आपने जीएसटी यानि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के बारे में तो सुना ही होगा, जिसे भारत सरकार ने 2017 में लागू किया था। सरकार द्वारा गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स लाना अपने आप में एक अहम निर्णय था, जिसकी मदद से लोगों को वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले अलग-अलग प्रकार के करों से राहत मिली। जीएसटी को कई प्रकार की वस्तुओं (गुड्स) और सेवाओं (सर्विसेज) पर लगाया जाता है, जिसमें स्वास्थ्य बीमा भी शामिल है।

हेल्थ इन्शुरन्स में जीएसटी 18 प्रतिशत की दर से लगाया जाता है। इससे पहले बीमा पर टैक्स 15 प्रतिशत था, जिसमें सर्विस टैक्स 14 प्रतिशत, स्वच्छ भारत उपकर (swachh bharat cess) 0.5 प्रतिशत और कृषि कल्याण उपकर (krishi kalyan Cess) 0.5 शामिल थे।

इस आर्टिकल की मदद से हम आपको बताने की कोशिश करेंगे कि हेल्थ इन्शुन्स पर जीएसटी का क्या प्रभाव पड़ा है। हालांकि, सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि जीएसटी वास्तव में होता क्या है -

  1. जीएसटी क्या है - What is GST in Hindi
  2. हेल्थ इन्शुरन्स पर जीएसटी का प्रभाव - GST impact on Health insurance in Hindi

जीएसटी किसे कहा जाता है?

जीएसटी एक विशेष टैक्स है, जिसे घरेलू सामान, भोजन, कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद आदि विभिन्न वस्तुओं और परिवहन, रियल एस्टेट, इन्शुरन्स आदि जैसी सेवाओं के उपभोग के अनुसार लगाया जाता है। जीएसटी आमतौर पर चार प्रकार का होता होता है, जो इस प्रकार है -

  • सेंट्रल जीएसटी (सीजीएसटी) -
    हर लेन देन के दौरान जीएसटी का एक हिस्सा केंद्र सरकार के पास जाता है, जिसे सीजीएसटी कहा जाता है।
     
  • स्टेट जीएसटी (एसजीएसटी) -
    हर लेन देन पर लगने वाली जीएसटी का कुछ हिस्सा राज्य सरकार के पास जाता है, जिसे स्टेट जीएसटी या एसजीएसटी कहा जाता है।
     
  • इंटीग्रेटेड जीएसटी (आईजीएसटी) -
    दो राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के बीच कोई लेन-देन होने पर जीएसटी लगाया जाता है, जिसे आईजीएसटी कहा जाता है। यदि किसी राज्य और दूसरे देश के बीच कोई लेन-देन होता है, तो भी आईजीएसटी लगता है।
     
  • यूनियन टेरिटरी जीएसटी (यूजीएसटी) -
    केंद्र शासित प्रदेशों के बीच लेनदेन पर लगने वाली जीएसटी को यूजीएसटी कहा जाता है।

अलग-अलग वस्तुओं व सेवाओं के आधार पर पांच स्लैब में जीएसटी लगाया जाता है, जिसमें 0%, 5%, 12%, 18% और 28% शामिल हैं। स्वास्थ्य बीमा से संबंधित उत्पादों पर 18% जीएसटी लगता है।

जीएसटी लगने के बाद वस्तुओं और सेवाओं पर सभी केंद्रीय व राज्य स्तर पर लगने वाले टैक्स हट जाते हैं, जैसे एक्साइज ड्यूटी, वीएटी, लग्जरी टैक्स और एंटरटेनमेंट टैक्स आदि। जीएसटी दो मुख्य टैक्सों से मिलकर बना है, जिन्हें सेंट्रल जीएसटी और स्टेट जीएसटी कहा जाता है। इन दोनों को जीएसटी में एक समान रूप से विभाजित किया जाता है। वर्तमान में बिना जीएसटी के नियमों के अनुसार वस्तुओं पर टैक्स 27 से 32 प्रतिशत रहता है और सेवाओं पर 15 प्रतिशत टैक्स लगता है।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में क्या-क्या कवर होता है?)

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हेल्थ इन्शुरन्स पर जीएसटी के क्या प्रभाव हैं

सभी प्रकार के इन्शुरन्स जीएसटी के अंतर्गत आते हैं, जिनमें हेल्थ इन्शुरन्स भी शामिल हैं। इसका मतलब है कि आप अपनी मेडिकल पॉलिसी के लिए जो प्रीमियम अदा करते हैं, उस पर 18% जीएसटी लगता है। हालांकि, जब से जीएसटी लागू किया गया है, तब से हेल्थ इन्शुरन्स पर होने वाला खर्च भी थोड़ा बढ़ गया है। पहले उनको हेल्थ इन्शुरन्स पर 15% प्रतिशत सर्विस टैक्स देना पड़ता है और अब उन्हें जीएसटी के रूप में 18% प्रतिशत देना पड़ता है।

आप हेल्थ इन्शुरन्स प्लान के अनुसार जो प्रीमियम अदा करते हैं, वह आपको विभिन्न चिकित्सा खर्चों के लिए व्यापक कवरेज प्रदान करता है, जो केवल अस्पताल में भर्ती होने तक ही सीमित नहीं है। बल्कि इससे अलावा भी इसके अनेक फायदे हैं। इसमें मुख्य रूप से अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद का मेडिकल खर्च, डे केयर ट्रीटमेंट, डायग्नोस्टिक टेस्ट और साथ ही साथ मैटरनिटी केयर संबंधी मेडिकल खर्च को भी हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में शामिल किया जाता है।

(और पढ़ें - लैब टेस्ट क्या है)

स्वास्थ्य बीमा में जीएसटी के रेट

हेल्थ इन्शुरन्स से संबंधित प्रोडक्ट्स पर जीएसटी प्रीमियम की पूरी राशि पर ही लगाई जाती है, जबकि ऐसा जीवन बीमा में नहीं होता है। यदि आप जीवन बीमाधारक हैं, तो जीएसटी केवल प्रीमियम वाले हिस्से (रिस्क कॉम्पोनेंट) पर ही लगती है। जबकि जीवनभर लाभ देने वाले निवेश घटक (इनवेस्टमेंट कॉम्पोनेंट) पर कोई जीएसटी नहीं लगती है। उदाहरण के तौर पर यदि आप 5 लाख की कवरेज राशि की कोई हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी खरीदते हैं, जिसका प्रीमियम सालाना 11 हजार रुपये है, तो उस पर जीएसटी का असर कुछ इस प्रकार होगा -

  • जीएसटी से पहले
    • यदि हम जीएसटी की बजाय इस पर सर्विस टेक्स लगाते हैं, तो 15% टैक्स के अनुसार आपके द्वारा भुगतान किया जाने वाला प्रीमियम कुछ इस प्रकार होगा -
    • (11,000 पर 15% जीएसटी)  = 1650 + 11000 = 12,650
       
  • जीएसटी के बाद
    • जैसा कि आपको पता है, सरकार द्वारा हेल्थ इन्शुरन्स पर 18% जीएसटी लगाई गई है, तो उसके अनुसार आपके द्वारा भुगतान किया जाने वाला प्रीमियम कुछ इस प्रकार होगा - 
    • (11,000 पर 18% जीएसटी)  = 1980 + 11000 = 12,980

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में क्या कवर नहीं होता है?)

प्रश्न यह है कि बीमाधारकों के लिए जीएसटी ने हेल्थ इन्शुरन्स पर सिर्फ नकारात्मक प्रभाव ही नहीं डाला है या कुछ सकारात्मक प्रभाव भी हैं?

प्रीमियम बढ़ने के कारण बीमाकर्ता कंपनियों को अपने ग्राहक कम होने का खतरा रहता है और इस प्रकार इन्शुरन्स कंपनियां कम कीमत पर प्लान देने की कोशिश करती हैं। ऐसे में ग्राहकों को लुभाने के लिए कंपनियां बीमा खरीदने की प्रक्रिया को जितना हो सके आसान बनाने की कोशिश भी करती हैं।

जीएसटी देश की सरकार की आय को बढ़ाने में मदद करती है और साथ ही साथ इससे सरकार का टैक्स सिस्टम भी सरल व पारदर्शी हो जाता है। किसी देश की टैक्स प्रणाली में जितनी पारदर्शिता आती है, उस देश की अर्थव्यवस्था उतनी ही तेजी से आगे बढ़ती है।

हेल्थ इन्शुरन्स या स्वास्थ्य बीमा अप्रत्याशित रूप से आने वाली बीमारियों पर होने वाले खर्च से हमको बचाता है। बढ़ती महंगाई और गंभीर बीमारियों के इस दौर को देखते हुए अपने व अपने परिवार के लिए हेल्थ इन्शुरन्स खरीद लेना एक अच्छा विकल्प है। यह आपको स्वास्थ्य की दृष्टि से किसी गंभीर बीमारी के दौरान वित्तीय सहायता प्रदान करता है, ताकि आप निश्चिंत होकर बीमारी से लड़ सकें। इसलिए यदि आपने अभी तक हेल्थ इन्शुरन्स प्लान नहीं खरीदा है, तो जल्द ही कोई कम प्रीमियम और अधिक कवरेज वाला प्लान खरीद लें।

(और पढ़ें - सबसे सस्ता हेल्थ इन्शुरन्स कौन सा है

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