आजकल मेडिकल सेक्टर इतना एडवांस हो गया है कि बड़ी से बड़ी और गंभीर बीमारियों का इलाज भी आसानी से हो जाता है। लेकिन इसके साथ महंगाई भी इतनी ही तेजी से बढ़ी है, जिसमें डॉक्टर की फीस, दवाओं का मूल्य और अस्पताल के अन्य खर्चों का भुगतान करना आम आदमी के बस से बाहर हो गया है। यदि नौकरी की बात करें तो एक आम आदमी अपनी नौकरी से सिर्फ घर का खर्च ही चला पाता है, जिसमें व्यक्ति किसी गंभीर मेडिकल खर्च की भरपाई करने में असमर्थ हो जाता है। इन्हीं स्थितियों को देखते हुए कॉर्पोरेट हेल्थ इन्शुरन्स बनाया गया।

कॉर्पोरेट मेडिकल इन्शुरन्स एक विशेष स्वास्थ्य बीमा योजना है, जो किसी कंपनी, संस्था या संगठन द्वारा उसमें काम कर रहे कर्मचारियों या सदस्यों को दी जाती है। कुछ कंपनियां सिर्फ कर्मचारी को इस बीमा योजना में शामिल करती हैं, जबकि कुछ कंपनी कर्मचारी के साथ उसके डिपेंडेंट्स को भी इन्शुरन्स की कवरेज प्रदान करती हैं। इस लेख में कॉर्पोरेट हेल्थ इन्शुरन्स के बारे में जानकारी दी जाती है।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी क्या है)

  1. कॉर्पोरेट मेडिकल इन्शुरन्स क्या है - What is Corporate Medical Insurance in Hindi
  2. कॉर्पोरेट हेल्थ इन्शुरन्स के क्या फायदे हैं - Benefits of Corporate Medical Insurance in Hindi
  3. कॉर्पोरेट मेडिकल इन्शुरन्स प्लान में क्या कवर किया जाता है - What is covered in a corporate medical insurance plan in Hindi
  4. कॉर्पोरेट मेडिकल इन्शुरन्स में क्या कवर नहीं किया जाता है - What is not covered in Corporate Medical Insurance in Hindi
  5. कॉर्पोरेट हेल्थ इन्शुरन्स क्यों आवश्यक है - Why Corporate Health Insurance is Necessary in Hindi

कॉर्पोरेट हेल्थ इन्शुरन्स को ग्रुप हेल्थ इन्शुरन्स भी कहा जाता है, जिसमें किसी एक कंपनी या संस्था में काम करने वाले लोगों (सदस्यों या कर्मचारियों) को मेडिकल खर्च पर कवरेज प्रदान की जाती है। कॉर्पोरेट मेडिकल इन्शुरन्स में कई बार व्यक्ति के परिवारजनों को भी शामिल कर लिया जाता है। इस प्लान की प्रकृति को देखते हुए इसे इम्पलॉइ हेल्थ इन्शुरन्स (कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा) भी कहा जाने लगा है।

हालांकि, व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की तुलना में इसका प्रीमियम काफी कम होता है और इससे फायदे भी उनसे अधिक हो सकते हैं। कॉर्पोरेट हेल्थ इन्शुरन्स में सिर्फ कर्मचारी ही नहीं बल्की नियोक्ता (मालिक) को भी टैक्स में कटौती जैसे कई लाभ हो सकते हैं।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स से मिलने वाले इनकम टैक्स के लाभ कौन से हैं)

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कोई भी हेल्थ इन्शुरन्स प्लान खरीदने से पहले उससे मिलने वाले लाभों के बारे में जानना बेहद आवश्यक होता है, ताकि आप यह सुनिश्चित कर पाएं कि यह स्वास्थ्य बीमा योजना आपके लिए सही है या नहीं। हालांकि, कॉर्पोरेट मेडिकल इन्शुरन्स प्लान में स्थिति थोड़ी अलग होती है, क्योंकि यह योजना आपकी कंपनी या संस्था द्वारा प्रदान की जाती है। लेकिन फिर भी आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि आपको इस योजना से क्या लाभ मिल रहे हैं। इसके बारे में निम्न प्वाइंट्स से समझें -

  • स्वास्थ्य पर बढ़ी हुई कवरेज -
    ग्रुप हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में कुछ कंपनियां कर्मचारी को व्यक्तिगत या फैमिली हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में से एक चुनने की अनुमति दे सकते हैं। इससे उन्हें स्वास्थ्य पर अतिरिक्त कवरेज मिलती है, जो उनके साथ परिवार को भी मिले।
     
  • पहले से मौजूद रोगों पर कवरेज -
    कुछ कंपनियां अपने कर्मचारियों को पहले से मौजूद बीमारियों के मेडिकल खर्च पर भी कवरेज दे सकती हैं। इसमें यहां तक कि कुछ दीर्घकालिक बीमारियों को भी कवर किया जाता है जैसे डायबिटीजरक्तचाप आदि। कॉर्पोरेट मेडिकल इन्शुरन्स मिलने के बाद पहले दिन से ही ये सभी कवरेज मिलने लग जाते हैं।
     
  • मैटरनिटी कवरेज -
    कुछ कंपनियां अपनी महिला कर्मचारियों और पुरुष कर्मचारियों के आश्रितों (डिपेंडेंट) की देखभाल के लिए उच्च मातृत्व स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान करती हैं। इस बीमा योजना में बच्चे के जन्म पर होने वाले खर्च को भी कवर किया जाता है। इसके अलावा, अधिकतर कंपनियां बिना किसी वेटिंग पीरियड के ग्रुप हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में नवजात शिशु को भी शामिल कर लेती हैं। (और पढ़ें - क्या बच्चों के लिए हेल्थ इन्शुरन्स लिया जा सकता है?)
     
  • रोजगार की संतुष्टि -
    कर्मचारी को हेल्थ इन्शुरन्स प्लान प्रदान करना दर्शाता है कि कंपनी उनके स्वास्थ्य व कल्याण की परवाह करती है। ऐसे में कर्मचारी नौकरी की तरफ से संतुष्ट रहता है और वह कंपनी में खुद को मूल्यवान समझता है। इस प्रकार कॉर्पोरेट मेडिकल इन्शुरन्स एक कर्मचारी का कंपनी में विश्वास बढ़ाता है, जिससे वह लंबे समय तक कंपनी में रहता है।
     
  • अचानक से हुई मेडिकल इमरजेंसी में मदद -
    कॉर्पोरेट मेडिकल इन्शुरन्स आपको उस समय वित्तीय मदद करता है, जब कोई मेडिकल इमरजेंसी हो जाती है। उदाहरण के तौर पर यदि कंपनी का कोई कर्मचारी या उस पर डिपेंडेंट व्यक्ति बीमार पड़ जाता है, तो उसका खर्चा कंपनी उठाती है। ऐसा कंपनी द्वारा इसलिए किया जाता है, ताकि कर्मचारी को वित्तीय रूप से परेशान न होना पड़े और निश्चिंत होकर अपनी नौकरी करता रहे।
     
  • कोई वेटिंग पीरियड नहीं -
    यह ग्रुप हेल्थ इन्शुरन्स के सबसे मुख्य लाभों में से एक है, जो किसी भी इमरजेंसी के समय काम आ सकता है। अधिकतर हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में आपको प्रतीक्षा अवधि दी जाती है, जिसमें आप बीमा का लाभ नहीं उठा पाते हैं, जबकि कॉर्पोरेट मेडिकल इन्शुरन्स में आपको कोई वेटिंग पीरियड नहीं बिताना पड़ता। उदाहरण के रूप में यदि आपने हाल ही कोई कंपनी जॉइन की है, जहां पर आपको ग्रुप हेल्थ इन्शुरन्स प्लान मिल गया है, तो प्लान मिलने के तुरंत बाद ही आप मेडिकल इमरजेंसी के लिए क्लेम कर सकते हैं।
     
  • अच्छे कर्मचारियों को आकर्षित करना -
    कंपनी या संगठन द्वारा ऑफर किया जाने वाला कॉर्पोरेट हेल्थ इन्शुरन्स प्लान नए कर्मचारियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। जब कोई कंपनी ग्रुप हेल्थ इन्शुरन्स प्लान जैसे लाभ देती है, तो नौकरी ढूंढने वाले अधिक कर्मचारी आकर्षित होते हैं, जिससे कंपनी को अच्छे कर्मचारी चुनने में आसानी रहती है। इतना ही नहीं यदि कोई कंपनी अपने कर्मचारी व उस पर आश्रितों के लिए ग्रुप हेल्थ इन्शुरन्स प्रदान करती है, तो कर्मचारी लंबे समय तक कंपनी के साथ बना रहता है।
     
  • कर्मचारी का प्रदर्शन बढ़ना -
    जब एक कर्मचारी को कंपनी हेल्थ इन्शुरन्स जैसे बेनेफिट्स प्रदान करती है, तो उसका मनोबल बढ़ता है और परिणामस्वरूप उसके प्रदर्शन में भी सुधार होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब कर्मचारी को लगता है कि वह सुरक्षित है, तो उनको मानसिक रूप से संतुष्टि मिलती है। एक मानसिक रूप से संतुष्ट व खुश कर्मचारी कंपनी के प्रति अपना बेस्ट पर्फोरमेंस देने की कोशिश करता है।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स पर जीएसटी का क्या प्रभाव है)

इन्क्लूजन किसी भी हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी का सबसे मुख्य हिस्सा होते हैं। जब कोई भी व्यक्ति किसी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को खरीदने की योजना बनाता है, तो सबसे पहले उसके मन में यही प्रश्न आता है कि इसमें किन-किन बीमारियों को कवर किया जाता है। ग्रुप हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में आमतौर पर निम्न बीमारियों पर कवरेज दी जाती है -

(और पढ़ें - ट्रैवेल इन्शुरन्स क्या होता है, कैसे काम करता है)

अधिकतर लोग मेडिकल इन्शुरन्स लेते समय उसके एक्सक्लूजन के बारे में नहीं सोचते हैं। ऐसे में जब बीमाधारक को हुई कोई मेडिकल समस्या प्लान में शामिल नहीं मिलती है तो सारा खर्च अपनी जेब से ही देना पड़ता है। इसीलिए यह भी जरूरी है कि कोई भी मेडिकल पॉलिसी लेने से पहले यह पता लगा लेना चाहिए कि इसमें से किन-किन बीमारियों के लिए कवरेज नहीं दी जा रही है। निम्न कुछ मेडिकल खर्च बताए गए हैं, जिन्हें आमतौर पर ग्रुप हेल्थ इन्शुरन्स में शामिल नहीं किया जाता है -

  • कुछ कंपनियों में कॉर्पोरेट हेल्थ इन्शुरन्स प्लान के अंदर कर्मचारी के माता-पिता को कवर नहीं किया जाता है।
  • नॉन-एलोपैथिक ट्रीटमेंट जैसे होम्योपैथीआयुर्वेद आदि को भी प्लान में शामिल नहीं किया जाता है।
  • किसी भी जन्मजात रोग के इलाज पर होने वाला मेडिकल खर्च शामिल नहीं किया जाता है।
  • एड्स व इससे संबंधित अन्य समस्याओं का इलाज भी एक्सक्लूजन लिस्ट में शामिल होता है
  • शराब, धूम्रपान या अन्य किसी नशीले पदार्थ के सेवन से होने वाली बीमारी के इलाज पर कवरेज नहीं दी जाती है

इसके अलावा कॉर्पोरेट हेल्थ इन्शुरन्स कर्मचारी को सिर्फ तब तक लाभ प्रदान करता है, जब तक वह कंपनी में काम करता है। कुछ कंपनियां सिर्फ कर्मचारी को ही स्वास्थ्य कवरेज देती है, जिसमें परिवार को शामिल नहीं किया जाता है।

(और पढ़ें - डायबिटीज के लिए हेल्थ इन्शुरन्स)

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आजकल बढ़ती महंगाई और गंभीर बीमारियों को देखते हुए कर्मचारी को मेडिकल कवरेज देना जरूरी भी हो गया है, ताकि वह बिना किसी चिंता के कंपनी में काम कर सकें। इसके अलावा कुछ अन्य बातें भी हैं, जो दर्शाती हैं कि कॉर्पोरेट हेल्थ इन्शुरन्स आवश्यक है -

  • व्यापक कवरेज और ज्यादा लाभ -
    अधिकतर कॉर्पोरेट हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में पॉलिसीधारकों को व्यापक कवरेज और विस्तृत लाभ मिलता है।
     
  • कवरेज में बदलाव करने का विकल्प -
    कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारी को दी जाने वाली हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी में अपने अनुसार बदलाव करने का विकल्प भी होता है। उदाहरण के लिए एक नियोक्ता ऐसे हेल्थ इन्शुरन्स प्लान को चुन सकता है, जिसमें मैटरनिटी कवर या ओपीडी कवरेज मिले।
     
  • सस्ते प्रीमियम - 
    यदि एक सामान्य व्यक्तिगत हेल्थ इन्शुरन्स और ग्रुप हेल्थ इन्शुरन्स की तुलना करें तो कॉर्पोरेट हेल्थ इन्शुरन्स के प्रीमियम अपेक्षाकृत कम होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि व्यक्तिगत बीमा पॉलिसी में बीमाधारक को मिलने वाले लाभ को देखते हुए जो प्रीमियम देना होता है वह ग्रुप हेल्थ इन्शुरन्स से हमेशा अधिक होता है।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी क्लेम न दे तो क्या करें)

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