'जिंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ में है जांहपनाह। उसे न तो आप बदल सकते हैं न ही मैं' फिल्म 'आनंद' का यह डायलॉग सिर्फ एक डायलॉग नहीं बल्कि सच्चाई है। मौत कभी भी दरवाजा खटखटाकर नहीं आती है, न ही कोई व्यक्ति पहले से जान सकता है कि उसे मौत कब आएगी। यही जीवन का आनंद भी है। जब तक हम जीवित होते हैं, भविष्य के लिए कुछ न कुछ तैयारियां करते रहते हैं। बीमारी या एक्सीडेंट की हालत में उचित इलाज के लिए हम सब हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी लेते हैं, ताकि पैसों की किल्लत के कारण मौत गले न लगा ले। ऐसा भी नहीं है कि आपके पास हेल्थ इन्शुरन्स प्लान है तो मौत नहीं आएगी। ऐसे में प्रश्न ये उठता है कि यदि प्रपोजर या किसी अन्य बीमित व्यक्ति की मौत हो जाए तो फिर हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी का क्या होगा? चलिए इस आर्टिकल में इसी विषय को समझते हैं -
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