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ट्रेकिआटमी एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें गर्दन के अगले हिस्से में एक छिद्र बनाया जाता है और इस छिद्र में ट्रेकियोस्टॉमी की ट्यूब डाली जाती है। इस ट्यूब की मदद से बाहर के वातावरण में मौजूद हवा फेफड़ों तक पहुंचती है। सरल भाषा में कहें तो ट्रेकिआटमी सर्जरी की मदद से हवा को फेफड़ों तक पहुंचाने या निकालने के लिए गर्दन में छिद्र बना दिया जाता है। इस सर्जरी के बाद आपको सांस लेने और छोड़ने के लिए मुंह या नाक की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। जब श्वसन मार्ग रुक जाते हैं और हवा नहीं आ पाती है, तो यह सर्जरी की जा सकती है। श्वसन मार्गों में रुकावट (सांस लेने में दिक्कत) आमतौर पर गंभीर संक्रमण, कैंसर व अन्य कई रोगों के कारण हो सकती है।

जो लोग लंबे समय से एंडोट्रेकियल ट्यूब का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनके लिए ट्रेकिआटमी काफी लाभदायक हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि एंडोट्रेकियल ट्यूब का इस्तेमाल करने पर छाले और संक्रमण जैसी समस्याएं हो सकती हैं और ट्रेकिआटमी सर्जरी से इस खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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ट्रेकिआटमी सर्जरी को अधिकतर मामलों में ओपन ट्रेकिआटमी और कन्वेंशनल ट्रेकिआटमी सर्जिकल प्रक्रियाओं के रूप में किया जाता है। इसके अलावा इसे परक्यूटीनियस डायलेशन तकनीक की मदद से भी किया जा सकता है, जिसमें अपेक्षाकृत छोटा चीरा लगाना पड़ता है। ट्रेकिआटमी से कुछ संभावित जटिलताएं हो सकती हैं, जैसे सर्जरी के घाव से रक्तस्राव होना, आसपास की संरचना प्रभावित होना और फेफड़ों के आसपास हवा फंस जाने पर फेफड़े क्षतिग्रस्त होना।

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  1. ट्रेकिआटमी क्या है - What is Tracheotomy in Hindi
  2. ट्रेकिआटमी किसलिए की जाती है - Why is Tracheotomy done in Hindi
  3. ट्रेकिआटमी से पहले - Before Tracheotomy in Hindi
  4. ट्रेकिआटमी के दौरान - During Tracheotomy in Hindi
  5. ट्रेकिआटमी के बाद - After Tracheotomy in Hindi
  6. ट्रेकिआटमी के जोखिम - Tracheotomy risks in Hindi
ट्रेकिआटमी के डॉक्टर

ट्रेकिआटमी किसे कहते हैं?

ट्रेकिआटमी को ट्रेकियोस्टॉमी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक सर्जिकल प्रोसीजर है, जिसमें गर्दन के अगले हिस्से में चीरा लगाकर ट्रेकिया (श्वास नली) में एक छिद्र बनाया जाता है। इस छिद्र में एक नली को श्वास नली में लगा दिया जाता है, जिसकी मदद से आप मुंह या नाक की बजाय गले से ही सांस लेने व छोड़ने लगते हैं। इस ट्यूब से सिर्फ हवा का आदान-प्रदान नहीं होता है, साथ ही इससे फेफड़ों में बनने वाले द्रव भी शरीर से बाहर निकलते रहते हैं।

श्वास नली एक प्रकार की ट्यूब है, जो कार्टिलेज जैसी संरचना से बनी होती है। यह गर्दन के अगले हिस्से में लैरिंक्स (स्वरयंत्र) से नीचे स्थित होती है। छाती में जाने के बाद श्वास नली दो हिस्सों में बंट जाती हैं, जिन्हें दाहिनी और बाईं ब्रोंकाई कहा जाता है, ये दोनों फेफड़ों में जाती हैं।

वैसे तो ट्रेकिआटमी और ट्रेकियोस्टॉमी को एक-दूसरे के पर्यायवाची शब्द के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, ट्रेकिआटमी एक सर्जरी की प्रक्रिया है, जिसमें गर्दन में स्थायी या अस्थायी छिद्र बनाया जाता है। इस प्रक्रिया में बनाए गए छिद्र को ट्रेकियोस्टॉमी कहा जाता है।

ट्रेकिआटमी आमतौर पर दो प्रकार की होती है, जिन्हें इमरजेंसी और नोन इमरजेंसी के नाम से जाना जाता है। इमरजेंसी ट्रेकिआटमी जीवन बचाने वाली सर्जिकल प्रक्रिया है, जो आपात स्थितियों में की जाती है। नॉन इमरजेंसी ट्रेकिआटमी को दो सर्जिकल प्रक्रियाओं के रूप में किया जाता है, जिन्हें ओपन सर्जरी या क्रिकोथायरॉइडोटमी के नाम से जाना जाता है। नॉन इमरजेंसी कम गंभीर स्थितियों में की जाने वाली सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसे ओपन ट्रेकिआटमी, कन्वेंशनल तकनीक या परक्यूटीनियस डायलेशन तकनीक के रूप में किया जा सकता है।

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ट्रेकिआटमी क्यों की जाती है?

ट्रेकिआटमी को निम्न स्थितियों में करवाने की सलाह दी जाती है -

  • लंबे समय से इंट्यूबेशन या वेंटिलेटर पर रहने के कारण, जिससे स्वरयंत्र या श्वास नली खराब हो सकती है
  • श्वसन तंत्र के स्राव को साफ करने के लिए
  • ऊपरी श्वसन तंत्र में रुकावट होने पर, जो निम्न कारणों से हो सकती है -
  • यदि लैरिंजियल मास्क एयरवे नहीं लगाया जा सकता है
  • श्वसन मार्गों की खराबी को ठीक करने के लिए, जहां पर एंडोट्रेकियल इंट्यूबेशन संभव नहीं होता है
  • ट्रेकर कोलिन्स और पियरे सिंड्रोम, जो आनुवंशिक जन्मजात रोग हैं, इनमें भी ट्रेकिआटमी करवाने की आवश्यकता पड़ सकती है।

इमरजेंसी ट्रेकिआटमी तब की जाती है, जब किसी व्यक्ति को सांस आना बंद हो जाती है और अन्य किसी तरीके से समस्या का समाधान नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति की जान बचाने के लिए इमरजेंसी ट्रेकिआटमी की जा सकता है।

यदि आप किसी समस्या के कारण सांस लेने में असमर्थ हो रहे थे और उस समस्या का समाधान होने के बाद आप सांस ले पा रहे हैं, तो ट्रेकिआटमी को हटा दिया जाता है। हालांकि, जिन लोगों की लैरिंक्स या फैरिंक्स (जो निगलने में मदद करती है) स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो गई हैं, तो उन्हें सांस लेने के लिए स्थायी रूप से ट्रेकिआटमी की आवश्यकता पड़ती है। ट्रेकिआटमी के कारण आपके खाने, पीने और बोलने की प्रक्रियाएं काफी प्रभावित हो जाती हैं। ऐसे में कुछ लोगों को इन परेशानियों से निपटने के लिए स्पीच थेरेपी की आवश्यकता पड़ती है।

ट्रेकिआटमी किसे नहीं करवानी चाहिए?

कुछ लोगों को ट्रेकिआटमी न करवाने की सलाह दी जाती है, जिनमें निम्न शामिल हैं -

कुछ समस्याएं जिनमें ट्रेकिआटमी की जा सकती है, लेकिन कुछ विशेष सावधानियों के साथ जैसे -

इसके अलावा जो लोग किसी कारण से पूरी तरह से वेंटिलेशन सपोर्ट पर निर्भर हैं, डॉक्टर उन्हें भी ट्रेकिआटमी न करवाने की सलाह दे सकते हैं।

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ट्रेकिआटमी की तैयारी कैसे करें?

इमरजेंसी ट्रेकिआटमी के मामलों में तैयारी करने के लिए कोई समय नहीं मिलता है। हालांकि, जब नॉन-इमरजेंसी ट्रेकिआटमी की योजना बनाई जा रही होती है, तो सर्जरी से पहले निम्न तैयारियां की जाती हैं -

  • डॉक्टर सबसे पहले आपका शारीरिक परीक्षण करते हैं, जिसकी मदद से पता लगाया जाता है कि आप सर्जरी के लिए पर्याप्त रूप से स्वस्थ हैं या नहीं।
  • सर्जरी से पहले आपको ब्लड टेस्ट जैसे कुछ डायग्नोस्टिक करवाने की सलाह दी जाती है।
  • यदि आप गर्भवती हैं या हो सकती हैं या फिर गर्भवती होने की योजना बना रही हैं, तो इस बारे में डॉक्टर से बात कर लें। (और पढ़ें : प्रेग्नेंट होने के उपाय)
  • यदि आपको किसी भी दवा, उत्पाद या पदार्थ से एलर्जी है, तो इस बारे में भी डॉक्टर को बता दें।
  • अगर आपको सोने के दौरान सांस फूलना या सांस लेने में दिक्कत आदि समस्याएं होती हैं, तो डॉक्टर को बताएं।
  • यदि आप धूम्रपान या शराब का सेवन करते हैं, तो डॉक्टर सर्जरी से कुछ दिन पहले ही आपको इसे छोड़ने के लिए कह सकते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि इन पदार्थों से सर्जरी के घाव ठीक होने में अधिक समय लगता है।
  • यदि किसी भी प्रकार की दवा, हर्बल उत्पाद या विटामिन आदि ले रहे हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को बता दें। डॉक्टर आपको सर्जरी से पहले कुछ दवाएं छोड़ने या उनकी खुराक कम करने की सलाह दे सकते हैं, जिनमें रक्त को पतला करने वाली दवाएं भी शामिल हैं, जैसे एस्पिरिन और वारफेरिन आदि।
  • डॉक्टर आपको सर्जरी वाले दिन खाली पेट रहने की सलाह दे सकते हैं। हालांकि, सर्जरी से दो घंटे पहले तक आपको पानी पीने की सलाह दी जा सकती है। (और पढ़ें : कितने लीटर पानी प्रतिदिन पीना चाहिए)
  • अंत में आपको एक सहमति पत्र दिया जाएगा, जिस पर हस्ताक्षर करके आप सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति दे देते हैं। सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से पहले एक बार पत्र को अच्छे से पढ़ लें।

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ट्रेकिआटमी कैसे की जाती है?

यदि ट्रेकिआटमी एक निर्धारित प्रक्रिया है और कोई इमरजेंसी नहीं है, तो आपको अस्पताल में भर्ती करके हॉस्पिटल गाउन पहनने को दिया जाएगा। ऑपरेशन थिएटर में आपको कमर के बल लिटा दिया जाता है और आपकी गर्दन के नीचे कोई कपड़ा मोड़ कर रख दिया जाएगा। ऐसा करने से आपकी गर्दन स्ट्रेच हो जाएगी और सर्जरी करने में आसानी रहेगी। (और पढ़ें - गर्दन में दर्द का इलाज)

ट्रेकिआटमी के प्रकारों के अनुसार इनकी सर्जिकल प्रक्रिया अलग-अलग हो सकती है, जैसे -

कन्वेंशनल या ओपन नेक ट्रेकिआटमी

इस सर्जरी प्रोसीजर को जनरल एनेस्थीसिया देकर किया जाता है, जिससे आप सर्जरी के दौरान गहरी नींद में सो जाते हैं और आपको कुछ महसूस नहीं होता है।

  • सर्जन सबसे पहले आपकी गर्दन के अगले हिस्से की त्वचा में एक क्षैतिज (Horizontal) कट लगाएंगे।
  • इसके बाद कट के बीच से मांसपेशियों को हटाया जाएगा, जिससे श्वास नली और थायराइड ग्रंथि दिखने लगेगी।
  • सर्जरी करने के लिए या तो थायराइड ग्रंथि को एक तरफ कर दिया जाता है या फिर निकाल दिया जाता है।
  • इसके बाद श्वास नली में एक कट लगाया जाएगा। यह कट कुछ इस तरह से लगाया जाता है, जिससे ट्रेकिया की कार्टिलेज जैसी संरचना में एक पल्ला (फ्लैप) बन जाए। इसके अलावा सर्जन श्वास नली में छिद्र बनाने के लिए उसके अंदरूनी हिस्से के एक भाग को हटा भी सकते हैं।
  • इसके बाद सर्जन छिद्र में ट्रेकिआटमी ट्यूब डालते हैं। ट्रेकिआटमी ट्यूब ठीक से लगी है या नहीं इसकी पुष्टि करने के लिए सर्जन पता करते हैं कि मरीज सांस ठीक से ले रहा है या नहीं, कितनी मात्रा में ऑक्सीजन ले रहा है और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ रहा है।
  • ट्यूब को अपनी जगह पर स्थिर रखने के लिए उसके दोनों तरफ टांके लगाए जाते हैं और फिर ट्रेकिआटमी टेप लगा दी जाती है।

परक्यूटीनियस बेडसाइड तकनीक (बेडसाइड ट्रेकिआटमी)

बेडसाइड ट्रेकिआटमी एक मिनिमली इनवेसिव प्रोसीजर है, जिसका मतलब है कि इसमें छोटा सा ही चीरा लगाया जाता है। बेडसाइड ट्रेकिआटमी को भी जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाकर किया जाता है। जिन लोगों को एंडोट्रेकियल ट्यूब लगी हुई है, उनमें इस प्रोसीजर की मदद से श्वास नली को देखे बिना ही ट्रेकिआटमी ट्यूब को डाल दिया जाता है।

  • इस प्रक्रिया में आपको कमर के बल लेटने को कहा जाएगा और आपकी गर्दन के नीचे कोई कपड़ा रख दिया ताकि आपका सिर नीचे हो जाए और गर्दन की लंबाई पूरी हो जाए।
  • इसके बाद गर्दन के अगले हिस्से पर सर्जन एक चीरा लगाते हैं और श्वास नली के ऊपर मौजूद ऊतकों को एक तरफ हटाते हैं।
  • इसके बाद एंडोट्रेकियल ट्यूब को थोड़ा वापस खींचा जाता है, ताकि उसका कफ ग्लोटिस के स्तर पर आ जाए। ग्लोटिस, वोकल तंत्र होता है जिसमें वोकल कोर्ड होती हैं।
  • सर्जन एंडोट्रेकियल ट्यूब के अंदर से एक फाइबरोप्टिक ब्रोंकोस्कोप डालते हैं। ब्रोंकोस्कोप के सिरे पर लाइट लगी होती है, जिसकी मदद से चीरे के अंदर से देखने में मदद मिलती है।
  • सर्जन श्वास नली के ऊपर की त्वचा को छूकर और हल्के-हल्के दबाकर कुछ जांच करेंगे। ब्रोंकोस्कोप से निकलने वाली रोशनी की मदद से श्वास नली की स्थिति का पता लगाया जाएगा।
  • टेफ्लॉन कैथीटर इंट्रोड्यूसर सुई को ध्यानपूर्वक श्वास नली में डाला जाता है और साथ ही साथ यह ध्यान रखा जाता है कि श्वास नली की पिछली सतह को क्षति न पहुंचे।
  • सुई को निकाल दिया जाएगा और डायलेटर की मदद से इस छिद्र को थोड़ा बड़ा बना दिया जाएगा।
  • ट्यूब लगने के बाद इसकी स्थिति की जांच की जाती है और फिर आस-पास की त्वचा में टांके लगाकर इसे स्थिर बना दिया जाता है। टांकों के ऊपर ट्रेकिआटमी टेप लगा दी जाती है। (और पढ़ें - टांके कैसे लगाते हैं)

इमरजेंसी ट्रेकिआटमी

इमरजेंसी ट्रेकिआटमी को आमतौर पर दो तरीकों से किया जाता है, जिन्हें ओपन ट्रेकिआटमी और क्रिकोथायरॉइडोटमी के नाम से जाना जाता है। इनकी सर्जिकल प्रोसीजर निम्न प्रकार से हैं -

ओपन ट्रेकिआटमी -
ओपन ट्रेकिआटमी बहुत तेजी से की जाती है, ताकि जल्द से जल्द श्वास नली में छिद्र करके श्वसन प्रक्रियाओं को चालू किया जा सके।

क्रिकोथायरॉइडोटमी -
इस प्रोसीजर में क्रिकोथायरॉइड मेम्बरेन में एक छिद्र बनाया जाता है। क्रिकोइड कार्टिलेज को ढकने वाली झिल्ली को क्रिकोथायरॉइड मेम्बरेन कहा जाता है, जो थायराइड ग्रंथि के सामने मौजूद होती है। यह मेम्बरेन त्वचा की सतह के बहुत पास होती है, इसलिए इसमें ज्यादा बड़ा चीरा लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

  • सर्जन क्रिकोथायराइड मेम्बरेन का पता लगाएंगे और उपकरणों की मदद से उसमें चीरा लगाएंगे।
  • इसके बाद छिद्र में एंडोट्रेकियल ट्यूब को डाला जाएगा।
  • यदि आपकी स्वास्थ्य स्थिति स्थिर है या यदि आपको 4 दिनों से अधिक समय तक ब्रीथिंग मशीन की आवश्यकता पड़ती है, तो कन्वेंशनल ट्रेकिआटमी की जाती है।

जब आप खुद सामान्य रूप से सांस लेने लगते हैं, तो इस ट्यूब को निकाल दिया जाता है। ट्रेकिआटमी के छिद्र पर टांके लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है, यह अपने आप बंद हो जाता है।

जब ट्यूब निकाली जाती है, तो छिद्र को बंद करके उस पर पट्टी लगा दी जाती है और दो हफ्तों के भीतर छिद्र अपने आप बंद हो जाता है।

आपको सर्जरी के बाद तीन से पांच दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ सकता है। हालांकि, यदि आपकी हालत स्थिर नहीं है या डॉक्टर को कुछ संदेह है, तो वे आपको अधिक समय तक भी अस्पताल में भर्ती रख सकते हैं।

सर्जरी प्रोसीजर होने के बाद निम्न प्रक्रियाएं की जाती हैं -

  • ट्रेकिआटमी ट्यूब के आगे एक विशेष उपकरण लगाया जाएगा, जिसको ह्यूमिडिटी कॉलर कहा जाता है। यह कॉलर आपको नम और ऑक्सीजन से भरपूर हवा प्रदान करता है।
  • संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं दी जाएंगी।
  • डॉक्टर आपकी छाती का एक्स रे करेंगे, जिससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ट्यूब सही जगह पर है और उससे कोई समस्या होने का खतरा नहीं है।
  • ट्रेकिआटमी ट्यूब को सर्जरी होने के 7 दिनों बाद बदला जाएगा।
  • अस्पताल में छुट्टी मिलने से पहले आपको कैथेटर और ट्यूब के आस-पास की त्वचा को साफ करना सिखाया जाएगा।
  • आप जिस हवा में सांस ले रहे हैं, उसे नम करने के तरीकों के बारे में भी आपको सिखाया जाएगा।
  • यदि आपके बोलने की प्रक्रिया प्रभावित हो गई है, तो स्पीच थेरेपिस्ट आपको ट्रेकिआटमी के बाद बोलने के तरीके सिखाएंगे।
  • ट्रेकिआटमी ट्यूब लगने के बाद आपको चबाने और निगलने में भी कठिनाई आ सकती है। पोषक तत्व विशेषज्ञ इसमें आपकी मदद कर सकते हैं।

(और पढ़ें - पोषण की कमी के लक्षण)

ट्रेकिआटमी के बाद की देखभाल

ट्रेकिआटमी सर्जरी होने के बाद आपको निम्न देखभाल करने की आवश्यकता पड़ती है -

  • यदि ट्रेकिआटमी ट्यूब को कुछ ही समय के लिए (अस्थायी रूप से ) लगाया गया है, तो इसकी पट्टी को दिन में दो बार बदला जाता है, क्योंकि यह गंदी हो जाती है। पट्टी को बदलने से पहले रुई के टुकड़े को गीला करके उसे सााफ किया जाता है।
  • खांसने या बोलने के दौरान छिद्र पर उंगली रख लें, ताकि छिद्र पर दबाव न पड़े और घाव जल्दी ठीक हो जाए।
  • ट्रेकिआटमी ट्यूब को किसी कपड़े से ढक कर रखें, ताकि धूल के कण व अन्य कचरा श्वसन मार्गों में न जा पाए।
  • जब तक ट्यूब लगी है या फिर टयूब निकालने के बाद जब तक छिद्र पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता तब तक आपको टब में नहाने या तैराकी करने से सख्त मना किया जाता है।
  • नहाने के दौरान भी डॉक्टर आपको ट्रेकिआटमी ट्यूब को ढकने की सलाह देते हैं ताकि पानी अंदर न जाए।
  • रात को सोते समय ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी होता है। इससे श्वसन मार्गों में मौजूद द्रव गाढ़ा नहीं हो पाता है और श्वसन मार्ग खुले रहते हैं।
  • सर्जरी के बाद आपको शारीरिक रूप से गतिशील रहने की सलाह दी जाती है। हालांकि, सर्जरी के बाद छह हफ्तों तक आपको कोई भी कठिन एक्सरसाइज या शारीरिक गतिविधि करने से मना किया जाता है।
  • जब धीरे-धीरे आपकी सांस लेने की प्रक्रिया में सुधार आता रहेगा, तो आपकी रोजाना की शारीरिक गतिविधियों को भी धीरे-धीरे बढ़ा दिया जाएगा।
  • सर्जरी वाली जगह पर दर्द व अन्य तकलीफें कम करने के लिए डॉक्टर आपको गर्म सिकाई करने की सलाह दे सकते हैं।
  • सर्जरी वाली जगह को साफ व सूखी रखें और जब आप कहीं बाहर जा रहे हैं, तो उसे कपड़े से ढक लें।

डॉक्टर को कब दिखाएं?

यदि आपको ट्रेकिआटमी प्रोसीजर होने के बाद कुछ समस्याएं हो रही हैं, तो डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए -

  • सांस लेने में तकलीफ होना जो श्वसन मार्गों में मौजूद द्रवों को साफ करने के बाद भी ठीक नहीं हो रही हो
  • सर्जरी होने के एक हफ्ते बाद भी दर्द व अन्य तकलीफ होना
  • हृदय की दर असामान्य होना
  • कुछ खाने या पीने के बाद उल्टी आना
  • सांस लेने के दौरान असामान्य आवाज आना
  • निगलने में कठिनाई होना
  • ट्रेकिआटमी वाली जगह पर स्कार बनना जिसमें दर्द हो और गांठ महसूस हो रही हो
  • सर्जरी के सात दिनों बाद भी बहुत कम आवाज होना या बोलते समय कर्कश आवाज निकलना

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ट्रेकिआटमी से क्या जोखिम हो सकते हैं?

ट्रेकिआटमी से होने वाली जटिलताओं को दो भागों में बांटा जाता है, शुरुआती जटिलताएं और बाद में होने वाली जटिलताएं। इन में निम्न शामिल हैं -

  • शुरुआती जोखिम व जटिलताएं -
    • बार-बार तंत्रिकाएं प्रभावित होना
    • रक्तस्राव
    • घाव में संक्रमण होना
    • क्रिकोइड कार्टिलेज क्षतिग्रस्त होना (श्वास नली से शुरू होने वाले कार्टिलेज को क्रिकोइड कार्टिलेज कहा जाता है)
    • सर्जरी के दौरान श्वास नली और भोजन नली के बीच में छिद्र बन जाना
    • ट्रेकिआटमी ट्यूब में रुकावट हो जाना
    • फेफड़े क्षतिग्रस्त होना (और पढ़ें - फेफड़े खराब होने का इलाज)
    • किसी प्रकार की चोट लगने के कारण फेफड़ों के आसपास हवा लीक होना
    • त्वचा में कहीं हवा फंस जाना
  • बाद में होने वाले जोखिम व जटिलताएं -
    • ट्रेकिआटमी ट्यूब के आसपास सूजन व लालिमा होना
    • श्वास नली और स्वरयंत्र के मार्ग संकीर्ण होना या रुकावट होना
    • पेट की सामग्री श्वसन मार्गों में आना
    • ट्रेकिया और इसोफेगस के बीच असाधारण संबंध होना
    • श्वास नली के कार्टिलेज नरम पड़ने के कारण रुकावट हो जाना

(और पढ़ें - ऊपरी श्वसन नली में रुकावट होने का कारण)

Dr Viresh Mariholannanavar

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श्वास रोग विज्ञान
2 वर्षों का अनुभव

Dr Shubham Mishra

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श्वास रोग विज्ञान
1 वर्षों का अनुभव

Dr. Deepak Kumar

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Dr. Sandeep Katiyar

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संदर्भ

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