कई बार ऐसी मेडिकल कंडीशन आपके सामने होती है, जिसमें आपको पता होता है कि आने वाले दिनों में आपको अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ेगी, ऐसे में आप अच्छे से सोच विचार कर लेते हैं कि किस दिन एडमिट होना ठीक रहेगा। इस सोच विचार के साथ एडमिट होने को प्लान्ड हॉस्पिटलाइजेशन कहा जाता है।
भर्ती होने के मामले में यह बात बड़ा महत्व रखती है कि आप इलाज के लिए सार्वजनिक अस्पताल जा रहे हैं या निजी? आपका उपचार कितना आवश्यक है? इसके अलावा आपको किस प्रकार के उपचार की जरूरत है।
अस्पताल में जाने से पहले, आमतौर पर डॉक्टर यह चेक करते हैं कि आपको किस प्रकार के उपचार की आवश्यकता है और क्या वास्तव में आपको उपचार या सर्जरी के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है। यह तय करने से पहले वे आपकी स्थिति का आकलन कर सकते हैं, जिसके लिए वे पहले कुछ टेस्ट लिख सकते हैं। यदि बीमित व्यक्ति को भर्ती होना पड़ेगा तो वे आपको स्पष्ट रूप से बता देंगे कि आपको अस्पताल में कितने दिन रुकने की जरूरत हो सकती है।
सार्वजनिक अस्पतालों में, वैकल्पिक (इलेक्टिव) सर्जरी के लिए आपका वेटिंग पीरियड इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी स्थिति कितनी गंभीर है। ऐसे अस्पतालों में, आप यह तय नहीं कर सकते कि आपको किस डॉक्टर से ट्रीटमेंट लेना है।
निजी यानी प्राइवेट अस्पतालों में, आपको आमतौर पर इलाज के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता है और आप यह तय कर सकते हैं कि किस डॉक्टर को दिखाना या इलाज करवाना चाहते हैं। हालांकि इस प्रकार के उपचार में सार्वजनिक अस्पतालों की अपेक्षा ज्यादा लागत आ सकती है।
प्लान्ड हॉस्पिटलाइजेशन के मामले में क्लेम कब करें
अब मान लीजिए आपने हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी से बीमा कराया है और आप भर्ती होने की स्थिति में क्लेम करना चाहते हैं, तो ऐसे में आपको हॉस्पिटल में भर्ती होने की तारीख से कम से कम 48 घंटे पहले अपनी हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी को इन्फॉर्म करना होता है। ऐसा न करने पर आप क्लेम नहीं कर पाएंगे और हेल्थ इन्शुरन्स लेने के बावजूद उसका फायदा नहीं उठा पाएंगे।