आजकल लगभग हर व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त है और ऐसे में हर किसी के लिए हेल्थ इन्शुरन्स खरीदना अनिवार्य हो गया है। स्वास्थ्य बीमा योजना खरीदने का मुख्य उद्देश्य आपके वित्तीय जोखिमों को कम करना होता है, ताकि कोई भी मेडिकल इमर्जेंसी होने पर आप निश्चिंत होकर अपना इलाज करवा सकें। स्वास्थ्य बीमा एक ऐसी सर्विस है जिसे खरीदने से पहले उसके बारे में पूरी तरह से जान लेना जरूरी है। यह भी हो सकता है कि आपको आपके द्वारा खरीदे जाने वाले हेल्थ इन्शुरन्स प्लान के बारे में पूरी जानकारी हो, लेकिन फिर भी कई चीजें छिपी रह जाती हैं। इसलिए हेल्थ इन्शुरन्स प्लान खरीदने से पहले उसके मुख्य घटकों के बारे में जानना जरूरी है, ताकि बाद में आपको कोई समस्या न हो।

इन्हीं घटकों में से एक है, डिडेक्टिबल जो अक्सर लोगों को भ्रमित कर देता है। हालांकि, यदि आसान शब्दों में कहा जाए तो यह बीमाकर्ता कंपनी के द्वारा निर्धारित की जाने वाली एक लिमिट है। यह क्लेम की राशि का एक छोटा हिस्सा है, जो आपको क्लेम प्राप्त करने से पहले अस्पताल में जमा करना पड़ता है। यदि आपके हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में डिडक्टिबल लागू किया गया है, तो आप जब भी बीमा कंपनी से क्लेम करते हैं, आपको हर बार डिडक्टिबल का भुगतान करना पड़ेगा। हेल्थ इन्शुरन्स में डिडक्टिबल लागू करने का मुख्य उद्देश्य बीमाधारक द्वारा अनावश्यक रूप से किए जाने वाले क्लेम को कम करना है। यदि आप हेल्थ इन्शुरन्स धारक हैं या फिर स्वास्थ्य बीमा खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो आप यह आर्टिकल पढ़कर डिडक्टिबल के बारे में जानकारी ले सकते हैं।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में क्या-क्या कवर होता है?)

  1. स्वास्थ्य बीमा में डिडक्टिबल क्या है - What is Deductible in Health Insurance in Hindi?
  2. डिडक्टिबल के प्रकार - Types of Deductible in Health Insurance in Hindi
  3. डिडक्टिबल के विकल्प को क्यों चुना जाता है? - Why should you choose deductible in Health Insurance in Hindi
  4. हेल्थ इन्शुरन्स में डिडक्टिबल के लाभ - Deductible benefit in Health Insurance in Hindi
  5. हेल्थ इन्शुरन्स में डिडक्टिबल के नुकसान - Disadvantages of Deductible in Health Insurance in Hindi
  6. क्या myUpchar बीमा प्लस में डिडक्टिबल देना होगा? - Will there be a deductible in myUpchar Bima Plus?

हेल्थ इन्शुरन्स में डिडक्टिबल वह राशि होती है, जिसे कोई भी मेडिकल इमर्जेंसी होने पर आपको अपनी जेब से अस्पताल में भरना पड़ता है। इसका मतलब है यदि आपको कोई मेडिकल इमर्जेंसी हो जाती है और उसपर होने वाला खर्च आपकी डिडक्टिबल अमाउंट से ज्यादा है, तो उसके बाद शेष राशि का भुगतान आपकी बीमाकर्ता कंपनी करती है। एक बीमाधारक के रूप में डिडक्टिबल का सबसे बड़ा लाभ यह है कि डिडक्टिबल की राशि जिनती अधिक होती है, प्रीमियम उतना ही कम होता है। यदि आप डिडक्टिबल के बारे में ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं, तो नीचे दिए गए उदाहरण की मदद से आप इसे समझ सकते हैं।

मान लीजिए आपका मेडिकल खर्च या क्लेम राशि 2,00,000 रुपये है और आपके स्वास्थ्य बीमा प्लान में 50,000 रुपये का डिडक्टिबल लागू है। ऐसे में आपको क्लेम की राशि प्राप्त करने के लिए अस्पताल में पहले 50,000 रुपये का भुगतान करना होगा और फिर उसके बाद आप 1,50,000 रुपये बीमाकर्ता कंपनी से ले सकते हैं या कंपनी सीधे अस्पताल में संपर्क करके बिल का भुगतान कर देती है।

(और पढ़ें - मेडिक्लेम इन्शुरन्स क्या है)

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हेल्थ इन्शुरन्स में डिडक्टिबल मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है, जिन्हें कंपल्सरी (अनिवार्य) और वॉलन्टरी (स्वैच्छिक) के नाम से जाना जाता है। हालांकि, अलग-अलग बीमाकर्ता कंपनियों ने कुछ अन्य नए डिडक्टिबल प्लान भी शामिल किए हैं। हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियों द्वारा शामिल किए जाने वाले डिडक्टिबल्स को निम्न लिस्ट में शामिल किया गया है -

  • कंपल्सरी डिडक्टिबल -
    बीमाकर्ता कंपनियों द्वारा लागू किए जाने वाले ये डिडक्टिबल प्लान अनिवार्य होते हैं। अलग-अलग बीमाकर्ता कंपनियों के अनुसार ये डिडक्टिबल भी एक-दूसरे से भिन्न हो सकते हैं। कंपल्सरी डिडक्टिबल एक निश्चित राशि होती है, जिसे बीमाधारक द्वारा हर बार क्लेम करने से पहले ही भरना होता है, जिसके बाद बीमाकर्ता कंपनी बाकी के बिल का भुगतान करती है।
     
  • वॉलन्टरी डिडक्टिबल -
    यह कंपल्सरी डिडक्टिबल से पूरी तरह से अलग होता है। इसमें आप अपनी इच्छा से डिडक्टिबल दे सकते हैं। वॉलन्टरी डिडक्टिबल को बेहतर माना जाता है, क्योंकि इसमें आपका मन करे तो आप डिडक्टिबल का भुगतान कर सकते हैं और अपनी इच्छानुसार राशि दे सकते हैं। साथ ही आप डिडक्टिबल के रूप में जितनी अधिक राशि देते हैं, बाद में आपके प्रीमियम में उतनी ही कटौती कर दी जाती है।
     
  • कॉम्प्रिहेन्सिव डिडक्टिबल -
    यह अकेला डिडक्टिबल होता है, जिसे आपकी सभी इन्शुरन्स पॉलिसियों पर लागू किया जाता है। डिडक्टिबल राशि तब तक जुड़ती रहती है, तब तक आप हेल्थ इन्शुरन्स प्लान की कुल राशि का भुगतान नहीं कर देते हैं।
     
  • नॉन-कॉम्प्रिहेन्सिव डिडक्टिबल -
    यह आपके हेल्थ इन्शुरन्स की कुछ विशेष कवरेज पर लागू किया जाता है। आपको सभी मेडिकल खर्चों के लिए नहीं, बल्कि इसकी बजाय कुछ विशेष स्थितियों में किए जाने वाले क्लेम से पहले इसका भुगतान करना पड़ता है।
     
  • क्यूमिलेटिव डिडक्टिबल -
    ये डिडक्टिबल आमतौर पर फैमिली फ्लोटर प्लान में ही लागू किए जाते हैं। इसमें परिवार के सभी सदस्यों पर डिडक्टिबल लागू किया जाता है। ऐसे में यदि परिवार में किसी एक व्यक्ति को कोई मेडिकल इमर्जेंसी होती है, तो उसके लिए क्लेम करने से पहले पूरे परिवार के डिडक्टिबल को भुगतान करना पड़ता है।

(और पढ़ें - सबसे अच्छा हेल्थ इन्शुरन्स कौन सा है?)

डिडक्टिबल से संबंधी कई ऐसे फीचर हैं, जिन्हें देखते हुए हेल्थ इन्शुरन्स में डिडक्टिबल होना या करवाना एक बेहतर विकल्प हो सकता है। डिडक्टिबल राशि का भुगतान करके प्रीमियम की राशि का कम किया जा सकता है, ऐसे में आपको हर बार अपेक्षाकृत कम पैसे भरने पड़ेंगे। यदि कंपनी आपको वॉलन्टरी डिडक्टिबल का फीचर ऑफर करती है, तो ऐसे में आप अपनी क्षमता अनुसार डिडक्टिबल राशि अदा कर सकते हैं। डिडक्टिबल में या तो एक निश्चित राशि होती है या फिर कुल कवरेज राशि के एक निश्चित प्रतिशत हिस्से को डिडक्टिबल के रूप में भुगतान करना पड़ता है। इसके अलावा डिडक्टिबल की राशि हर बीमाकर्ता कंपनी के अनुसार भी अलग-अलग हो सकती है।

डिडक्टिबल को हेल्थ इन्शुरन्स में शामिल करना इसलिए भी अच्छा विकल्प हो सकता है, क्योंकि छोटे-मोटे मेडिकल खर्च उठाने में आमतौर पर किसी को दिक्कत नहीं होती है और जब मेडिकल खर्च सीमित सीमा से ऊपर चला जाए तो हेल्थ इन्शुरन्स प्लान की मदद ली जा सकती है। हेल्थ इन्शुरन्स प्लान आपको आमतौर पर अधिक मेडिकल खर्च होने पर बचाता है और स्वास्थ्य पर जो छोटे-मोटे खर्च होते हैं उनका भुगतान आप खुद भी कर सकते हैं। हेल्थ इन्शुरन्स में यदि अधिक राशि को कवर किया गया है, तो भी वह उसके अनुसार पर्याप्त लाभ प्रदान कर देता है।

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भारत में बहुत ही कम लोगों के पास हेल्थ इन्शुरन्स प्लान होता है, जबकि आजकल की बीमारियों को देखते हुए हर व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य बीमा खरीदना जरूरी हो गया है। हेल्थ इन्शुरन्स में डिडक्टिबल के भी कुछ लाभ हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है -

  • यदि आपके हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में डिडक्टिबल का विकल्प भी है, तो वे आपके प्रीमियम को कम करने में मदद करेंगे। आप जितनी राशि में डिडक्टिबल का भुगतान करते हैं, आपके प्रीमियम को उसके अनुसार ही कम कर दिया जाता है।
  • यदि आप वॉलन्टरी डिडक्टिबल विकल्प लेते हैं, तो कुछ बीमाकर्ता कंपनियां आपको एक विशेष डिस्काउंट भी ऑफर कर सकती हैं। वॉलन्टरी डिडक्टिबल अदा करने पर आपको प्रीमियम का भुगतान करते समय भी एक विशेष छूट मिल सकती है।
  • यदि हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में डिडक्टिबल का फीचर होता है, तो बीमाधारक छोटी-मोटी मेडिकल समस्याओं के लिए क्लेम नहीं करता है। ऐसा करने से नो-क्लेम बोनस (NCB) मिलने की संभावना बढ़ जाता है, नो-क्लेम बोनस के रूप में आपके हेल्थ इन्शुरन्स प्लान की कवरेज बढ़ाई जा सकती है या प्रीमियम कम किया जा सकता है।
  • यदि हेल्थ इन्शुरन्स में डिडक्टिबल का फीचर है, तो आप अस्पताल जाते ही क्लेम के पैसे आने का इंतजार नहीं करते हैं और अपनी जेब से डिडक्टिबल अदा कर देते हैं। इससे यह फायदा मिलता है कि अस्पताल में जाते ही बीमारी का ट्रीटमेंट शुरू हो जाता है और बाद में बीमाकर्ता कंपनी अस्पताल में संपर्क करके मेडिकल बिल को सेटल कर देती है।

जैसा कि हमने ऊपर आपको बताया है कि डिडक्टिबल से हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में कई लाभ मिलते हैं इससे प्रीमियम कम किया जा सकता है और साथ ही आपको नो-क्लेम बोनस मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है। लेकिन, डिडक्टिबल सिर्फ लाभ ही नहीं कुछ नुकसान लेकर भी आता है। नीचे आपको डिडक्टिबल से होने वाले कुछ मुख्य नुकसान बताए गए हैं -

  • यदि आपकी बीमा प्रदाता कंपनी हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में कंपल्सरी डिडक्टिबल लागू करती है और ऐसे में आपको अचानक से कोई मेडिकल इमर्जेंसी हो जाती है तो आपको कंपनी में क्लेम करने से पहले अपनी जेब से डिडक्टिबल राशि अस्पताल में भरनी होगी। कुछ अप्रत्यशित स्थितियों में हो सकता है आपके पास पैसे न हों और ऐसे में आपको तब तक बीमा कंपनी से क्लेम के पैसे नहीं मिलेंगे जब तक आप डिडक्टिबल नहीं भरेंगे।
  • यदि बीमाकर्ता कंपनी एक बड़ी राशि डिडक्टिबल के रूप में लागू करती है, तो ऐसे में कोई भी मेडिकल इमर्जेंसी होने पर आपकी जेब पर असर पड़ सकता है। उदाहरण के लिए यदि आपको थोड़े समय में एक से अधिक मेडिकल इमर्जेंसी हो जाती है, तो ऐसे में आपकी मासिक आय पर भी असर पड़ सकता है या फिर आपकी सेविंग कम होना शुरू हो सकती है।
  • यदि आपने फैमिली फ्लोटर खरीदा हुआ है, तो ऐसे में कंपनी हर व्यक्ति के अनुसार डिडक्टिबल लागू करती है। ऐसे में यदि किसी एक व्यक्ति को कोई मेडिकल इमर्जेंसी हो जाती है, तो सिर्फ एक व्यक्ति के मेडिकल खर्च का क्लेम लेने से पहले आपको परिवार के सभी व्यक्तियों का डिडक्टिबल भरना पड़ सकता है।
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ऐसा जरूरी नहीं है कि myUpchar बीमा प्लस में सभी के लिए डिडक्टिबल लागू किया जाए। हम व्यक्ति के स्वास्थ्य व अन्य स्थितियों के अनुसार डिडक्टिबल लागू करते हैं। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि myUpchar बीमा प्लस में सभी के लिए डिडक्टिबल लागू नहीं होता है। यदि आप बीमा प्लस खरीदने के बारे मे सोच रहे हैं, तो इससे जुड़े सभी दस्तावेजों में इन्क्लूजन व एक्सक्लूजन को अच्छे से पढ़ व समझ लें।

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