'पुशिंग 'और 'पुलिंग' व्यायाम की दो ऐसी तकनीक हैं, जिनसे शरीर की विभिन्न मांसपेशियों को लक्षित करके उनका व्यायाम किया जाता है। पुशिंग के ज्यादातर व्यायामों का प्रभाव शरीर के सामने की मांसपेशियों जैसे छाती, कंधों के साथ-साथ ट्राइसेप्स पर होता है। वहीं दूसरी ओर पुलिंग से संबंधित सभी व्यायाम शरीर के पिछले हिस्सों को विकसित करते हैं। इसमें पीछे की सभी मांसपेशियों के साथ-साथ बाइसेप्स भी शामिल होते हैं। चूंकि, शरीर के पीछे की मांसपेशियां हमें दिखाई नहीं देती हैं ऐसे में ज्यादातर लोग इन व्यायामों को नजरअंदाज कर देते है। हालांकि, यहां ध्यान देना जरूरी है कि इस तरह के व्यायाम शरीर के समग्र विकास के लिए बहुत आवश्यक होते हैं। एक अन्य दृष्टिकोण से देखें तो अगर आपके पीठ की मांसपेशियां विकसित और सुडौल हैं तो आपके कपड़ों की फिटिंग अच्छी आती है, जिसका प्रभाव आपके व्यक्तित्व पर पड़ता है।
पीठ की मांसपेशियों को बेहतर आकार देने और उन्हें स्वस्थ बनाए रखने का एक ऐसा ही व्यायाम है- बेंट-ओवर रो व्यायाम। नियमित रूप और सही तकनीक के साथ इस व्यायाम को करने से पीठ को 'वी आकार' दिया जा सकता है, जिसकी चाहत हर एथलीट को होती है। पीठ की मांसपेशियां आपके हाथों को ठीक से कार्य करने में भी मदद करती हैं। रीढ़ के दोनों ओर की विंग मांसपेशियों का उपयोग करते हुए हाथों को फैलाने, किसी चीज को उठाने या खींचने में मदद मिलती है।
इस अभ्यास के दौरान शरीर को स्थिर रखते हुए पीठ और बाजुओं को प्रयोग में लाया जाता है। यह भी कहा जाता है कि आप पुलिंग और पुशिंग दोनों ही व्यायामों को एक समान मात्रा में करें, जिससे शरीर के आगे और पीछे की मांसपेशियों में संतुलन बना रहे।