ईएसआई योजना अपने लाभार्थियों को बहुत सी सेवाएं प्रदान करती है। इसके तहत मिलने वाली कुछ सुविधाओं के बारे में नीचे बताया गया है -
मेडिकल - इस योजना के तहत बीमित व्यक्ति के स्वास्थ्य खर्च को एफोर्डेबल और उचित हेल्थ केयर फैसिलिटी के माध्यम से कवर किया जाता है। मजदूर या कर्मचारी इस योजना के तहत पहले ही दिन से इस कवरेज का लाभ ले सकता है।
मैटरनिटी - इस स्कीम के तहत लाभार्थी महिला 26 हफ्तों तक अपनी दैनिक मजदूरी का 100 फीसद लाभ पाने की हकदार होती है और इसे चिकित्सीय सलाह पर एक महीने के लिए और बढ़ाया जा सकता है। मिसकैरेज के मामले में 6 हफ्तों तक यह लाभ प्राप्त कर सकते हैं, जबकि बच्चा गोद लेने पर 12 हफ्तों का मैटरनिटी लाभ मिल सकता है।
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दिव्यांगता - अस्थायी दिव्यांगता के मामले में कर्मचारी पूरी तरह से ठीक होने तक अपने मासिक वेतन का 90 फीसद पाने का हकदार होता है। यदि दिव्यांगता स्थायी है तो उसे जीवनभर 90 फीसद मासिक वेतन दिया जा सकता है।
बीमारी - यदि कर्मचारी बीमार हो जाता है तो उसके दैनिक खर्चों के लिए कैश की सुविधा भी ईएसआई योजना में है। ऐसे में कर्मचारी को अधिकतम 91 दिनों तक उसकी दैनिक मजदूरी का 70 फीसद तक देने का प्रावधान है। इसे दो बार तक लिया जा सकता है।
बेरोजगारी - यदि किसी कारण से कर्मचारी बेरोजगार हो जाता है तो 24 माह तक उसे उसके मासिक वेतन का अधिकतम 50 फीसद तक सहायता राशि के रूप में दिया जा सकता है। इसमें किसी चोट के कारण स्थायी रूप से अपाहिज होना भी शामिल है।
आश्रित - कार्य के दौरान चोट लगने या बीमार होने पर कर्मचारी के आश्रितों को वित्तीय लाभ दिया जाता है। ऐसी स्थिति में आश्रित मासिक आय के हकदार होते हैं और सभी आश्रितों को बराबर राशि का भुगतान किया जाता है।
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कवरेज - इस स्कीम के तहत कर्मचारी और मजदूर को उनके रोजगार के पहले ही दिन से कवर किया जाता है। इसमें कर्मचारी और उसके आश्रित भी शामिल होते हैं।
अंतिम संस्कार की लागत - ईएसआईसी अंतिम संस्कार की लागत के रूप में 15 हजार रुपये की राशि प्रदान करती है। यह राशि उनके आश्रित या उस व्यक्ति को दी जाती है तो अंतिम संस्कार से जुड़े सभी कार्य करता है।
वोकेशनल रिहैब्लिटेशन - बीमाधारक की जरूरत के आधार पर ईएसआईसी यह सुविधा उपलब्ध करवाता है। यह सुविधा उन लोगों के लिए है जो स्थायी रूप दिव्यांग हो चुके हैं, ताकि वे वोकेशनल रिहैब्लिटेशन की प्रक्रिया से गुजर सकें।
फिजिकल रिहैब्लिटेशन - रोजगार से संबंधित चोट के कारण होने वाली किसी भी दिव्यांगता के मामले में बीमित व्यक्ति को यह लाभ दिया जाता है।
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