आधुनिक जीवन में बढ़ती बीमारियों के बीच लोगों का रुख अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट (ट्रेडिशनल ट्रीटमेंट) की तरफ बढ़ा है। खासतौर पर क्रोनिक बीमारियों के लिए अल्टरनेटिव मेडिसिन इन दिनों बेहद प्रचलन में है। भले ही आप एलोपैथिक ट्रीटमेंट करवाएं या अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट, खर्च तो हर तरह के इलाज पर होता है। इलाज के खर्च को मैनेज करने के लिए हम सब हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी लेते हैं। लेकिन पहले हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी में सिर्फ एलोपैथिक ट्रीटमेंट (अंग्रेजी इलाज) ही कवर होता था और आयुष (आयुर्वेद, योग और नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद्ध व होम्योपैथी) के लिए कवरेज नहीं मिलती थी। उस समय एक कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ इन्शुरन्स के लिए प्रीमियम भरने के साथ ही यदि कोई अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट को अपनाता था तो उस ट्रीटमेंट का खर्च स्वयं उठाना पड़ता था। अब हालात बदल चुके हैं और इससे हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी धारकों को राहत मिली है। आज ज्यादातर हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियां अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट को कवर करती हैं।
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