स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का समय पर नवीनीकरण होने से निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं :
लगातार प्रोटेक्शन बने रहना : ज्यादातर स्वास्थ्य बीमा कंपनियां एक निश्चित आयु के बाद ग्राहकों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान नहीं करती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि लोगों को आमतौर पर बुढ़ापे में पहले से मौजूद बीमारियां या क्रोनिक मेडिकल कंडीशन प्रभावित करती हैं। ऐसे में जरूरी है कि समय पर स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को रिन्यू कराया जाए, ताकि पॉलिसी लैप्स होने का डर न रहे और आपके पास बीमा के लाभ मिलने का अवसर बना रहे।
टैक्स बेनिफिट : स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदने पर, पॉलिसीधारक आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80डी के तहत टैक्स में लाभ पाने के लिए पात्र हो जाता है। टैक्स बेनिफिट प्राप्त करना जारी रखने के लिए, व्यक्ति को अपनी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को समय पर रिन्यू करना अनिवार्य है।
(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स से मिलने वाले इनकम टैक्स के लाभ)
महंगे प्रीमियम के जोखिम से बचना : हेल्थ इन्शुरन्स जगत में आप जितनी कम उम्र में बीमा पॉलिसी लेंगे, उतना ही अच्छा माना जाता है। यही नहीं, पॉलिसी आसानी से व कम प्रीमियम के साथ मिलती है। इसलिए, यदि किसी व्यक्ति की मौजूदा स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी समाप्त हो जाती है, तो ऐसे में उसे दोबारा से उसी प्रीमियम पर नई पॉलिसी नहीं मिल पाएगी।
स्वास्थ्य बीमा आवश्यकताओं की पूर्ति : जब आप पॉलिसी रिन्यू करने वाले होते हैं, तो बता दें ऐसे में सबसे जरूरी 'हेल्थ इन्शुरन्स रिक्वॉयरमेंट' होता है, जिसका मतलब अपनी पॉलिसी की समीक्षा करके उन एडऑन सर्विस पर ध्यान देना, जिन्हें आप अपनी मौजूदा पॉलिसी में जोड़ना चाहते हैं। किसी एडऑन सर्विस को केवल रिन्यू के समय ही जोड़ा जा सकता है, इसके उदाहरण में बच्चा हो जाना या कोई नई बीमारी का निदान होना इत्यादि शामिल है। हालांकि, एडऑन सर्विस के लिए आपको अतिरिक्त कवरेज तो मिलेगा, लेकिन इसका असर प्रीमियम पर भी पड़ेगा।
पोर्टेबिलिटी विकल्प : पॉलिसी रिन्यू के समय सबसे जरूरी चीजों में पोर्टेबिलिटी विकल्प का होना शामिल है। बता दें, भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) पॉलिसीधारकों को पॉलिसी रिन्यू के समय एक ऐसा विकल्प देता है, जिसमें यदि वे मौजूदा बीमा कंपनी से संतुष्ट नहीं हैं तो दूसरी बीमा कंपनी चुन सकते हैं। जबकि उनकी पॉलिसी वही रहेगी जो चल रही थी। हालांकि, पॉलिसी की समय सीमा समाप्त होने से कम से कम 45 दिन पहले आपको इस बारे में अपनी बीमा कंपनी को सूचित करना होगा। ऐसा करने से पॉलिसीधारक 'नो क्लेम बोनस' का भी लाभ ले सकता है और उसे दोबारा से 'वेटिंग पीरियड' भी नहीं काटना पड़ेगा। इसलिए यदि आप अपनी बीमा कंपनी से असंतुष्ट हैं तो रिन्यू के समय पोर्टेबिलिटी विकल्प पर विचार कर सकते हैं।