भारत में लगभग 4 हजार वर्षों से नीम का प्रयोग किया जा रहा है। नीम को औषधीय जड़ी बूटी के रूप में भी जाना जाता है। नीम के पेड़ के सभी हिस्सों के विभिन्न तरीकों से लाभकारी होते हैं। यहां तक कि नीम को संस्कृत में अरिष्टा कहा जाता है जिसका अर्थ “बीमारी से राहत पाना” है। नीम का पेड़ पत्तेदार होता है और से 75 फीट की लंबाई तक बढ़ सकता है। आमतौर पर नीम को पेड़ उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। हालांकि, इसे ईरान के दक्षिणी द्वीपों पर भी देखा जा सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विकासशील देशों के लगभग 80 फीसदी लोग पारंपरिक दवा के रूप में पौधों और पौधों से बनी चीज़ों का इस्तेमाल करते हैं। नीम का पेड़ त्वचा संक्रमण, घावों, संक्रमित जलन और कुछ फंगल इंफेक्शन जैसी कई समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
नीम के तेल से कई तरह के साबुन, लोशन और शैंपू तैयार किए जाते हैं। नीम की पत्तियां मच्छरों को भगाने में भी बहुत असरकारी होती हैं। इससे लिवर के कार्य करने की क्षमता में सुधार आता है और ब्लड शुगर का स्तर संतुलित रहता है। चेचक से ग्रस्त व्यक्ति को गुनगुने पानी में नीम की पत्तियां डालकर नहाने से राहत मिलती है। वेदों में नीम को “सर्व रोग निवारिणी” कहा गया है जिसका अर्थ “सभी रोगों को दूर करने वाली” है।
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नीम को भारत ही नहीं बल्कि अफ्रीका में भी बहुत महत्व दिया जाता है। अफ्रीका में माना जाता है कि नीम से 40 प्रकार के गंभीर और सामान्य बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।
औषधीय गुणों के अलावा नीम का इस्तेमान व्यंजनों में भी किया जाता है। इसे आप सब्जी और व्यंजनों में उबालकर और भूनकर इस्तेमाल कर सकते हैं। म्यांमार में नीम की पत्तियों का इस्तेमाल सलाद में किया जाता है। नीम की पत्तियों की खास बात यह है कि फ्रिज में रखने पर इसे लंबे समय तक ताजा रखा जा सकता है।
नीम के बारे में तथ्य
- वानस्पतिक नाम: एजाडिरेक्टा इण्डिका
- कुल: मेलियेसी
- संस्कृत नाम: निम्ब या अरिष्टा
- उपयोगी भाग: नीम के लगभग सभी भागों जैसे कि बीज, पत्तियों, फल, फूल, तेल, जड़ और छाल का उपयोग किया जाता है।
- भौगोलिक विवरण: नीम का पेड़ मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में मिलता है। इसके अलावा नेपाल, मालदीव, पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी पाया जाता है।
- उपयोग: नीम के पेड़ में अनेक औषधीय गुण पाए जाते हैं। नीम की पत्तियों का इस्तेमाल कुष्ठ रोग, नेत्र संबंधित विकारों, आंतों में कीड़े, पेट खराब होने, त्वचा और रक्त वाहिकाओं में अल्सर, बुखार, डायबिटीज एवं लिवर से संबंधित समस्याओं में किया जाता है। नीम का तेल गर्भ निरोधक में असरकारी है।
- रोचक तथ्य: ऐसा माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में तीन या इससे ज्यादा नीम के पेड़ लगाता है तो उसे मृत्यु के बाद स्वर्ग में जगह मिलती है।