हेल्थ इन्शुरन्स पर जीएसटी के क्या प्रभाव हैं
सभी प्रकार के इन्शुरन्स जीएसटी के अंतर्गत आते हैं, जिनमें हेल्थ इन्शुरन्स भी शामिल हैं। इसका मतलब है कि आप अपनी मेडिकल पॉलिसी के लिए जो प्रीमियम अदा करते हैं, उस पर 18% जीएसटी लगता है। हालांकि, जब से जीएसटी लागू किया गया है, तब से हेल्थ इन्शुरन्स पर होने वाला खर्च भी थोड़ा बढ़ गया है। पहले उनको हेल्थ इन्शुरन्स पर 15% प्रतिशत सर्विस टैक्स देना पड़ता है और अब उन्हें जीएसटी के रूप में 18% प्रतिशत देना पड़ता है।
आप हेल्थ इन्शुरन्स प्लान के अनुसार जो प्रीमियम अदा करते हैं, वह आपको विभिन्न चिकित्सा खर्चों के लिए व्यापक कवरेज प्रदान करता है, जो केवल अस्पताल में भर्ती होने तक ही सीमित नहीं है। बल्कि इससे अलावा भी इसके अनेक फायदे हैं। इसमें मुख्य रूप से अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद का मेडिकल खर्च, डे केयर ट्रीटमेंट, डायग्नोस्टिक टेस्ट और साथ ही साथ मैटरनिटी केयर संबंधी मेडिकल खर्च को भी हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में शामिल किया जाता है।
(और पढ़ें - लैब टेस्ट क्या है)
स्वास्थ्य बीमा में जीएसटी के रेट
हेल्थ इन्शुरन्स से संबंधित प्रोडक्ट्स पर जीएसटी प्रीमियम की पूरी राशि पर ही लगाई जाती है, जबकि ऐसा जीवन बीमा में नहीं होता है। यदि आप जीवन बीमाधारक हैं, तो जीएसटी केवल प्रीमियम वाले हिस्से (रिस्क कॉम्पोनेंट) पर ही लगती है। जबकि जीवनभर लाभ देने वाले निवेश घटक (इनवेस्टमेंट कॉम्पोनेंट) पर कोई जीएसटी नहीं लगती है। उदाहरण के तौर पर यदि आप 5 लाख की कवरेज राशि की कोई हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी खरीदते हैं, जिसका प्रीमियम सालाना 11 हजार रुपये है, तो उस पर जीएसटी का असर कुछ इस प्रकार होगा -
- जीएसटी से पहले
- यदि हम जीएसटी की बजाय इस पर सर्विस टेक्स लगाते हैं, तो 15% टैक्स के अनुसार आपके द्वारा भुगतान किया जाने वाला प्रीमियम कुछ इस प्रकार होगा -
- (11,000 पर 15% जीएसटी) = 1650 + 11000 = 12,650
- जीएसटी के बाद
- जैसा कि आपको पता है, सरकार द्वारा हेल्थ इन्शुरन्स पर 18% जीएसटी लगाई गई है, तो उसके अनुसार आपके द्वारा भुगतान किया जाने वाला प्रीमियम कुछ इस प्रकार होगा -
- (11,000 पर 18% जीएसटी) = 1980 + 11000 = 12,980
(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में क्या कवर नहीं होता है?)
प्रश्न यह है कि बीमाधारकों के लिए जीएसटी ने हेल्थ इन्शुरन्स पर सिर्फ नकारात्मक प्रभाव ही नहीं डाला है या कुछ सकारात्मक प्रभाव भी हैं?
प्रीमियम बढ़ने के कारण बीमाकर्ता कंपनियों को अपने ग्राहक कम होने का खतरा रहता है और इस प्रकार इन्शुरन्स कंपनियां कम कीमत पर प्लान देने की कोशिश करती हैं। ऐसे में ग्राहकों को लुभाने के लिए कंपनियां बीमा खरीदने की प्रक्रिया को जितना हो सके आसान बनाने की कोशिश भी करती हैं।
जीएसटी देश की सरकार की आय को बढ़ाने में मदद करती है और साथ ही साथ इससे सरकार का टैक्स सिस्टम भी सरल व पारदर्शी हो जाता है। किसी देश की टैक्स प्रणाली में जितनी पारदर्शिता आती है, उस देश की अर्थव्यवस्था उतनी ही तेजी से आगे बढ़ती है।
हेल्थ इन्शुरन्स या स्वास्थ्य बीमा अप्रत्याशित रूप से आने वाली बीमारियों पर होने वाले खर्च से हमको बचाता है। बढ़ती महंगाई और गंभीर बीमारियों के इस दौर को देखते हुए अपने व अपने परिवार के लिए हेल्थ इन्शुरन्स खरीद लेना एक अच्छा विकल्प है। यह आपको स्वास्थ्य की दृष्टि से किसी गंभीर बीमारी के दौरान वित्तीय सहायता प्रदान करता है, ताकि आप निश्चिंत होकर बीमारी से लड़ सकें। इसलिए यदि आपने अभी तक हेल्थ इन्शुरन्स प्लान नहीं खरीदा है, तो जल्द ही कोई कम प्रीमियम और अधिक कवरेज वाला प्लान खरीद लें।
(और पढ़ें - सबसे सस्ता हेल्थ इन्शुरन्स कौन सा है)