जब ग्लूकोमा यानी काले मोतियाबिंद के इलाज में अन्य उपचार और दवाएं विफल हो जाती हैं, तब उस स्थिति में ऑपरेशन किया जा सकता है। काले मोतियाबिंद के ऑपरेशन की मदद से आंखों की रोशनी बचाई जा सकती है।
हमारी आंखों में ऑप्टिक नर्व होती हैं, जो किसी भी वस्तु का चित्र दिमाग तक पहुंचाती है। ग्लूकोमा के दौरान हमारी आंखों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। लगातार बढ़ते दबाव के कारण हमारी ऑप्टिक नर्व क्षतिग्रस्त हो सकती है। इस दबाव को इंट्रा-ऑक्युलर प्रेशर कहते हैं।
ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि भारत में लगभग 40 साल या उस से अधिक उम्र के 1 करोड़ से ज्यादा लोग काला मोतियाबिंद से पीड़ित हैं और यह सभी सही उपचार के बिना अपनी दृष्टि खो बैठेंगे। तकरीबन 3 करोड़ अन्य लोगों को प्राथमिक (क्रोनिक) ओपन-एंगल ग्लूकोमा है या होने का जोखिम है। कुल मिलाकर इस आयु वर्ग के 31 करोड़ लोगों में से 4 करोड़ लोग ग्लूकोमा होने के खतरे के साथ जी रहे हैं।