भारत में लगभग 4 हजार वर्षों से नीम का प्रयोग किया जा रहा है। नीम को औषधीय जड़ी बूटी के रूप में भी जाना जाता है। नीम के पेड़ के सभी हिस्‍सों के विभिन्‍न तरीकों से लाभकारी होते हैं। यहां तक कि नीम को संस्‍कृत में अरिष्‍टा कहा जाता है जिसका अर्थ “बीमारी से राहत पाना” है। नीम का पेड़ पत्तेदार होता है और से 75 फीट की लंबाई तक बढ़ सकता है। आमतौर पर नीम को पेड़ उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। हालांकि, इसे ईरान के दक्षिणी द्वीपों पर भी देखा जा सकता है।

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार विकासशील देशों के लगभग 80 फीसदी लोग पारंपरिक दवा के रूप में पौधों और पौधों से बनी चीज़ों का इस्‍तेमाल करते हैं। नीम का पेड़ त्‍वचा संक्रमण, घावों, संक्रमित जलन और कुछ फंगल इंफेक्‍शन जैसी कई समस्‍याओं को दूर करने में मदद करता है।

नीम के तेल से कई तरह के साबुन, लोशन और शैंपू तैयार किए जाते हैं। नीम की पत्तियां मच्‍छरों को भगाने में भी बहुत असरकारी होती हैं। इससे लिवर के कार्य करने की क्षमता में सुधार आता है और ब्‍लड शुगर का स्‍तर संतुलित रहता है। चेचक से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति को गुनगुने पानी में नी‍म की पत्तियां डालकर नहाने से राहत मिलती है। वेदों में नीम को “सर्व रोग निवारिणी” कहा गया है जिसका अर्थ “सभी रोगों को दूर करने वाली” है।

(और पढ़ें - मच्छर भगाने के घरेलू उपाय)

नीम को भारत ही नहीं बल्कि अफ्रीका में भी बहुत महत्‍व दिया जाता है। अफ्रीका में माना जाता है कि नीम से 40 प्रकार के गंभीर और सामान्‍य बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।

औषधीय गुणों के अलावा नीम का इस्‍तेमान व्‍यंजनों में भी किया जाता है। इसे आप सब्‍जी और व्‍यंजनों में उबालकर और भूनकर इस्‍तेमाल कर सकते हैं। म्‍यांमार में नीम की पत्तियों का इस्‍तेमाल सलाद में किया जाता है। नीम की पत्तियों की खास बात यह है कि फ्रिज में रखने पर इसे लंबे समय तक ताजा रखा जा सकता है।

नीम के बारे में तथ्‍य

  • वानस्‍पतिक नाम: एजाडिरेक्टा इण्डिका
  • कुल: मेलियेसी
  • संस्‍कृत नाम: निम्‍ब या अरिष्‍टा
  • उपयोगी भाग: नीम के लगभग सभी भागों जैसे कि बीज, पत्तियों, फल, फूल, तेल, जड़ और छाल का उपयोग किया जाता है।
  • भौगोलिक विवरण: नीम का पेड़ मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में मिलता है। इसके अलावा नेपाल, मालदीव, पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश में भी पाया जाता है।
  • उपयोग: नीम के पेड़ में अनेक औषधीय गुण पाए जाते हैं। नीम की पत्तियों का इस्‍तेमाल कुष्‍ठ रोग, नेत्र संबंधित विकारों, आंतों में कीड़े, पेट खराब होने, त्‍वचा और रक्‍त वाहिकाओं में अल्‍सर, बुखार, डायबिटीज एवं लिवर से संबंधित समस्‍याओं में किया जाता है। नीम का तेल गर्भ निरोधक में असरकारी है।
  • रोचक तथ्‍य: ऐसा माना जाता है कि अगर कोई व्‍यक्‍ति अपने जीवन में तीन या इससे ज्‍यादा नीम के पेड़ लगाता है तो उसे मृत्‍यु के बाद स्‍वर्ग में जगह मिलती है। 
  1. नीम के फायदे - Neem ke fayde for Reproductive health in Hindi
  2. नीम का उपयोग कैसे करें - Neem ka upyog in Hindi
  3. नीम की तासीर - Neem ki taseer in Hindi
  4. नीम के नुकसान - Neem Side Effects in Hindi

नीम का उपयोग गर्भ निरोधक के रूप में भी किया जा सकता है। कुछ अध्ययनों ने नीम के एंटीफर्टिलिटी (antifertility) प्रभावों को प्रमाणित किया है। एक अध्ययन में, चूहों पर नीम के तेल का प्रयोग किया गया और यह पाया गया की तेल के उपयोग के बाद वे काफी समय तक गर्भधारण करने में अक्षम रहे। इससे यह साबित होता है की नीम के तेल को गर्भ निरोधक के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अध्ययन के अनुसार जब नीम के तेल का उपयोग यौन सम्बन्ध बनाने से पहले लागू होता है, तो औरतों में यह गर्भावस्था को रोक सकता है। नीम के पत्तों का उपयोग करने से पुरुषों में प्रजनन क्षमता भी कम हो सकती है अगर सही समय और तरीके से इसका इस्तेमाल ना किया जाए। हालांकि, एक और अध्ययन में, यह साबित हुआ है की नीम का तेल पुरुषों और महिलाओं दोनों को नुकसान पहुंचाए बिना गर्भधारण की संभावना को कम करने में मदद करता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि नीम गर्भ निरोधक का अच्छा विकल्प हो सकता है क्योंकि यह प्राकृतिक है और आसानी से उपलब्ध भी है। 

नीम के फायदे रूसी के लिए - Neem for Dandruff in Hindi

नीम में फंगसरोधी और जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो कि रूसी के उपचार और आपके सिर की त्वचा को स्वस्थ रखने में बहुत प्रभावी हैं। यह सूखेपन और खुजली में भी राहत दिलाता है जो रूसी के दो आम लक्षणों में से हैं। 

(और पढ़ें - खुजली के उपाय)

  • एक मुट्ठी नीम की पत्तियों को उबालें 4 कप पानी में जब तक कि पत्तियों का रंग उतर कर पानी हरा नही हो जाता है। इस पानी को ठंडा करें और अपने बालों को शैम्पू के बाद इस पानी से धो कर साफ करें। यह बालों को वातानुकूलित रखने में भी आपकी मदद करेगा।
  • कुछ बड़े चम्मच नीम पाउडर और पर्याप्त पानी के साथ पेस्ट तैयार करें और सिर की त्वचा और बालों पर लगाएं। 30 मिनट के लिए छोड़ दें, तब शैम्पू करें और यह पहले की तरह आपके बालों के स्वास्थ्य को ठीक कर देगा। इस उपचार का उपयोग 2 या 3 बार एक सप्ताह तक करने से पूरी तरह से रूसी से छुटकारा मिलेगा। यह हेयर मास्क बालों के विकास को भी बढ़ावा देता है। 
myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Kesh Art Hair Oil बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने 1 लाख से अधिक लोगों को बालों से जुड़ी कई समस्याओं (बालों का झड़ना, सफेद बाल और डैंड्रफ) के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Bhringraj Hair Oil
₹546  ₹850  35% छूट
खरीदें

नीम के लाभ त्वचा के लिए - Neem for Skin in Hindi

आपकी त्वचा को स्वस्थ और दोषरहित रखने के लिए नीम एक अच्छा विकल्प हैं। नीम में वायरसरोधी, जीवाणुरोधी और रोगाणु रोधक गुण होते हैं जो मुँहासे, चकत्ते, सोरायसिस और एक्जिमा जैसी त्वचा की समस्याओं के इलाज और उनको रोकने में मदद करते हैं। 

(और पढ़ें – सोरायसिस के घरेलू उपचार)

इसके अलावा, यह घावों को भरता हैं और किसी भी संक्रमण या विषाक्त (रक्त को विषैला करने वाली) स्थितियों को रोकने में मदद करता हैं। इसमे उच्च स्तर के एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं जो कि वातावरण को नुकसान से बचाने के लिए त्वचा की रक्षा में मदद करते हैं और उम्र बढ़ने के लक्षणो में देरी करते हैं।

  • त्वचा की किसी भी तरह की समस्या के लिए, नीम की कुछ ताज़ा पत्तियों को एक पेस्ट के रूप में पीसे। प्रभावित त्वचा पर इसे लगाएं। इस पेस्ट को अपने आप सूखने के लिए छोड़ दें, इसके बाद इसे ठंडे पानी से धो लें। इस उपचार का उपयोग दिन में एक बार करें जब तक आप परिणाम से संतुष्ट ना हो जाएं।
  • त्वचा कोशिकाओं को फिर से जीवंत करने और त्वचा का लचीलापन लाने के लिए आप त्वचा की मालिश भी कर सकते हैं, 1/3 कप जैतून का तेल या नारियल तेल और नीम के तेल के 1 चम्मच के साथ। यह बदले में त्वचा की चमक और त्वचा की रंगत भी बनाए रखने में मदद करता है।

नीम के गुण करते हैं जूँ का इलाज - Neem for Lice in Hindi

पत्रिका 2012 में परजीवी विज्ञान अनुसंधान में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया है कि नीम के बीज अपने प्राकृतिक कीटनाशक गुण के कारण एक ही इलाज में सिर से जूँ प्रकोप को समाप्त कर सकता है। इसके अलावा, नीम सिर की खुजली और जलन से राहत प्रदान करने में प्रभावी है।

(और पढ़ें - सिर की जूँ के घरेलू उपचार)

  • सप्ताह में किसी भी हर्बल नीम आधारित शैम्पू से 2 या 3 बार अपने बाल धो लें और फिर सिर की जूँ से छुटकारा पाने के लिए एक जूँ कंघी का प्रयोग करें।
  • वैकल्पिक रूप से, अपने बाल और सिर पर नीम की पत्तियों का पेस्ट लगाएं। इसे कुछ समय तक सूखने दे और बाद में गर्म पानी से अच्छी तरह से अपने बाल धो लें। फिर एक जूँ कंघी का प्रयोग कर के बालों को कंघी करने के लिए करें। इस उपचार का उपयोग सप्ताह में 2 या 3 बार , 2 महीने के लिए करें।
  • अपने बालों और सिर की त्वचा की मालिश करें बिना पानी मिले नीम के तेल के साथ, जो कि बहुत प्रभावी भी है। मालिश करने के बाद, एक जूँ की कंघी का प्रयोग जूँ से छुटकारा पाने के लिए करें। आप एक घंटे के लिए यहाँ तक कि रातभर भी नीम का तेल अपने बालों में छोड़ सकते हैं।

नीम का उपयोग मौखिक स्वास्थ्य में - Neem for Oral Health in Hindi

नीम मौखिक स्वास्थ्य और मसूड़ों की बीमारियों को दूर रखने में भी मदद करता हैं। अपने जीवाणुरोधी और रोगाणु रोधक गुण से बैक्टीरिया को मारने में मदद करता है जो कि गुहाओं, पट्टिका, मसूड़े की सूजन और अन्य बीमारियों का कारण बनते हैं। यह लंबे समय के लिए ताज़ा सांस भी प्रदान करता हैं।

  • नीम के पत्तों का रस निकालें और अपने दांतों और मसूढ़ों पर रगड़ें। कुछ मिनट के लिए लगाकर छोड़ दें, उसके बाद गर्म पानी के साथ कुल्ला करें। दिन में एक बार इस उपचार का प्रयोग करें। आप नरम नीम की दातुन का प्रयोग अपने दांत ब्रश करने के लिए भी कर सकते हैं।
  • टूथपेस्ट, माउथवॉश(मुँह धोना) और मौखिक स्वास्थ्य टॉनिक के महत्वपूर्ण अवयवों के रूप में नीम का उपयोग किया जाता है।

नीम के पत्ते खाने के फायदे रक्त को शुद्ध करने के लिए - Neem for Blood Purification in Hindi

नीम एक शक्तिशाली रक्त शोधक और विषहरण के रूप में काम करता हैं। यह हानिकारक विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाने में मदद करता है और शरीर के सभी भागों में आवश्यक पोषक तत्व और ऑक्सीजन ले जाने में मदद करता है। 

(और पढ़ें - खून साफ करने के घरेलू उपाय)

यह बदले में गुर्दे और जिगर जैसे महत्वपूर्ण अंगों के कामकाज में सुधार करता है। इसके अलावा, यह स्वस्थ संचार, पाचन, श्वसन और मूत्र प्रणाली को बनाए रखने में भी मदद करता है।

  • प्रत्येक दिन कई हफ्ते के लिए 2 या 3 नर्म नीम के पत्ते शहद के साथ खाली पेट खाने से आप अपने शरीर और त्वचा में परिवर्तन महसूस करने लग जाएंगे। आप नीम की चाय भी पी सकते हैं।
  • वैकल्पिक रूप से, दिन में 1 या 2 नीम कैप्सूल कुछ हफ्तों के लिए भोजन के साथ दो बार लें। सही खुराक के लिए, एक चिकित्सक से परामर्श करें।

नीम का रस पीने के फायदे मधुमेह में - Neem for Diabetes in Hindi

फिजियोलॉजी और औषध इंडियन जर्नल में प्रकाशित 2000 के एक अध्ययन के मुताबिक, भारतीय बकाइन या नीम रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में लाभकारी है और मधुमेह की शुरुआत को रोकने या देरी करने में सहायक हो सकता है। 

(और पढ़ें - शुगर के इलाज)

नीम की पत्तियों का रस कई यौगिकों से युक्त होता है जो कि मधुमेह के लोगों के बीच इंसुलिन आवश्यकताओं को कम कर सकता है बिना रक्त में शर्करा की मात्रा को प्रभावित किए।

  • नीम की गोलियां रक्त शर्करा के स्तर को करने कम में मदद करती हैं। डॉक्टर से परामर्श के बाद ही मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए नीम की गोलियां या चूर्ण का सेवन करें।
  • जिन लोगो को मधुमेह होने का खतरा अधिक होता है वो प्रतिदिन 4 या 5 नर्म नीम की पत्तियां खाली पेट चबा सकते हैं।
myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Madhurodh Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को डायबिटीज के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Sugar Tablet
₹899  ₹999  10% छूट
खरीदें

नीम के फायदे पेट के कीड़ों से छुटकारा पाने के लिए - Neem for Intestinal Worms in Hindi

नीम अपने विरोधी परजीवी गुणों के कारण पेट के कीड़े पर दोनों उपचारात्मक और निवारक प्रभाव डालता है। नीम में कई यौगिक हैं जो परजीवी के रहने की क्षमता को रोकने के लिए होते हैं, इस प्रकार इनके जीवन चक्र में दखल और अंडे सेने से नए परजीवी के होने को बाधित करता है। नीम विषाक्त पदार्थों को भी हटाता हैं जो कि परजीवी पीछे छोड़ मर जाते हैं।

  • खाली पेट नीम के नर्म पत्ते चबाने से या दिन में 2 बार, 1 से 2 सप्ताह के लिए नीम की चाय पीने से पेट के कीड़ो से छुटकारा पाया जा सकता है।
  • आप चिकित्सक से परामर्श के बाद भी नीम कैप्सूल या खुराक ले सकते हैं।

नीम के लाभ गठिया रोगियों के लिए - Neem for Arthritis in Hindi

नीम गठिया, विशेष रूप से पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस(अस्थिसंधिशोथ) और रुमेटी गठिया के लिए एक लोकप्रिय हर्बल उपचार हैं। इसमे सूजन को कम करने और दर्द को दबाने के गुण होते हैं जिससे यह जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करता है।

  • 1 कप पानी में एक मुट्ठी नीम की पत्तियों और फूलों को उबाल लें। फिर इसे छानकर ठंडा होने दे। यह दिन में दो बार 1 महीने तक सेवन करने से गठिया के दर्द और सूजन को कम करता है।
  • नीम के तेल के साथ नियमित मालिश भी मांसपेशियों के दर्द और जोड़ों के दर्द से प्रभावी राहत देती है। नीम के तेल की मालिश पीठ के निचले हिस्से में दर्द को भी कम करने में फायदेमंद है।

नीम रोके कैंसर होने से - Neem for Cancer in Hindi

रोसवेल पार्क कैंसर संस्थान में शोधकर्ताओं के 2014 के एक अध्ययन के अनुसार, नीम के बीज, पत्ते, फूल और फल का अर्क, कैंसर के विभिन्न प्रकार जैसे ग्रीवा और प्रोस्टेट कैंसर में केमो-निवारक और अर्बुदरोधी (antitumor) प्रभाव दिखाते हैं। 

(और पढ़ें - कैंसर के इलाज)

नीम प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा कर, सूजन को कम करके, मुक्त कण को हटा कर, हार्मोनल गतिविधि को रोक कर और कोशिका विभाजन में बाधा कर, कैंसर के इलाज में मदद कर सकता है।

कैंसर के खतरे को कम करने के लिए नीम या किसी अन्य जड़ी बूटी का उपयोग करने से पहले एक डॉक्टर से परामर्श करें।

नीम का फायदा मलेरिया के लिए - Neem ka fayda for Malaria in Hindi

नाइजीरियाई अध्ययन के अनुसार, नीम के पत्तों में एंटीमाइमरियल (antimalarial ) गुण होता हैं। नीम की पत्तियां मलेरिया से लड़ने में मदद करती हैं। इन पत्तों का इस्तेमाल मलेरिया के इलाज में और मलेरिया की रोकथाम के लिए किया जा सकता है। नीम की चाय का इस्तेमाल भी मलेरिया के उपचार के रूप में किया जा सकता है।

नीम के फायदे संक्रमण के लिए - Neem ke fayde for Infection in Hindi

आप नाम का पाउडर, नीम का तेल या नीम के पेस्ट को त्वचा पर हुए किसी भी तरह के संक्रमण पर लगा सकते हैं। नीम में एंटीफंगल घटक होता है जो त्वचा के किसी भी संक्रमण को ठीक कर सकता है।

नीम के अन्य फायदे - Other benefits of Neem in Hindi

  • नीम में एंटीबैक्टीरियल (antibacterial) गुण मौजूद होते हैं जो शरीर में बैक्टीरिया से लड़ते है। 
  • अस्थमा जैसी बिमारी को नियमित करने के लिए भी नीम के तेल का उपयोग किया जाता है। 
  • पाचन सही रखने के लिए नीम के पत्तों का सेवन किया जा सकता है।
  • रक्‍तसंचार को बढ़ाने के लिए भी नीम के पत्तों का उपयोग होता है। नीम के 2 या 3 पत्तों को पानी के साथ मिलाएं और इसे रोज़ सुबह खली पेट पिएं, यह आपके रक्‍तसंचार को बढ़ाने में मदद करेगा।
  • नीम के पत्तों को पानी में डालकर उबालें, इसे ठंडा होने दें और इस पानी से आँखों को धो लें। यह आपकी आँखों में हो रही जलन को कम करने में मदद करता है। 
  • नीम, शरीर पर हुए किसी तरह के घाव को ठीक करने में भी सहायता करता है। पर इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी जरूरी है। 
  • नीम के लगभग 20 पत्तों को पानी में डालकर अच्छे से उबालें और तब तक उबलने दें जब तक इनका रंग पानी में अच्छे से घुल न जाए, अब इस पानी को ठंडा होने दें और एक बोतल में रख लें। इस पानी से रोज़ अपने चेहरे को धोएं और मुहांसों से छुटकारा पाएं। 
  • नीम पाउडर, तुलसी और चंदन पाउडर का पेस्ट बनाकर इसे चेहरे पर लगाएं, सूखने दें और ठंडे पानी से मुँह धो लें। यह पेस्ट लगाने से आपके चेहरे पर निखार आएगा।
  • नीम के पाउडर को पानी और अंगूर के तेल के साथ मिलाएं और इसका अपने चेहरे पर मॉइस्चराइजर के रूप में इस्तेमाल करें।
  • आँखों के नीचे काले घेरे हटाने के लिए नीम पाउडर और पानी का एक गाढ़ा मिश्रण बनाएं और इसे 15 मिनट के लिए काले घेरों पर लगाएं।
  • नियमित रूप से नीम के तेल का सेवन करने पर अस्थमा, सर्दी-जुकाम और बुखार जैसी परेशानियां भी दूर हो सकती है। 

नीम की तासीर ठंडी होती है। इसलिए इसका गर्मियों के मौसम में उपयोग करना काफी फायदेमंद बताया जाता है। सर्दियों के मौसम में भी नीम का इस्तेमाल किया जा सकता है पर कम मात्रा में ही इसका उपयोग करें। 

सामान्य खुराक में नीम के उपयोग से दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। हालांकि, शिशुओं या छोटे बच्चों को यह जड़ी बूटी नही देनी चाहिए। नीम गर्भवती, स्तनपान कराने वाली महिलाओं या जो गर्भ धारण करने की कोशिश कर रहे हैं उनके लिए भी सुरक्षित नहीं है। इसके अलावा, नीम का तेल आंतरिक रूप से कभी नहीं लिया जाना चाहिए।

  • एक सामान्य नियम के रूप में, यह रक्त में शर्करा की मात्रा कम कर सकता हैं इसलिए यदि आप उपवास कर रहे हैं तो बेहतर होगा कि आप नीम के मौखिक सेवन से बचें।
  • मधुमेह से पीड़ित लोगों को चिकित्सक की देखरेख में ही नीम का उपयोग करना चाहिए, लगातार रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी के साथ।
  • बचपन में, गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान नीम का उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह लेना आवश्यक है। (और पढ़ें - गर्भावस्था के दौरान पेट दर्द)
  • यदि आप बालों के लिए नीम के तेल का उपयोग कर रहे हैं (जैसे रूसी के मामले में), तो यह बालों को धोते समय आंखों में जलन का कारण बन सकता है।

(और पढ़ें - लड़का होने के लिए उपाय और गोरा बच्चा पैदा करना से जुड़े मिथक)

बस इन बातों का ध्यान रखें और नीम का प्रयोग कर अपनी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को दूर करें।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें नीम है

संदर्भ

  1. Anjali Singh, Anil Kumar Singh, G. Narayan, Teja B. Singh, Vijay Kumar Shukla. Effect of Neem oil and Haridra on non-healing wounds. Ayu. 2014 Oct-Dec; 35(4): 398–403. PMID: 26195902
  2. Heukelbach J, Oliveira FA, Speare R. A new shampoo based on neem (Azadirachta indica) is highly effective against head lice in vitro. Parasitol Res. 2006 Sep;99(4):353-6. Epub 2006 Mar 28. PMID: 16568334
  3. Beuth J, Schneider H, Ko HL. Enhancement of immune responses to neem leaf extract (Azadirachta indica) correlates with antineoplastic activity in BALB/c-mice. In Vivo. 2006 Mar-Apr;20(2):247-51. PMID: 16634526
  4. Dr. Farhat S. Daud et al. A Study of Antibacterial Effect of Some Selected Essential Oils and Medicinal Herbs Against Acne Causing Bacteria. International Journal of Pharmaceutical Science Invention, Volume 2 Issue 1 ‖‖ January 2013 ‖‖ PP.27-34
  5. Khosla P, Gupta A, Singh J. A study of cardiovascular effects of Azadirachta indica (neem) on isolated perfused heart preparations. Indian J Physiol Pharmacol. 2002 Apr;46(2):241-4. PMID: 12500501
  6. Lingzhi Wang et al. Anticancer properties of nimbolide and pharmacokinetic considerations to accelerate its development Oncotarget. 2016 Jul 12; 7(28): 44790–44802. PMID: 27027349
  7. Subramani R et al. Nimbolide inhibits pancreatic cancer growth and metastasis through ROS-mediated apoptosis and inhibition of epithelial-to-mesenchymal transition. Sci Rep. 2016 Jan 25;6:19819. PMID: 26804739
  8. National Research Council (US) Panel on Neem. Neem: A Tree For Solving Global Problems. Washington (DC): National Academies Press (US); 1992. APPENDIX B, BREAKTHROUGHS IN POPULATION CONTROL? .
  9. Maity P, Biswas K, Chattopadhyay I, Banerjee RK, Bandyopadhyay U. The use of neem for controlling gastric hyperacidity and ulcer. Phytother Res. 2009 Jun;23(6):747-55. PMID: 19140119
  10. Bandyopadhyay U. Clinical studies on the effect of Neem (Azadirachta indica) bark extract on gastric secretion and gastroduodenal ulcer. Life Sci. 2004 Oct 29;75(24):2867-78. PMID: 15454339
  11. David A. Ofusori, Benedict A. Falana, Adebimpe E. Ofusori, Ezekiel A. Caxton-Martins. Regenerative Potential of Aqueous Extract of Neem Azadirachta indica on the Stomach and Ileum Following Ethanol-induced Mucosa Lesion in Adult Wistar Rats. Gastroenterology Res. 2010 Apr; 3(2): 86–90. PMID: 27956991
  12. T. Lakshmi, Vidya Krishnan, R Rajendran, N. Madhusudhanan. Azadirachta indica: A herbal panacea in dentistry – An update. Pharmacogn Rev. 2015 Jan-Jun; 9(17): 41–44. PMID: 26009692
  13. Ajay Mishra, Nikhil Dave. Neem oil poisoning: Case report of an adult with toxic encephalopathy. Indian J Crit Care Med. 2013 Sep-Oct; 17(5): 321–322. PMID: 24339648
  14. de Groot A, Jagtman BA, Woutersen M. Contact Allergy to Neem Oil. Dermatitis. 2017 Nov/Dec;28(6):360-362. PMID: 29059091
ऐप पर पढ़ें