हेल्थ इन्शुरन्स में डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन या घर पर इलाज का मतलब ऐसी स्थिति से है जब किसी बीमित व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत हो, लेकिन किसी कारण घर पर ही इलाज किया जा रहा हो। दूसरे शब्दों में कहें तो किसी बीमारी या चोट के कारण जब घर पर ही रहकर डॉक्टरी इलाज करवाया जा रहा हो, तो उसे डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन कहते हैं। इस तरह के इलाज की अच्छी बात यह है कि ओपीडी से उलट इस इलाज के खर्च को हेल्थ इन्शुरन्स में कवर किया जाता है। डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन के बारे में विस्तार से इस लेख में पढ़ेंगे -

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  1. डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन किस स्थिति में कवर होता है - Conditions for Domiciliary Hospitalisation Cover in Hindi
  2. डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत कब होती है - When is Domiciliary Hospitalization required in Hindi?
  3. डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन में क्या कवर नहीं होता - Domiciliary Hospitalisation Expenses shall not cover in Hindi
  4. डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन में वार्षिक खर्च सीमा - Annual Limit for Domiciliary Hospitalisation Expenses in Hindi
  5. हेल्थ इन्शुरन्स में डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन का महत्व - Importance of Domiciliary Hospitalisation Cover in Health Insurance in Hindi
  6. डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन के बारे में ये भी जानें - Things to Know About Domiciliary Hospitalisation Cover in Hindi
  7. डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन विकल्प के लिए इन बातों का ध्यान रखें - Thing To Remember
  8. डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन के लिए क्लेम कैसे करें - How to Claim Reimbursement for Homecare Treatment in Hindi?

ऐसा नहीं है कि आपका मन अस्पताल जाने का नहीं है इसलिए आप अपनी किसी बीमारी या चोट का इलाज डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन के तहत घर पर ही करा लें। इसके लिए कुछ नियम और शर्तें हैं। चलिए जानते हैं - 

  • ऐसी स्थिति जिसमें मरीज को अस्पताल ले जाना संभव न हो।
  • जब अस्पताल में जगह न होने के कारण घर पर इलाज करवाना मजबूरी हो।

इन स्थितियों में भी तभी आपको डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन का लाभ या क्लेम मिल सकता है, जब साधारण परिस्थितियों में कम से कम तीन दिन तक इलाज चले, लेकिन उपरोक्त परिस्थितियों के कारण घर पर इलाज का विकल्प चुनना पड़ा हो। भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान जब अस्पतालों में बेड खाली नहीं थे तो उस दौरान कई लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होने के बावजूद घर पर ही रहकर इलाज करवाना पड़ा। इस तरह की स्थिति को ही डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन कहा जाता है।

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निम्न परिस्थितयों में डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन की आवश्यकता होती है -

  • जब डॉक्टर आपको घर पर रहकर इलाज करवाने का निर्देश दें।
  • पूरी कोशिश के बावजूद जब किसी मरीज के लिए अस्पताल में बेड उपलब्ध न हो पाए।
  • यदि किसी प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन या कई अन्य बीमारियों के कारण अस्पताल भर्ती करने से इनकार कर दें तो इस सेवा का लाभ उठाने की जरूरत पड़ सकती है।
  • कुछ हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन को अतिरिक्त राइडर के तौर पर जोड़ा जाता है, जबकि कुछ में यह नियमित लाभ की तरह पहले से मौजूद होता है। क्योंकि हेल्थ इन्शुरन्स में डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन अनिवार्य और मानक फीचर नहीं है, इसलिए अलग-अलग इन्शुरन्स कंपनियों में इसके लिए अलग-अलग नियम हैं। यहां तक कि एक ही कंपनी के अलग-अलग प्लान में भी अंतर हो सकता है।

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डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन में कई खर्चे ऐसे भी होते हैं, जिन्हें ज्यादातर इन्शुरन्स कंपनियां कवर नहीं करती हैं - 

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यदि आप अपनी हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी में डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन का लाभ जोड़ना चाहते हैं तो इस पर वार्षिक खर्च सीमा यानी कैपिंग का भी ध्यान रखें - 

  • एक पॉलिसी ईयर यानी पूरे सालभर में आप अपने कुल बीमा धन (सम-इनश्योर्ड) का 15 फीसद ही डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें भी अपर लिमिट की कैपिंग है और यह सालभर में 50 हजार से ज्यादा नहीं हो सकता। उदाहरण के साथ ऐसे समझें - अगर आपके पास तीन लाख के सम-इनश्योर्ड राशि वाली हेल्थ पॉलिसी है तो आप 45 हजार रुपये तक डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन पर खर्च कर सकते हैं। इसी तरह अगर आपका सम-इनश्योर्ड 10 लाख रुपये का है तो आपको सिर्फ 50 हजार रुपये का ही डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन बैनिफिट मिलेगा।
  • इसके अलावा डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन का लाभ सिर्फ आधुनिक इलाज (एलोपैथिक) में ही मिलता है। आप आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, नेचुरोपैथी, योग और सिद्ध जैसी चिकित्सा पद्धतियों के लिए डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन का लाभ नहीं ले सकते।

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बहुत से हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी धारकों के लिए डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन का फीचर बेहद महत्वपूर्ण है। हो भी क्यों नहीं, अगर वह अस्पताल जाने में असमर्थ हैं या अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं हैं तो यह फीचर उन्हें कुछ बीमारियों का घर पर ही रहकर अस्पताल जैसा इलाज उपलब्ध कराने की सुविधा देता है। इसके साथ एक और अच्छी बात यह है कि इससे परिवार के किसी अन्य सदस्य को भी मरीज के साथ रहने की जरूरत नहीं पड़ती। वह अपने घर पर रहकर अन्य कामों को निपटाते हुए मरीज का भी ध्यान रख सकते हैं। इसके साथ ही डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन के कारण परिवार के सदस्यों का काफी पैसा बचता है, जो उन्हें आमतौर पर बार-बार अस्पताल जाने पर खर्च करना पड़ता है।

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  • सबसे पहली चीज जो आपको जाननी है वह यह कि हर हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन कवर नहीं देती है।
  • यह किसी भी हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी का जरूरी फीचर नहीं है। आप चाहें तो कुछ अतिरिक्त प्रीमियम देकर आप यह कवर ले सकते हैं।
  • कई हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी में बीमाधन (सम-इनश्योर्ड) तक डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन कवर मिलता है, जबकि कुछ पॉलिसियों में इस पर एक खास राशि तक की कैपिंग होती है।
  • डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन के प्रकार और किस बीमारी का इलाज घर पर किया जाता है, उसके लिए भी कुछ मानदंड हैं।
  • कुछ इन्शुरन्स कंपनियां एलोपैथिक इलाज के दौरान कुछ खास खर्चों को ही डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन के तहत कवर करती हैं। हो सकता है होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक इलाज के लिए डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन कवरेज न मिले।
  • कोरोना कवच हेल्थ इन्शुरन्स के तहत ज्यादातर कंपनियां डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन को कवर करती हैं, बशर्ते कि डॉक्टर ने लिखित में ऐसा करने का सुझाव दिया हो।
  • आपको इन्शुरन्स कंपनी को इस बात के लिए मनाना होगा कि अस्पताल में भर्ती होना असंभव था और आपके सामने डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन के अलावा कोई अन्य विकल्प मौजूद नहीं था। इन्शुरन्स कंपनी जब आपकी बात से सहमत होगी, तभी आपको डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन का क्लेम मिलेगा। यदि आप अस्पताल जा सकते थे और बेड मिलने में भी कोई समस्या नहीं होती, इसके बावजूद आपने डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन को चुना तो इन्शुरन्स कंपनी आपको क्लेम देने से इनकार कर देगी।

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डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन जैसी सुविधा का लाभ उठाने के लिए आपको कई बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जैसे -

  • यदि आपको लगता है कि किसी आपात स्थिति में आपके लिए डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन महत्वपूर्ण होगा, तो एक ऐसा हेल्थ इन्शुरन्स प्लान खोजें जो प्राथमिकता के आधार पर ऐसा कवरेज देता हो।
  • डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन के लिए जिन चीजों की जरूरत होती है उन्हें अच्छे से समझ लें और देखें कि आप इसके लिए एलिजिबल हैं या नहीं।
  • आप जो हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी ले रहे हैं, यदि उसमें डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन को कवर किया जाता है तो एक बार इनक्लूजन और एक्सक्लूजन नियमों को जरूर पढ़ लें। कहीं ऐसा न हो कि जरूरत के समय आपको परेशान होना पड़े।
  • जब भी डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन के लिए क्लेम करें तो इन्शुरन्स कंपनी को सभी जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराएं।
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  • आपको इस बात का सुबूत पेश करना होगा कि आपको अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत थी और डॉक्टर ने ही डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन का सुझाव दिया। उदाहरण के तौर पर कोविड-19 के कई मामलों को देखा जा सकता है, जिसमें बहुत से लोगों ने डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन का लाभ लिया और बाद में क्लेम रिइम्बर्स करवाया।
  • क्लेम करते समय आपकी सभी जांच रिपोर्टें इन्शुरन्स कंपनी में जमा करवानी होंगी।
  • मेडिकल टेस्ट, उनके बिल और डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन भी जमा करवाना होगा।
  • सीटी स्कैन, एमआरआई और एक्स-रे फिल्म भी इन्शुरन्स कंपनी में जमा करवानी होंगी।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में क्लेम सेटलमेंट कैसे करें)

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