कैशलेस हेल्थ इन्शुरन्स क्या है?

सीधे शब्दों में कहें, तो कैशलेस अपने आप में एक टर्म है, यह एक तर​ह की सुविधा है, जिसका लाभ हर वह व्यक्ति ले सकता है, जिसने हेल्थ इन्शुरन्स लिया हो और उसमें क्लेम सेटलमेंट के लिए कैशलेस का विकल्प हो। इसमें कैश-लेस का हिन्दी अर्थ 'नकद के बिना' होता है, यानी बीमित व्यक्ति नकद के बिना भी नेटवर्क हॉस्पिटल से इलाज करवा सकता है और अस्पताल से डिस्चार्ज होते समय कैशलेस सुविधा का लाभ लेने के लिए क्लेम कर सकती है। हालांकि, क्लेम के लिए कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी है, जिसके बारे में नीचे इस आर्टिकल में बताया गया है।

(और पढ़ें - सबसे अच्छा हेल्थ इन्शुरन्स कौन सा है)

  1. भारत में कैशलेस हेल्थ इन्शुरन्स के प्रकार - Types of cashless health insurance in Hindi?
  2. कैशलेस हेल्थ इन्शुरन्स का उद्देश्य - Objective of cashless health insurance in Hindi
  3. कैशलेस हेल्थ इन्शुरन्स के लिए प्रक्रिया - Procedure for Cashless Health Insurance in Hindi
  4. आपको कैशलेस हेल्थ इन्शुरन्स की जरूरत क्यों ​है? - Why is it important to have cashless health insurance in Hindi?
  5. कैशलेस क्लेम खारिज होने का कारण - Reasons for rejection of cashless claim in Hindi
  6. कैशलेस स्वास्थ्य बीमा की विशेषताएं - Features of Cashless Health Insurance in Hindi
  7. प्लानिंग के साथ कैशलेस स्वास्थ्य बीमा के लिए क्लेम करना - Planned Claim for Cashless Health Insurance in Hindi
  8. इमर्जेंसी मामलों में कैशलेस स्वास्थ्य बीमा के लिए क्लेम करना - Emergency Claim for Cashless Health Insurance in Hindi
  9. कैशलेस स्वास्थ्य बीमा के फायदे - Advantages of Cashless Health Insurance in Hindi
  10. ध्यान रखने योग्य बातें

मोटे तौर पर कैशलेस हेल्थ इन्शुरन्स तीन प्रकार के होते हैं- 

कैशलेस इंडिविजुअल हेल्थ इन्शुरन्स - कैशलेस इंडिविजुअल हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी के नियमों और शर्तों के अनुसार, इसमें बीमा लेने वाले व्यक्ति को ही कैशलेस क्लेम करने का अधिकार होता है और केवल उसे ही इस सुविधा का लाभ मिलता है।

कैशलेस फैमिली हेल्थ इन्शुरन्स - कैशलेस फैमिली हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में, बीमित व्यक्ति अपने परिवार के सभी सदस्यों को एक ही फैमिली हेल्थ प्लान या फैमिली फ्लोटर में शामिल कर सकता है। ऐसा करने से परिवार का कोई भी सदस्य जरूरत पड़ने पर कैशलेस सुविधा का लाभ उठा सकता है।

कैशलेस हेल्थ इन्शुरन्स फॉर सीनियर सिटीजन - कैशलेस हेल्थ इन्शुरन्स फॉर सीनियर सिटीजन, जैसा कि नाम से पता चलता है, यह कैशलेस स्वास्थ्य बीमा योजना ऐसे कवर प्रदान करती है जो विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों के लिए डिजाइन किए गए हैं। इसमें एम्बुलेंस की फीस, अस्पताल में भर्ती होने होने से जुड़े खर्च और पहले से मौजूद बीमारियों आदि को कवर ​किया जाता है। इसके अलावा, सीनियर सिटीजन कैशलेस हेल्थ इन्शुरन्स में आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत टैक्स में भी छूट मिलती है। इस छूट के अंतर्गत हर वर्ष जमा की जाने वाली प्रीमियम राशि हर वित्तीय वर्ष में टैक्स फ्री होती है।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स और लाइफ इन्शुरन्स में अंतर)

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कैशलेस हेल्थ इन्शुरन्स का कार्य जरूरत के समय अस्पतालों में नकद भुगतान से जुड़ी समस्याओं का निपटान करना है। myUpchar बीमा प्लस पॉलिसी लेने के बाद 7000 से ज्यादा नेटवर्क अस्पतालों में आपको कैशलेस ट्रीटमेंट की सुविधा मिल जाती है। इसमें क्लेम करने के बाद, बीमा कंपनी हॉस्पिटल के साथ मिलकर क्लेम का सेटलमेंट कर लेती है और आपकी जेब पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है। अब मान लीजिए आपने 10 लाख का सम-इन्श्योर्ड (जितने का बीमा है) वाला हेल्थ इन्शुरन्स लिया है और उसमें कैशलेस सर्विस भी शामिल है। ऐसे में जब आप किसी मेडिकल कंडीशन या इमर्जेंसी की वजह से नेटवर्क हॉस्पिटल में भर्ती होंगे या मेडिकल खर्चे होंगे तो सम-इनश्योर्ड के बराबर राशि तक बीमा कंपनी आपकी तरफ से भुगतान करेगी, लेकिन यदि हॉस्पिटल के​ बिल 10 लाख से ज्यादा हो गया है तो आपको अतिरिक्त राशि अपने जेब से देनी पड़ सकती है।

(और पढ़ें - myUpchar बीमा प्लस पॉलिसी के फायदे)

जब किसी बीमित (जिसने हेल्थ इन्शुरन्स लिया हो) व्यक्ति के सामने मेडिकल इमर्जेंसी/ कंडीशन आती है, तो उसे बीमा का लाभ लेने के लिए नेटवर्क हॉस्पिटल में एडमिट​ होने की जरूरत होती है। यहां उसे या उसके परिवार के किसी सदस्य को बीमा डेस्क पर जाना होता है और मरीज की स्वास्थ्य की जानकारी देने के बाद, पॉलिसी कार्ड (जो कि पॉलिसी लेने के तुरंत बाद मिल जाता है) दिखाना होता है और फिर एक फॉर्म (preauthorization form) भरने के लिए कहा जाता है, जिसकी प्रामाणिकता और पात्रता निर्धारित करने के लिए थर्ड-पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर यानी टीपीए द्वारा इस फॉर्म की जांच की जाती है। इसके बाद हॉस्पिटल आपकी बीमा कंपनी को फैक्स के माध्यम से मरीज की जानकारी देंगे, बीमा कंपनी दस्तावेजों का सत्यापन करेगी और हॉस्पिटल को फैक्स करके कैशलेस सुविधा के लिए अप्रूवल दे देगी। 

ध्यान रहे, जब आप प्लानिंग के साथ हॉस्पिटल में एडमिट होते हैं तो ऐसे में आमतौर पर एक या दो दिन पहले या अगर आप इमर्जेंसी में एडमिट हुए हैं तो भर्ती होने के 24 घंटे के अंदर आपको टीपीए को जानकारी देनी होगी। खैर आपको वास्तव में कितने समय पहले अपने टीपीए को जानकारी देनी है इसके बारे में सही से जानकारी लेने के लिए आप अपना पॉलिसी बॉन्ड पढ़ें।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में क्या-क्या कवर होता है)

देखा जाए तो यह सुविधा ऐसी स्थिति में बेहद कारगर साबित होती है, जब आपके पास नकद पैसा नहीं होता या जरूरत से कम होता है। वास्तव में कैशलेस सेवा को यही सोचकर डिजाइन किया गया है कि ग्राहकों को नकद भुगतान को लेकर परेशान न होना पड़े। इसके लिए आपको केवल यह ध्यान रखना है कि वह अस्पताल हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी के नेटवर्क में आता हो। यदि आप नेटवर्क हॉस्पिटल के बारे में पता करना चाहते हैं तो आप पॉलिसी बॉन्ड पढ़ें या इन्शुरन्स कंपनी की वेबसाइट पर देखें।

(और पढ़ें - सीनियर सिटीजन हेल्थ इन्शुरन्स के फायदे)

आमतौर पर क्लेम खारिज होने के निम्न कारण होते हैं :

आपको जानकार हैरानी होगी, लेकिन कैशलेस सुविधा का मतलब यह नहीं है कि आपने पॉलिसी ले ली है और अब नकद भुगतान से जुड़ी समस्या हल हो जाएगी। इसके लिए आपको कुछ नियम व शर्तों के अनुसार आवेदन करना होगा, साथ ही निम्नलिखित बातों का भी ध्यान देगा होगा -

सही या पूर्ण जानकारी का अभाव - जैसा कि हमने बताया कि नेटवर्क हॉस्पिटल में भर्ती होने से पहले या इमर्जेंसी में भर्ती होने के बाद आप कैशलेस सुविधा के लिए क्लेम कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको एक फॉर्म भरना होता है और उसमें पूछी गई सभी जानकारी देनी होती है, यदि आपकी तरफ से फॉर्म में किसी तरह की कमी है, तो ऐसे में क्लेम कुछ समय के लिए अटक सकता है या कैंसिल भी हो सकता है। दूसरी तरफ यदि हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी को अस्पताल की तरफ से गलत या अधूरी जानकारी दी गई है तो ऐसे में भी क्लेम खारिज हो सकता है। इसीलिए ग्राहकों को यह सुझाव दिया जाता है कि कैशलेस हेल्थ क्लेम करने के लिए पॉलिसी लेते समय पॉलिसी को पढ़ें और संबंधित दस्तावेजों के साथ आवेदन करें।

देर से क्लेम करना - जैसे बीमा कंपनी तक सही जानकारी पहुंचना जरूरी है, वैसे ही यह जानकारी समय पर भी पहुंचना जरूरी है। हालांकि, भर्ती होने के कितने समय पहले या बाद में आपको क्लेम करना चाहिए, इस बारे में आप सीधे उसे व्यक्ति या एजेंट से पूछ सकते हैं, जिसने आपका बीमा किया है। या फिर आप खुद से भी कंपनी की पॉलिसी चेक कर सकते हैं। क्योंकि समय रहते क्लेम न करने पर आपका आवेदन खारिज हो सकता है।

पहले से मौजूद बीमारी को छुपाना - आमतौर पर, हेल्थ इन्शुरन्स पहले से मौजूद बीमारियों को कवर नहीं करता है। लेकिन कुछ निश्चित समय बीत जाने के बाद वे पहले से मौजूद कुछ बीमारियों को कवर कर सकता है। इसलिए, जब तक वह निश्चित समय समाप्त नहीं हो जाता है तब तक पहले से मौजूद बीमारी को कैशलेस क्लेम में कवर नहीं किया जाता है।

पहले से मौजूद बीमारियों के लिए मानक : जिस दिन से आप हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी लेते हैं, उस दिन से 48 महीने पहले से मौजूद बीमारी या मेडिकल कंडीशन को पहले से मौजूद बीमारी (pre-existing) के रूप में माना जाता है।

एक्सक्लूजन कंडीशन - ऐसी विशिष्ट स्थितियां या बीमारियां, जिनके लिए हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी वित्तीय (पैसों से जुड़ी) कवरेज नहीं देती हैं, उन्हें एक्सक्लूजन कहा जाता है। इसलिए, यदि आप किसी ऐसी बीमारी या मेडिकल कंडीशन के लिए कैशलेस क्लेम कर रहे हैं, जो कि हेल्थ इन्शुरन्स प्लान के कवरेज से बाहर है, तो ऐसे में क्लेम रद्द कर दिया जाएगा।

हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी रिन्यू करना भूल जाना - आमतौर पर, हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी एक वर्ष के लिए वैध होती है, जैसे ही एक वर्ष पूरा होने वाला होता है आपको पॉलिसी को रिन्यू करने की जरूरत होती है। अब मान लीजिए आप किसी वजह से रिन्यू करना चूक जाते हैं और इस दौरान कैशलेस सुविधा के लिए क्लेम करते हैं तो आपका क्लेम अस्वीकार कर दिया जाएगा। इसलिए, हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी से जुड़ी जरूरी तारीखों की जांच करना और समय रहते पॉलिसी रिन्यू करना बहुत जरूरी होता है।

(और पढ़ें - क्यों जरूरी है क्रिटिकल इलनेस इन्शुरन्स)

कैशलेस स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों की विशेषताएं अलग-अलग बीमा कंपनियों में भिन्न हो सकती हैं। हालांकि, ज्यादातर कैशलेस हेल्थ इन्शुरन्स योजनाओं में निम्नलिखित विशेषताएं देखी जा सकती हैं :

  • किसी भी नेटवर्क अस्पताल में बिल नहीं चुकाना होता है।
  • अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद के सभी खर्चों को कवर किया जाता है।
  • नो क्लेम बोनस (एनसीबी): ऐसा व्यक्ति जिसने, हेल्थ इन्शुरन्स लिया है, लेकिन पॉलिसी अवधि के दौरान कोई क्लेम नहीं किया है, तो ऐसे व्यक्ति को बीमा कंपनी द्वारा आने वाले प्रीमियमों पर डिस्काउंट या किसी अन्य तरह का लाभ दिया जा सकता है।
  • 24 घंटे से अधिक समय तक अस्पताल में भर्ती रहने से संबंधित खर्च कवर करना
  • अस्पताल में जितने दिन एडमिट हैं, उतने दिन का हॉस्पिटल कैश मिलना (यदि राइडर लिया हो तो)
  • एम्बुलेंस शुल्क, घर पर किए जा रहे उपचार, ऑर्गन ट्रांसप्लांट आदि कवर करना

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में क्या कवर नहीं होता है?)

जब आप पूरी प्लानिंग के साथ अस्पताल में भर्ती होने के लिए जाते हैं तो आपके पास व्यवस्था करने के लिए कुछ समय होता है। यहां बताया गया है कि प्लानिंग के साथ कैशलेस स्वास्थ्य बीमा के लिए क्लेम करने से पहले आपको क्या करना चाहिए :

  • कैशलेस स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को पढ़ें या नेटवर्क अस्पतालों की सूची के बारे में जानने के लिए आप बीमा कंपनी के कस्टमर केयर को भी कॉल कर सकते हैं।
  • आप जिस नेटवर्क अस्पताल से इलाज चाहते हैं, वहां से पूर्व-प्राधिकरण फॉर्म (preauthorization form) भरना होगा। आप इस फॉर्म को अस्पताल के बीमा डेस्क के साथ-साथ टीपीए वेबसाइट से भी डाउनलोड कर सकते हैं।
  • फॉर्म में सटीक जानकारी दें, इसके बाद अस्पताल के अधिकारी फॉर्म में दी गई जानकारी की प्रामाणिकता का मूल्यांकन करेंगे।
  • यदि आपका आवेदन स्वीकार कर लिया जाता है, तो टीपीए आपके चुने हुए अस्पताल को preauthorization form वापस भेज देगा।

इसमें तुरंत नेटवर्क अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है। ऐसे में अस्पताल के अधिकारी को अपना पॉलिसी कार्ड दिखाएं और जल्द से जल्द क्लेम प्रोसेस को पूरा करें, जिसमें प्री-ऑथराइजेशन फॉर्म भरना व जमा करना शामिल है। हालांकि, इमर्जेंसी में कई अन्य सुविधाएं भी मिल सकती हैं, जैसे मान लीजिए आपने अस्पताल में तुरंत सारा पैसा जमा कर दिया और बाद में प्रतिपूर्ति (रीईम्बर्समेंट) के लिए क्लेम कर सकते हैं।

कैशलेस स्वास्थ्य बीमा के फायदे निम्नलिखित हैं -

मेडिकल इमर्जेंसी में मदद - जब आपको अचानक से अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है, तो ऐसे में हॉस्पिटल की महंगी व इमर्जेंसी सेवाओं की वजह से तेजी से पैसा खर्च होने लगता है। इस स्थिति में कैशलेस क्लेम बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि इससे मरीज के परिवार को अस्पताल के खर्चों के निपटान के लिए कोई व्यवस्था नहीं करनी होती और समय की भी बचत होती है, जिससे वे मरीज की ओर फोकस कर सकते हैं।

तुरंत उपचार - कैशलेस स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी आपको यह आश्वासन देती है कि जरूरत पड़ने पर आपको पैसों से जुड़ी परेशानी नहीं होने देगी। आप बिना किसी देरी के अस्पताल में भर्ती हो सकते हैं और आवश्यक उपचार शुरू कर सकते हैं।

मेडिकल खर्चों कवर - कैशलेस स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों में आमतौर पर अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद के खर्च, एम्बुलेंस खर्च, इनपेशेंट केयर, घर पर उपचार इत्यादि व्यापक कवरेज शामिल होते हैं। कुछ कैशलेस स्वास्थ्य बीमा योजनाएं नियमित समय पर हेल्थ चेकअप और नैदानिक ​​​​परीक्षण भी करा सकती हैं।

यात्रा के दौरान है फायदेमंद - यात्रा के दौरान यदि चिकित्सीय आपात स्थिति सामने आ जाए, तो ऐसे में नई जगह से अनजान होने के कारण उचित इलाज नहीं मिल पाता है, जबकि कैशलेस स्वास्थ्य बीमा धारक होने के नाते आपको नेटवर्क अस्पताल में बेहतरीन सर्विस का आश्वासन दिया जाता है।

(और पढ़ें - पर्सनल एक्सीडेंट इन्शुरन्स क्या है)

  • कैशलेस स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी की कुछ सीमाएं भी हैं। कैशलेस सुविधा लेने के लिए आपको केवल नेटवर्क हॉस्पिटल में ही जाना होगा।
  • आपका कैशलेस क्लेम टीपीए द्वारा खारिज किया जा सकता है, इसलिए सुनिश्चित करें कि प्री-ऑथराइजेशन फॉर्म में दी गई जानकारी सही हो।
  • कैशलेस स्वास्थ्य बीमा में आमतौर पर बीमा कंपनी द्वारा एम्बुलेंस शुल्क, ऑक्सीजन मास्क, नेबुलाइजर जैसे उपकरण खर्च कवर नहीं किए जाते हैं। इसके अलावा आमतौर पर डॉक्यूमेंटेंशन चार्जेस और सर्विस चार्जेस पॉलिसी में शामिल नहीं होते हैं।
  • पॉलिसी लेने से पहले उसके बारे में अच्छे से जानकारी जुटाएं और लेने के बाद फ्रीलुक पीरियड में अच्छे से पढ़ें, ताकि उसके नियम व शर्तों के लिए आप कितने तैयार है, इस बात का पता चल सके।
  • अस्पताल के सभी दस्तावेजों और बिलों की एक कॉपी अपने पास रखें।
  • यदि बीमा राशि समाप्त हो जाती है, तो आपको सम-इन्श्योर्ड से अधिक राशि का भुगतान अपनी जेब से करना होगा।

(और पढ़ें - भारत में सबसे अच्छी कैशलेस मेडिक्लेम पॉलिसी)

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