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मानव शरीर में किडनी बहुत ही महत्‍वपूर्ण अंग है। दोनों में से अगर एक किडनी न हो तो इंसान सामान्‍य जीवन जी सकता है। किसी कारणवश डॉक्‍टर दोनों में से कोई एक किडनी या किडनी का कुछ हिस्‍सा निकलवाने के लिए कह सकते हैं। इस प्रक्रिया को नेफ्रेक्‍टोमी कहा जाता है।

  1. किडनी निकालने का ऑपरेशन क्या है - Nephrectomy surgery kya hai?
  2. किडनी निकालने का ऑपरेशन कब करवाना चाहिए - Kidney nikalne ka operation kab kia jata hai?
  3. किडनी निकालने की सर्जरी से पहले की तैयारी - Nephrectomy operation se pehle ki taiyari
  4. किडनी निकालने का ऑपरेशन कैसे करते हैं - Kidney removal ka operation kaise hota hai
  5. किडनी निकालने के ऑपरेशन के बाद की सावधानियां - Nephrectomy operation ke baad savdhaniya
  6. किडनी निकालने के ऑपरेशन के बाद जटिलताएं - Kidney removal surgery ke baad jatiltaye

नेफ्रेक्‍टोमी एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें पूरी किडनी या इसके कुछ हिस्‍से को निकाल दिया जाता है। नेफ्रेक्‍टोमी यानी किडनी निकालने की सर्जरी कई तरह से की जाती है, जैसे कि :

  • रैडिकल नेफ्रेक्‍टोमी : इसमें यूरोलॉजिक सर्जन पूरी किडनी को निकाल देते हैं और अक्‍सर किडनी को मूत्राशय से जोड़ने के लिए एक ट्यूब या इसी की तरह कोई संरचना जैसे कि एड्रेनल ग्रंथि या लिम्‍फ नोड्स लगाते हैं।
  • सिंपल नेफ्रेक्‍टोमी : इस सर्जरी में दोनों में से एक किडनी निकाल दी जाती है।
  • पार्शियल नेफ्रेक्‍टोमी : इस सर्जरी को किडनी स्‍पेरिंग ऑपरेशन भी कहा जाता है। इसमें सर्जन किडनी से खराब हुए ऊतक को हटाते हैं और स्‍वस्‍थ ऊतक को अपनी ही जगह छोड़ देते हैं।
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कई वजहों से किडनी निकलवानी पड़ सकती है। इसके निम्‍न कारण हो सकते हैं -

  • किडनी दान करनी हो तो
  • किडनी में जन्‍मजात विकार
  • किडनी कैंसर या किडनी में कैंसर होने का खतरा
  • संक्रमण, पथरी या अन्‍य किसी समस्‍या से किडनी को नुकसान
  • किडनी तक खून न पहुंच पाने की समस्‍या से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति में हाई ब्‍लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करने के लिए
  • किडनी को ऐसा नुकसान पहुंचना जिसे ठीक कर पाना मुश्किल हो

अगर आप प्रेगनेंट हैं तो सर्जन को इस बारे में जरूर बताएं। इसके अलावा कोई दवा या ओटीसी दवा (डॉक्‍टर की सलाह के बिना ली जाने वाली दवाएं) ले रहे हैं, तो इसकी जानकारी भी ऑपरेशन से पहले सर्जन को दें। सर्जरी से पहले कुछ दवाओं का सेवन बंद करना पड़ सकता है, खासतौर पर खून पतला करने वाली दवाएं। इनकी वजह से ऑपरेशन के दौरान ब्‍लीडिंग रोकने में परेशानी हो सकती है।

सर्जरी से कुछ दिन पहले डॉक्‍टर मरीज का ब्‍लड ग्रुप जानने के लिए ब्‍लड टेस्‍ट करते हैं। अगर सर्जरी के दौरान मरीज को खून चढ़ाने की जरूरत पड़ी, तो ब्‍लड ग्रुप की मदद से डॉक्‍टर पहले से ही उसका इंतजाम रखते हैं।

ऑपरेशन से एक रात पहले कुछ भी न खाने और पीने के लिए भी कहा जाता है। वहीं ऑपरेशन से पहले मरीज को बेहोश करने के लिए एनेस्‍थीसिया दिया जाता है।

किडनी निकालने का ऑपरेशन एनेस्‍थीसिया देने के बाद किया जाता है और इस ऑपरेशन में लगभग 3 या इससे ज्‍यादा घंटे का समय लगता है। आइए जानते हैं कि ये सर्जरी कैसे की जाती है :

  • सिंपल नेफ्रेक्‍टोमी : सर्जन पसलियों के बिल्कुल नीचे या सबसे नीचे की पसली के ऊपर 12 इंच या 30 सेंटीमीटर लंबा कट लगाते हैं। मांसपेशियों, फैट और ऊतकों को काटकर हटाया जाता है। सर्जन को पसली निकालने की जरूरत पड़ सकती है।
    किडनी से मूत्राशय तक पेशाब ले जाने वाली नली और रक्‍त वाहिकाओं को किडनी से अलग कर काट दिया जाता है। इसके बाद किडनी को निकाला जाता है। कभी-कभी किडनी का सिर्फ एक हिस्‍सा भी निकाला जाता है। इसे पार्शियल नेफ्रेक्‍टोमी कहा जाता है। अब कट को टांका लगाकर बंद कर दिया जाता है।
  • रैडिकल नेफ्रेक्‍टोमी : इस ऑपरेशन में सर्जन 8 से 12 इंच लंबा कट लगाते हैं। ये कट पेट पर पसलियों के बिलकुल नीचे होता है। अब मांसपेशियों, फैट और ऊतकों को काटकर निकाला जाता है। किडनी से मूत्राशय तक पेशाब ले जाने वाली ट्यूब और रक्‍त वाहिकाओं को काटकर किडनी को निकाल लिया जाता है।
    सर्जन आसपास का फैट और कभी-कभी एड्रेनल ग्रंथि एवं कुछ लिम्‍फ नोड्स भी निकालते हैं। अब टांका लगाकर कट को बंद कर दिया जाता है। इसके बाद मूत्रनली को काट कर किडनी के आसपास एक बैग रखा जाता है और बड़े कट से मूत्रनली को बाहर निकाल लिया जाता है।
  • लैप्रोस्‍कोपिक नेफ्रेक्‍टोमी : इस प्रकार की नेफ्रेक्‍टोमी में पेट या साइड में 1.5 इंच के 3 से 4 कट लगाए जाते हैं। इस सर्जरी में सर्जन छोटे-से प्रोब और कैमरा का इस्‍तेमाल करते हैं। किडनी को निकालने के लिए सर्जन 4 से 10 इंच का एक बड़ा कट भी लगाते हैं। इस सर्जरी में रैडिकल नेफ्रेक्‍टोमी से ज्‍यादा समय लगता है।

किडनी निकालने का ऑपरेशन करने के बाद मरीज को 1 से 7 दिनों तक अस्‍पताल में ही रहना पड़ता है। इस दौरान मरीज को कुछ बातों का ध्‍यान रखना होता है :

  • पेशाब करने के लिए कैथेटर लगाया जा सकता है। ऑपरेशन के बाद कुछ दिन तक आपको इसी से पेशाब करना होगा।
  • अगर ऑपरेशन के बाद पहले 1 से 3 दिनों में खाने में दिक्‍कत हो रही है तो कुछ दिनों तक सिर्फ तरल पदार्थ ही लें।
  • ब्रीदिंग एक्‍सरसाइज करें (सांस से संबंधित)
  • खून के थक्‍के जमने से रोकने के लिए स्‍टॉकिंग्‍स, कंप्रेशन बूट या ये दोनों पहनें
  • दर्द से राहत पाने के लिए इंजेक्‍शन या गोली लेनी होगी
  • रैडिकल यानी ओपन सर्जरी के बाद दर्द ज्‍यादा हो सकता है लेकिन लैप्रोस्‍कोपी नेफ्रेक्‍टोमी से मरीज जल्‍दी रिकवर कर लेता है और इसमें दर्द भी कम होता है।
  • अधिकतर लोग एक किडनी के साथ भी सामान्‍य जीवन जी पाते हैं, लेकिन ऑपरेशन के बाद भी मरीज को चेकअप करवाने जाना होता है, जिससे कि पता चल सके कि किडनी ठीक तरह से काम कर रही है या नहीं।
  • किडनी फंक्‍शन कम होने पर ब्‍लड प्रेशर बढ़ सकता है और इसकी वजह से किडनी को नुकसान हो सकता है। इसलिए आपको अपने ब्‍लड प्रेशर लेवल पर नजर रखनी चाहिए।
  • हाई प्रोटीन यूरिन लेवल (प्रोटीन्यूरिया) की वजह से किडनी को नुकसान और किडनी फंक्‍शन में खराबी आ सकती है। इसलिए यूरिन में प्रोटीन की जांच करवाते रहें।
  • किडनी शरीर में मौजूद विषाक्‍त पदार्थों को कितनी अच्‍छी तरह से फिल्‍टर कर रही है, ये जांचने के लिए ग्लौमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट होता है। इसके लिए क्रिएटिनिन लेवल जानना पड़ता है जो कि ब्‍लड टेस्‍ट के जरिए होता है। अगर फिल्‍टरेशन रेट कम हो तो ये किडनी फंक्‍शन में खराबी का संकेत होता है।
  • ऑपरेशन के बाद बची हुई किडनी को ठीक रखने के लिए संतुलित आहार लें और रोज व्‍यायाम करें एवं किडनी का नियमित चेकअप करवाते रहें।
  • अगर किडनी का कुछ हिस्‍सा या पूरी किडनी निकालने के बाद मरीज को कोई क्रोनिक किडनी डिजीज हो गई है तो डॉक्‍टर आपको जीवनशैली और आहार में कुछ बदलाव करने के लिए कह सकते हैं। डॉक्‍टर द्वारा बताई गई दवाएं समय पर लेते रहें।
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इस तरह की किसी भी बड़ी सर्जरी के बाद जटिलताएं आती ही हैं। वैसे तो नेफ्रेक्‍टोमी के बाद समस्‍याएं कम ही आती हैं, लेकिन फिर भी कुछ मामलों में निम्‍न परेशानियां देखनी पड़ सकती हैं :

इसके अलावा ऑपरेशन के दौरान किडनी के आसपास के ऊतकों या अंगों को नुकसान पहुंच सकता है। हर्निया (जिसमें चीरे वाली जगह से अंदर का अंग उभरकर बाहर आने लगता है) होने का भी खतरा रहता है। सर्जरी के बाद बची हुई किडनी में भी कोई परेशानी महसूस हो सकती है। वैसे इस बात का खतरा कम ही होता है क्योंकि जिन लोगों को किडनी निकलवाने की जरूरत पड़ती है, उनमें किडनी रोग होने का खतरा ज्‍यादा ही रहता है। किडनी दान करने वाले लोगों में इस तरह की समस्‍याएं कम ही देखी जाती हैं।

संदर्भ

  1. Harvard Health Publishing. Harvard Medical School [internet]: Harvard University; Nephrectomy
  2. NHS Scotland [Internet]. National Health Service. UK; Nephrectomy: a guide for patients and family
  3. University Hospital Birmingham [Internet]. NHS Foundation Trust. National Health Service. UK; Open and laparoscopic nephrectomy
  4. Royal Berkshire Hospital [internet]: NHS Foundation Trust. National Health Service. U.K.; Nephrectomy (kidney removal): information and advice for patients on the enhanced recovery programme
  5. American Kidney Fund [Internet]. Maryland. US; Symptoms of kidney disease
  6. National Kidney Foundation [Internet]. New York (NY). US; 10 Signs You May Have Kidney Disease
  7. National Institute For Health and Care Excellence [Internet]. London. UK; Laparoscopic nephrectomy (including nephroureterectomy)
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