हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी पारंपरिक तरीके से निम्न तरह से की जाती है -
- सर्जरी शुरू करने से पहले आपसे निम्न चीजें करने को कहा जाएगा -
- अस्पताल की गाउन पहनने के लिए
- यदि मरीज किसी भी तरह का आभूषण पहनकर गए हैं तो इसे निकालने को कहा जाएगा
- ब्लैडर खाली करने के लिए
- मरीज से ऑपरेशन टेबल पर लेटने को कहा जाएगा और एक डॉक्टर मरीज को सामान्य एनेस्थीसिया देंगे। एनेस्थीसिया वह दवा होती है, जिसकी मदद से मरीज को नींद आ जाती है।
- इसके बाद डॉक्टर मरीज के शरीर में भिन्न ट्यूब लगाएंगे -
- एक इंट्रावेनस ट्यूब लगाई जाती है, उसे मरीज की बांह या हाथ की नस में लगाया जाएगा, ताकि मरीज को दवा और द्रव दिए जा सकें।
- एक ट्यूब जिसे मरीज के गले और कलाई की रक्त वाहिकाओं में डाला जाएगा, ताकि मरीज के हृदय की दर और ब्लड प्रेशर को नापा जा सके।
- मुंह के अंदर से एक ब्रीथिंग ट्यूब मरीज के फेफड़ों में लगाई जाएगी। ट्यूब को वेंटिलेटर से जोड़ा जाएगा। वेंटिलेटर वह मशीन होती है, जिसकी मदद से व्यक्ति सर्जरी के दौरान सांस ले पाता है।
- मरीज की भोजन नली में ट्रांसएसोफेगल इकोकार्डियोग्राम प्रोब लगाया जाएगा, ताकि वाल्व की कार्य प्रक्रिया देखी जा सके। प्रोब को एक लचीली रोड से जोड़ा जाएगा, ताकि इसे आसानी से भोजन नली में लगाया जा सके।
- मरीज के पेट और आंत में से द्रव और पेशाब निकालने के लिए भी एक ट्यूब लगाई जाएगी
- यदि मरीज की छाती पर बाल हैं तो डॉक्टर उन्हें साफ़ कर देंगे और छाती को एंटीसेप्टिक दवा से साफ किया जाएगा
- ओपन हार्ट सर्जरी के लिए मरीज की पूरी छाती के बीच में एक चीरा लगाया जाएगा। यह चीरा छाती की हड्डी जितना बड़ा होता है
- मरीज का हृदय उसकी छाती की हड्डी द्वारा सुरक्षित होता है, जिसे ब्रैस्ट बोन कहते हैं। ब्रैस्ट बोन एक सपाट हड्डी होती है जो कि छाती के बिल्कुल दाएं भाग में होती है जो कि रिब केज (पंजर) का एक हिस्सा है। ऐसे में मरीज के हृदय तक पहुंचने के लिए डॉक्टर ब्रैस्ट बोन (स्ट्रेनम) को दो भागों में विभाजित करेंगे
- सर्जरी करने के लिए डॉक्टर मरीज के हृदय में ठंडे सोल्यूशन का इंजेक्शन लगाएंगे ताकि हृदय कुछ समय तक कार्य न करे। यह ठंडा सोल्यूशन यह निश्चित करता है कि हृदय जिस दौरान कार्य नहीं कर रहा है उस समय क्षतिग्रस्त न हो
- हृदय को रोकने से पहले मरीज को हार्ट-लंग बाईपास मशीन से कनेक्ट किया जाएगा। जिस दौरान हृदय कार्य नहीं कर रहा है उस समय यह मशीन शरीर के लिए सर्कुलेशन का काम करती है
- जब हार्ट लंग बाईपास मशीन ठीक तरह से काम करने लगेगी और मरीज का हृदय रुक जाएगा तब डॉक्टर वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी शुरू करेंगे
- रिप्लेसमेंट हो जाने के बाद डॉक्टर मरीज के हृदय को शॉक देकर फिर से शुरू करेंगे। यह छोटे पैडल की मदद से किया जाता है। हार्ट लंग बाईपास मशीन से हटाकर रक्त का संचरण वापस हृदय से जोड़ दिया जाएगा। यह हो जाने के बाद ट्यूब को निकाल दिया जाएगा
- इसके बाद डॉक्टर किसी भी तरह की सर्जिकल लीकेज की जांच करेंगे
- मरीज के हृदय की कार्य प्रक्रिया की जांच करने के लिए डॉक्टर तारों की मदद से बाहरी पेसमेकर लगाएंगे। सर्जरी के बाद थोड़े समय के लिए पेसमेकर से हृदय की कार्य प्रक्रिया को नियंत्रित करने में मदद मिलती है
- डॉक्टर मरीज की ब्रैस्ट बोन को तारों की मदद से बंद करेंगे और हृदय के आसपास जमे हुए खून के थक्के और द्रवों को निकाल देंगे। ऐसा छाती में ट्यूब लगाकर किया जाता है
- अंत में डॉक्टर ब्रैस्ट बोन को तारों की मदद से बंद कर देंगे और उस भाग पर पट्टी लगा दी जाएगी
आमतौर पर सर्जरी में दो से चार घंटे का समय लगता है। हालांकि, सर्जरी के लिए लगने वाला समय रिप्लेस किए जाने वाले वाल्व पर निर्भर करता है।
मिनिमली इनवेसिव सर्जरी
मिनिमली इनवेसिव सर्जरी पारम्परिक सर्जरी से अलग होती है, जिसमें ओपन हार्ट सर्जरी की तरह काम नहीं किया जाता है। इस सर्जरी में ब्रैस्ट बोन को चीर कर हृदय तक नहीं पंहुचा जाता है बल्कि इसमें छाती के दाएं भाग में चीरे लगा कर सर्जरी की जाती है। अधिकतर मिनमली इनवेसिव सर्जरी तकनीक में हार्ट लंग मशीन का प्रयोग किया जाता है, ताकि जिस दौरान हृदय काम नहीं कर रहा है शरीर में रक्त का संचरण होता रहे।
यह सर्जरी अलग-अलग तरीकों से की जा सकती है। उदाहरण के तौर पर छाती में छोटे चीरे लगाकर, रोबोट अस्सीस्टेड सर्जरी या थोरास्कोपिक सर्जरी। छाती में चीरे ब्रैस्ट बोन की तरफ से, अस्थि पंजर के मध्य से या ब्रैस्ट बोन के दाएं भाग में छोटे छेद कर के किए जा सकते हैं, जिसमें छोटे छेद के अंदर एक कैमरा लगे हुए उपकरण को डाला जाएगा, ताकि आपके शरीर के अंदर देखा जा सके।
रोबोटिक अस्सिटेड सर्जरी में सर्जरी रोबोट से करवाई जाती है, जिसे एक सर्जन अस्सिट कर रहे होते हैं। सर्जन वीडियो मॉनिटर में हृदय को तीन तरफ से या थ्री डी में देख पाते हैं।
थोरास्कोपिक सर्जरी में, छाती में लगे हुए चीरे के अंदर थोरास्कोप नामक एक उपकरण डाला जाता है जो कि एक पतली लम्बी ट्यूब होती है, जिसके एक सिरे पर कैमरा लगा हुआ होता है।
सर्जरी के बाद
सर्जरी के तुरंत बाद मरीज को इंटेंसिव केयर यूनिट या आईसीयू में ले जाया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि उसके हृदय और हृदय की कार्यशीलता को पास से देखा जा सके। वहां उसको एक से तीन दिन तक रखा जा सकता है या फिर जब तक डॉक्टर चाहे तब तक आईसीयू में रख सकते हैं।
मरीज के शरीर में अब भी कुछ ट्यूब जैसे आइवी ट्यूब लगी हुई होंगी।
आइवी ट्यूब का प्रयोग डॉक्टर ब्लड प्रेशर की दवाएं देने के लिए करेंगे। साथ ही इससे रक्त संबंधी समस्याओं के बारे में भी पता चल जाता है।
एक बार जब मरीज को होश आ जाता है तो इन्हें धीरे-धीरे निकाला जाता है। जब मरीज अपने आप सांस लेने लग जाए तो उसके गले में लगी ट्यूब को निकाल दिया जाएगा। हालांकि, उसको निमोनिया से बचाने के लिए उससे प्रत्येक कुछ घंटों में गहरी सांसें लेने को कहा जाएगा व खांसने को कहा जाएगा। खांसते हुए दर्द से बचने के लिए उस दौरान उसे मुंह पर तकिया रख लेना चाहिए।
एक बार थोड़ा ठीक हो जाने पर पेट की ट्यूब भी निकाल दी जाएगी। हालांकि, इसके बाद भी मरीज सीधे ही खाना नहीं खा सकता, उसको द्रव ही लेना होगा। पेसमेकर भी हटा दिया जाएगा।
एक बार डॉक्टर को यह महसूस हो जाए कि मरीज थोड़ा ठीक है तो उसको सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा। जहां उसको बेड से उठकर दिन में एक दो बार चलने-फिरने को भी कहा जाएगा। अभी कुछ समय तक आइवी लगी रहेगी। यदि उसको बहुत दर्द है तो डॉक्टर पेन किलर दे सकते हैं।
एक बार डॉक्टर के मुताबिक ठीक हो जाने पर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा और बाद की मीटिंग के लिए मरीज को अपॉइंटमेंट दी जाएगी।