आप हेल्थ इन्शुरन्स लेना चाहते हैं, लेकिन कुछ खास शब्दों को सुनकर असमंजस में पड़ जाते हैं? कोई बात नहीं हम आपके इस कंफ्यूजन को दूर करने के लिए हैं ना। इस आर्टिकल में बात करेंगे ऑटो रिस्टोर, ऑटो रिफिल या ऑटो रिचार्ज के बारे में। यह तीन शब्द जरूर हैं, लेकिन तीनों का मतलब एक ही है। आश्चर्य की बात तो यह है कि जिन लोगों को इन शब्दों का मतलब पता है, जो हेल्थ इन्शुरन्स के बारे में अच्छी जानकारी रखते हैं वो भी अक्सर इन शब्दों के फेर में पड़कर बड़ी गलती कर बैठते हैं। हम अपने हर आर्टिकल में आपसे कहते हैं कि आपको इन्शुरन्स पॉलिसी लेने से पहले अच्छी रिसर्च करनी चाहिए और पॉलिसी लेने के बाद उसके नियम व शर्तों को भी ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए। इसके बावजूद जो लोग यह सावधानी नहीं बरतते, उन्हें बाद में परेशानी होती है।

आजकल लगभर हर हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी अपने ग्राहकों को ऑटो रिस्टोर, ऑटो रिफिल और ऑटो रिचार्ज जैसे शब्दों से आकर्षित करती है। हो भी क्यों नहीं, इससे ग्राहक और इन्शुरन्स कंपनी दोनों का ही फायदा है। इन्शुरन्स कंपनी को जहां नए-नए ग्राहक मिल जाते हैं, वहीं बीमा ग्राहकों को कम प्रीमियम पर डबल सम-इनश्योर्ड का लाभ मिलता है। जी हां डबल सम-इनश्योर्ड, यानी अगर आपके पास 5 लाख रुपये का सम-इनश्योर्ड है तो ऑटो रिफिल के साथ यह 10 लाख रुपये हो जाता है। इससे पहले की आप डबल सम-इनश्योर्ड की बात सुनकर खुशी में झूमने लगें, बता दें कि इसके साथ कुछ नियम और शर्तें जुड़ी हुई हैं।

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  1. आटो रिफिल प्लान क्या है - What is Auto Restore Plan in Hindi
  2. ऑटो रिस्टोर प्लान कैसे काम करता है - How do Recharge Plans Function in Hindi ?
  3. नियम और शर्तें जरूर ध्यान में रखें - Term and Conditions in Auto Refill in Hindi

जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं ऑटो रिचार्ज का मतलब डबल सम-इनश्योर्ड होता है। यानी अगर आपको जरूरत पड़ती है तो इन्शुरन्स कंपनी एक ही साल में दोबारा आपके सम-इनश्योर्ड के बराबर राशि आपकी पॉलिसी में रिस्टोर कर देती है। आटो रिफिल कोई अलग पॉलिसी नहीं है, बल्कि तमाम इन्शुरन्स कंपनियां ऐसी पॉलिसी लेकर आई हैं, जिसमें आटो रिस्टोर का लाभ मिलता है। इन पॉलिसी के तहत भी हॉस्पिटलाइजेशन के खर्चे कवर होते हैं। इन पॉलिसी में भी प्री और पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन कवर मिलता है। पॉलिसी के नियमों के तहत डे-केयर ट्रीटमेंट और डोमिसिलिअरी हॉस्पिटलाइजेशन कवर भी मिल सकता है। इसके अलावा नो-क्लेम बोनस, प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन, कैशलेस हॉस्पिटलाइजेशन, नो-रूम रेंट कैंपिंग और आईसीयू कवरेज जैसी सुविधाएं भी मिल सकती हैं। फर्क सिर्फ यही है कि एक ही वर्ष में दूसरी बार पूरे सम-इनश्योर्ड का लाभ मिल जाता है।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में रिइम्बर्समेंट क्या है)

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यह तो आपको पता है कि ऑटो रिफिल प्लान में एक ही वर्ष में दूसरी बार आपको पूरे सम-इनश्योर्ड का लाभ मिलता है। अब समझते हैं कि इस फीचर का लाभ आप कैसे ले सकते हैं। यह उतनी साधारण बात नहीं है, जितना आप समझ रहे हैं। इसलिए हम आपको हमेशा पॉलिसी डॉक्यूमेंट को ध्यानपूर्वक पढ़ने की सलाह देते हैं। यह दो प्रकार से काम करता है, चलिए समझते हैं।

पहला - सबसे आसान और साधारण प्रकार के ऑटो रिचार्ज प्लान में आपका सम-इनश्योर्ड पूरी तरह से खत्म हो जाने पर इसे दोबारा रिस्टोर किया जाता है। मान लीजिए आपके पास 5 लाख का सम-इनश्योर्ड है तो पहले आपका यह पूरा पांच लाख खत्म हो जाना चाहिए, तभी ऑटो-रिचार्ज का लाभ मिल सकता है। यानी अगर इस पांच लाख में से 10 हजार भी बचे हैं, इसके बाद आप बीमार हो जाते हैं और इलाज का खर्च एक लाख रुपये आता है तो कंपनी आपको ऑटो रिस्टोर का बेनिफिट नहीं देगी। क्लेम करने पर आपको इन्शुरन्स कंपनी की तरफ से सिर्फ 10 हजार रुपये मिलेंगे, बाकी के 90 हजार रुपये आपको अपनी पॉकेट से खर्च करने होंगे। वहीं अगर आपका पूरा सम-इनश्योर्ड खत्म हो गया होता तो आपको पांच लाख तक का ऑटो रिफिल बेनिफिट मिल जाता।

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दूसरा - ऑटो रिफिल में इस तरह का फीचर बीमाधारकों के लिए ज्यादा अच्छा और लाभदायक होता है। इसमें इन्शुरन्स कंपनी पहले क्लेम के बाद ही पूरा सम-इनश्योर्ड रिचार्ज कर देती है। भले ही पहला क्लेम 5-10 हजार का ही क्यों न हो। इसे भी उदाहरण के जरिए समझते हैं। मान लीजिए आपके पास 5 लाख का सम-इनश्योर्ड है और आपको टाइफाइड हो जाता है, जिसके लिए आप 20 हजार रुपये का क्लेम करते हैं। इस तरह अब आपके पास 4 लाख 80 हजार का सम-इनश्योर्ड बचा, क्योंकि आपने साल में एक क्लेम कर लिया है, इसलिए कंपनी आपके सम-इनश्योर्ड के बराबर यानी 5 लाख का रिचार्ज फिर से कर देती है। अब आपके पास पूरे साल में किसी भी बीमारी या एक्सीडेंट की स्थिति में कुल 9 लाख 80 हजार रुपये तक का क्लेम कर सकते हैं। यहां भी ध्यान रखने वाली बात यह है कि अगर पहला ही क्लेम पांच लाख से ज्यादा का होगा तो इन्शुरन्स कंपनी सिर्फ पांच लाख तक का ही क्लेम देगी, अतिरिक्त खर्च आपको अपनी जेब से देना होगा। हालांकि, इसके बाद ऑटो रिचार्ज का लाभ लेकर आप अन्य किसी बीमारी के लिए पांच लाख तक का क्लेम फिर से कर पाएंगे।

हालांकि, एक तीसरा प्रकार भी है। जिसमें आपको जितनी बार जरूरत हो, उतनी बार कंपनी ऑटो रिचार्ज का लाभ देती है। लेकिन इस तरह के ऑटो रिस्टोर प्लान महंगे होने के साथ ही कुछ ही इन्शुरन्स कंपनियों के पास हैं।

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हेल्थ इन्शुरन्स के साथ कई नियम और शर्तें जुड़ी होती हैं। ऐसी ही ऑटो रिस्टोर प्लान को लेकर भी है। ऑटो रिचार्ज प्लान को लेकर निम्न शर्त को आपको समझना चाहिए -

सेम पर्सन, सेम डीजीज की स्थिति में ऑटो रिस्टोर का लाभ नहीं मिलता। उदाहरण के लिए आप दिल की बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती होते हैं और आपका पूरा सम-इनश्योर्ड खत्म हो जाता है। तो ऐसी स्थिति में उसी साल आपको दोबारा दिल की बीमारी के इलाज के लिए आपको ऑटो रिफिल का लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि, फैमिली फ्लोटर के मामले में परिवार के किसी अन्य व्यक्ति को दिल की बीमारी के बीमारी के लिए ऑटो रिचार्ज का बेनिफिट मिल सकता है। आप भी किसी अन्य बीमारी की स्थिति में इस सुविधा का बेनिफिट ले सकते हैं।

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