हम रोजाना घर से बाहर किसी न किसी काम से निकलते हैं और ढेरों सावधानियां बरतने के बावजूद रोड पर एक्सीडेंट को लेकर हमेशा ही जोखिम बना रहता है। कई बार तो हम या हमारे परिजन एक्सीडेंट का शिकार भी हो जाते हैं। ऐसे में जितना जरूरी समय रहते हॉस्पिटल जाना है उतना ही पैसों का प्रबंधन करना भी होता है। अक्सर देखा गया है जब मेडिकल इमर्जेंसी जैसी स्थिति सामने आती है तो हॉस्पिटल अपनी आपात सेवाओं के लिए भारी-भरकम बिल बना देते हैं, ऐसे में तेजी से पैसे खत्म होने लगते हैं। लेकिन जिसके पास सेविंग्स नहीं है, वह मजबूरी में तुरंत किसी दोस्त या रिश्तेदार से पैसे उधार मांगने लगते हैं। इस अनचाही स्थितियों को देखते हुए ही पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स जैसी सुविधाओं को डिजाइन किया गया है, जो न सिर्फ जरूरत पड़ने पर पैसे मैनेज करने का जिम्मा उठाती हैं बल्कि अन्य सेवाएं भी देती हैं, जिससे आप बेहतर जगह से इलाज करा सकते हैं।

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  1. पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स क्या है - Personal Accident Insurance in Hindi
  2. निष्कर्ष - Conclusion in Hindi
  3. पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स क्या-क्या कवर करता है? - Personal Accident Insurance Coverage in Hindi
  4. पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स की विशेषताएं - Features of Personal Accident Insurance in Hindi
  5. पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स किसे लेना चाहिए - Is it necessary to have Personal Accident Insurance in Hindi
  6. पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स की जरूरत क्यों है? - Do I need Personal Accident Insurance in Hindi
  7. पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स के प्रकार - Types of Personal Accident Insurance Policy in Hindi

हालांकि, एक्सीडेंट जैसी स्थिति में myUpchar बीमा प्लस जैसी हेल्थ इन्शुरन्स के तहत भी आपका इलाज हो सकता है। लेकिन पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स का महत्व कुछ और ही है। यह बीमा कंपनी और बीमा कराने वाले व्यक्ति के बीच एक तरह का समझौता होता है, जिसके तहत यदि बीमित व्यक्ति कभी किसी दुर्घटना की वजह से स्थायी विकलांग हो जाता है तो ऐसे में वह बीमा कंपनी से मुआवजे की मांग कर सकता है। इसमें मृत्यु को भी शामिल किया जाता है, जिसमें बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर नॉमिनी को मुआवजा दिया जाता है। ऐसे में उसके परिवार को पैसों से जुड़ी दिक्कतों को लेकर जूझना नहीं पड़ता है।

(और पढ़ें - मेडिक्लेम पॉलिसी और हेल्थ इन्शुरन्स में क्या फर्क है)

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आमतौर पर रोड पर ज्यादा निकलने की वजह से दुर्घनाओं का जोखिम बना रहता है। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में आप जितनी भी सावधानी बरतें, लेकिन कहीं न कहीं से चूक हो ही जाती है। ऐसे में पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स न सिर्फ आपके बल्कि परिजनों के लिए भी बेहद फायदेमंद हो सकता है। बता दें, कुछ जीवन बीमा पॉलिसी में भी पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स को राइडर के तौर पर कवर किया जाता है।

(और पढ़ें - भारत में सबसे अच्छी कैशलेस मेडिक्लेम पॉलिसी कौन सी है)

पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स मुख्य तौर पर निम्नलिखित चार पॉइंट्स कवर करता है-

पर्मानेंट पार्शियल डिसेबिलिटी - Permanent Partial Disability in Hindi

पर्मानेंट पार्शियल डिसेबिलिटी : ​इसमें जब व्यक्ति के सामने आंशिक विकलांगता जैसी स्थिति आती है तो ऐसे मामले में उसे बीमा राशि का कुछ प्रतिशत या 100% लाभ दिया जाएगा। बता दें, यहां आंशिक (Partial) विकलांगता का मतलब एक या एक से अधिक अंगों का सही से कार्य न करना है या यूं कहें कि कार्य करने की क्षमता कम हो जाना है। अब मान लीजिए कि यदि आंशिक विकलांगता का इलाज नहीं है तो इसे पर्मानेंट डिसेबिलिटी माना जाता है।

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पर्मानेंट डिसेबिलिटी - Permanent Disability Cover in Hindi

पर्मानेंट डिसेबिलिटी : इसमें एक्सीडेंट की वजह से स्थायी रूप से विकलांग हो जाने पर पॉलिसीधारक को उस राशि का भुगतान कर दिया जाता है, जो अनुबंध यानी एग्रीमेंट के समय तय हुई थी।

एक्सीडेंटल डेथ कवर - Accidental Death Cover in Hindi

एक्सीडेंटल डेथ कवर : जब बीमा कराने वाले व्यक्ति की किसी एक्सीडेंट की वजह से मौत हो जाती है, तो नामित व्यक्ति को पॉलिसी की बीमा राशि का भुगतान किया जाता है।

पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स की विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं -

दुनिया भर में कवरेज - Worldwide coverage in Hindi

ज्यादातर प्रकार के इन्शुरन्स में भौगोलिक सीमाएं होती है, इसका मतलब है कि वे भारत के बाहर होने वाली किसी भी दुर्घटना के लिए मुआवजे नहीं देती हैं। लेकिन पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स में कोई सीमा नहीं है। मान लीजिए आप देश से बाहर हैं और किसी दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं तो पॉलिसी बॉन्ड के तहत आपको या आपके नॉमिनी को कवरेज दिया जाएगा।

एम्बुलेंस शुल्क - Ambulance Expenses in Hindi

ज्यादातर बीमा कंपनियां एक्सीडेंट स्पॉट (एक्सीडेंट वाली जगह) से घायलों को अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस शुल्क को कवर करती हैं। जिस तरह मृत्यु हो जाने पर उसके नॉमिनी या परिवार को वित्तीय सुरक्षा देना जरूरी है, ठीक उसी तरह यह भी जरूरी है एक्सीडेंट जैसे मामलों में कैसे मैनेज किया जाए, ताकि विकलांगता के जोखिम को कम किया जा सके, ऐसे में जल्द से जल्द आपको एम्बुलेंस नंबर पर कॉल करना चाहिए।

पॉलिसी पर हस्ताक्षर करने से पहले पूरी तरह से यह सुनिश्चित करें कि आप पॉलिसी नियमों और शर्तों को जानते हैं।

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कम से कम दस्तावेज - Minimal documentation in Hindi

बहुत से लोग बीमा खरीदने से सिर्फ इसलिए परहेज करते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि इसकी प्रक्रिया झंझटभरी हो सकती है या इसमें बहुत सारा पेपर वर्क हो सकता है। जबकि सच्चाई यह है कि पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स लेने के दौरान आपको आवेदन पत्र में केवल मूल जानकारी देनी होती है और बीमा कंपनी पॉलिसी जारी कर देगी।

सामान्य जीवन शैली को बनाए रखने में मदद - Maintain usual lifestyle in Hindi

जब आप परिवार के किसी सदस्य को खोते हैं, तो शायद ही इससे बड़ा कोई दुख होगा। और यदि वे घर में कमाने वाले एकमात्र इंसान थे तो ऐसे में कमाई का जरिया भी ठप्प हो जाता है और परेशानियां बढ़ने लगती हैं। इस​ स्थिति में आप न सिर्फ आर्थिक स्थिति से जूझ रहे होते हैं, बल्कि मानसिक तौर पर भी काफी परेशान हो जाते हैं। ऐसे में पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स आपके जाने के बाद आपके परिवार को मुआवजा देता है। परिवार के सदस्य इस राशि का उपयोग सामान्य जीवन शैली को बनाए रखने के लिए कर सकते हैं।

मेडिकल टेस्ट - Medical Tests in Hindi

कुछ हेल्थ इन्शुरन्स की तरह पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स के लिए मेडिकल टेस्ट कराने की जरूरत नहीं होती है।

कम प्रीमियम दर - Low Premium Rate in Hindi

पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी प्रीमियम दर लाइफ व हेल्थ इन्शुरन्स की अपेक्षा कम होती है, जिसकी वजह से आपकी जेब पर अतिरिक्त भार नहीं आने पाता है। चलिए उदाहरण से समझते हैं - मान लीजिए यदि आप 15 लाख का पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स लेते हैं, तो इसके लिए आपको सलाना महज 3000 रुपये के आसपास देने की जरूरत होगी। देखा जाए तो मासिक रूप से यह रकम केवल 250-300 रुपये के बीच में है।

आसान क्लेम प्रोसेस - Easy Claim Process in Hindi

पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स खरीदते समय ज्यादातर लोग इस बात पर जरूर ध्यान देते हैं कि कहीं क्लेम प्रोसेस कठिन या लंबा तो नहीं है? फिलहाल बता दें, आप चाहें इंडिविजुअल एक्सीडेंट इन्शुरन्स लें या ग्रुप एक्सीडेंट इन्शुरन्स, आमतौर पर दोनों में ही क्लेम करने की प्र​क्रिया को आसान रखा जाता है। इसके लिए आपको बीमा कंपनी को केवल आवेदन (आप इसे ऑनलाइन या ऑफलाइन कर सकते हैं) करना होगा, इसके बाद कंपनी की तरफ से क्लेम का सत्यापन और राशि का भुगतान कर दिया जाता है।

(और पढ़ें - मेडिक्लेम इन्शुरन्स और हेल्थ इन्शुरन्स में क्या फर्क है?)

वित्तीय मदद - Financial Security in Hindi

एक्सीडेंट एक ऐसी घटना है जो दरवाजा खटखटाकर नहीं आती है। यह किसी के भी साथ हो सकता है और हॉस्पिटल की औपचारिकताएं पूरा करते-करते आपका सालों से बचाया हुआ पैसा चुटकियों में खत्म हो सकता है। ऐसे में पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स लेते समय आपने जितनी राशि का बीमा​ लिया है, उतनी ही राशि के रूप में बीमा कंपनी आपकी मदद कर सकती है।

एक्सीडेंट किसी के भी साथ और कभी भी हो सकता है, यह न उम्र देखता है और न लिंग। ऐसे में पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स लेने के लिए किसी विशेष कारण का होना जरूरी नहीं है। लेकिन तब भी यदि आप किसी विशेष वर्ग के बारे में जानना चाहते हैं तो पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स की जरूरत दफ्तर या व्यवसाय पर जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को है। इसके अलावा यदि आप भीड़-भाड़ वाले या बड़े शहर में कर्मचारी हैं, तो भी आपको इस तरह का इन्शुरन्स लेने के बारे में जरूर विचार करना चाहिए।

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ncrb.gov.in के अनुसार, भारत में 2018 में 4,45,514 रोड एक्सीडेंट की रिपोर्ट दर्ज हुईं, जबकि 2019 में 4,37,396 केसेज रिपोर्ट किए गए। इन एक्सीडेंट में आमतौर पर 18 से लेकर 45 वर्ष तक के लोग शामिल हैं। इसके अलावा भले आप अच्छी ड्राइविंग जानते हों, लेकिन कई बार दूसरों की गलती की वजह से भी आप चोटिल हो सकते हैं। ऐसे में हम पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स के महत्वत को समझ सकते हैं।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में क्या-क्या कवर होता है?)

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पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं -

ग्रुप एक्सीडेंट इन्शुरन्स - Group Accident Insurance in Hindi

ग्रुप एक्सीडेंट इन्शुरन्स एक ऐसा बीमा है जो अपने सदस्यों के लिए विकलांगता या मृत्यु जैसे मामलों में कवरेज देता है। आमतौर पर यह नियोक्ता (employers) द्वारा उनके कर्मचारियों के लिए ऑफर किया जाता है, लेकिन इन योजनाओं में विशेषताएं सीमित होती हैं।

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ग्रुप एक्सीडेंट इन्शुरन्स की विशेषताएं

  • इस तरह का बीमा क्लब, कॉर्पोरेट, संघ यानी एसोसिएशन, संस्थान और फर्म द्वारा अपने कर्मचारियों को दिया जाता है।
  • इसमें कुछ योजनाएं ऐसी भी होती है, जिसमें यदि बीमित व्यक्ति विकलांग या उसकी मृत्यु हो जाती है तो बीमा कंपनी उस व्यक्ति पर निर्भर बच्चों की पढ़ाई के लिए एकमुश्त रकम देती है।
  • आमतौर पर, इस तरह की पॉलिसी का टेन्योर एक साल के लिए होता है।
  • ज्यादातर इन्शुरन्स प्रोवाइडर (बीमा देने वाला) अपने संस्थान या फर्म के स्ट्रेंथ को देखते हुए छूट भी देते हैं।

इंडिविजुअल एक्सीडेंट इन्शुरन्स - Individual Accident Insurance in Hindi

इंडिविजुअल पूरी तरह से व्यक्तिगत बीमा है, यानी जो व्यक्ति एक्सीडेंट इन्शुरन्स कराता है केवल उसे ही बीमा का फायदा होता है।

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