीमा पॉलिसी की ओरिजनल कॉपी और नामित पहचान प्रमाण जमा करना होगा। यदि मृत्यु किसी दुर्घटना की वजह से हुई है, तो एफआईआर की कॉपी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी देनी होगी।

(और पढ़ें - क्लेम सेटलमेंट के दौरान पॉलिसीधारक की जिम्मेदारियां)

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