यह तो आप भी मानते होंगे कि किसी बीमारी या एक्सीडेंट के समय पैसों की किल्लत से बचना और सही समय पर उचित इलाज मिल जाना ही किसी भी हेल्थ इन्शुरन्स की प्रमुख बात है। हर इन्शुरन्स में बीमारियां कवर होती हैं। अब प्रश्न उठता है कि हेल्थ इन्शुरन्स के तहत इलनेस कवर कितने तरह का होता है। इलनेस कवर के कुछ भेद निम्न हैं -
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एक्यूट इलनेस कवर - इसके तहत हर वो आम बीमारी कवर होती है, जिससे भविष्य में आप संक्रमित हो सकते हैं। इस तरह की बीमारियों के लिए आमतौर पर हेल्थ इन्शुरन्स लेने के 30 दिन बाद बाद कवरेज मिलना शुरू हो जाता है। यदि आप myUpchar बीमा प्लस हेल्थ इन्शुरन्स प्लान लेते हैं तो आपको 30 दिन बाद एक्यूट इलनेस के साथ ही पहले ही दिन से मुफ्त ऑनलाइन कंसल्टेशन की भी सुविधा मिलती है।
क्रोनिक या क्रिटिकल इलनेस कवर - इसके तहत वह गंभीर बीमारियां आती हैं, जिनका असर व्यक्ति पर लंबे समय तक रहता है। यदि आप पॉलिसी को लगातार 2 साल या 4 साल तक बिना किसी लैप्स के चलाते हैं तो इस तरह की कई बीमारियों को हेल्थ इन्शुरन्स के तहत कवरेज मिल जाती है। यही नहीं 28-42 कुछ ऐसी क्रिटकल इलनेस हैं, जिनके लिए आप अलग से भी एक पॉलिसी खरीद सकते हैं। ऐसी पॉलिसी को क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी कहा जाता है और बीमारी का निदान होते ही कंपनी आपके अकाउंट में आपके चुने सम-इनश्योर्ड की राशि को ट्रांस्फर कर देती है।
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प्री-एग्जिस्टिंग इलनेस कवर - इसके तहत उन बीमारियों को रखा जाता है, जो इन्शुरन्स लेने से 48 महीने पहले तक आपको हुए हों और उनका इलाज चल रहा हो। इन्शुरन्स पॉलिसी खरीदते समय जब आप ऐसी बीमारी होने की बात बताते हैं तो कंपनी आपको उसके लिए 24-48 महीने तक का वेटिंग पीरियड दे सकती है। यानी आपकी हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी ऐसी इलनेस को कवर तो कर सकती है, लेकिन उसके लिए वह आपको इंतजार करने को कहती है। कई बार इन्शुरन्स कंपनी आपको प्री-एग्जिस्टिंग इलनेस के कारण हेल्थ इन्शरन्स देने से इनकार कर सकती है, जबकि कई बार उस बीमारी को कवर करने के लिए आपसे अतिरिक्त प्रीमियम वसूला जाता है और साथ ही वेटिंग पीरियड भी दिया जाता है।
एक और तरह का इलनेस कवर होता है, लेकिन यह आपके साधारण हेल्थ इन्शुरन्स के अंतर्गत नहीं आता। यह इलनेस कवर किसी खास बीमारी के लिए अलग पॉलिसी के रूप में दिया जाता है। इस पॉलिसी में सिर्फ उसी बीमारी (इलनेस) या अंग के लिए कवरेज मिलती है। उदाहरण के लिए टेंटल केयर, कैंसर केयर, आई केयर इन्शुरन्स पॉलिसी।
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