यदि आपको अभी भी संदेह है कि आप गर्भवती हैं या नहीं, तो सर्वप्रथम अपने गर्भवती होने की पुष्टि करें। अगर असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने के बाद आपको मासिक धर्म न हो, मतली और उल्टी का अनुभव या हार्मोनल परिवर्तन महसूस हो तो तुरंत स्त्री रोग चिकित्सक से संपर्क करें या घर पर ही गर्भावस्था जांच करें। प्रेगनेंसी की पुष्टि करने के लिए ये दोनों ही बेहतर तरीके हैं। डॉक्टरों के अनुसार, असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने के बाद आपको 21 दिन या पीरियड्स न होने के एक हफ्ते बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए। 

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अगर आप गर्भवती हैं या आपका गर्भावस्था का चौथा हफ्ता चल रहा है तो आपको आहार और जीवन शैली में महत्वपूर्ण परिवर्तन करने की ज़रूरत है। गर्भावस्था का चौथा हफ्ता इसलिए क्योंकि गर्भधारण के लगभग एक सप्ताह बाद भी अगर आपने प्रेगनेंसी टेस्ट किया और वो पॉजिटिव आया है तो भी आरोपण (Implantation) के समय से गिनती करने पर इस समय आप लगभग एक महीने की गर्भवती होती हैं। अर्थात यह आपकी पहली तिमाही चल रही है और यह आपके बच्चे के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण समय है। पहली तिमाही का समय, आपकी आखिरी माहवारी से लेकर 12वें हफ्ते के अंतिम दिन तक गिना जाता है।

इस समय भ्रूण के विकास में असामान्यतायें होने का अधिक जोखिम रहता है क्योंकि इस समय भ्रूण के मस्तिष्क, हृदय, सिर, रीढ़ की हड्डी, हड्डियों, मांसपेशियों, ऊतकों, और दांत सभी का विकास होता है। यदि आप अल्कोहल या अन्य विषाक्त (Poisnous) पदार्थों का सेवन करती हैं तो बच्चे के स्वास्थ्य के लिए अब उनका सेवन करना बंद कर दें।

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गर्भावस्था के चौथे हफ्ते में, आपका शरीर गर्भावस्था हार्मोन एचजीसी (HGC) का उत्पादन करता है, जिससे चिंता, उल्टी, मितली, चक्कर, बेहोशी, थकावट और मूड बदलना आदि का अनुभव हो सकता है।

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आपको स्तनों में असहजता और पीड़ा होगी। इस समय कुछ महिलाओं की सूंघने की शक्ति बढ़ जाती है या उनको किसी भी चीज़ की महक अधिक और जल्दी लगती है।  

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खराब महक के कारण मतली या उल्टी होने की सम्भावना अधिक होती है। लेकिन इनके कारण चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। जैसे ही आप प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में प्रवेश करती हैं ये लक्षण जल्द ही कम हो जाते हैं।

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गर्भावस्था के चौथे सप्ताह के दौरान भ्रूण का विकास बहुत तेज़ी से होता है। इस समय तक गर्भधारण, निषेचन, और आरोपण हो चुका होता है।

भ्रूण में दो परतें हो जाती हैं, जिन्हें एपिब्लास्ट और हाइपोबलास्ट कहा जाता है। इसके अलावा, इस हफ्ते के दौरान भ्रूणावरण (Amniotic sac - भ्रूण को बाहर से सुरक्षा प्रदान करने वाली थैली) और योल्क सैक (Yolk sac - भ्रूण तक रक्त और पोषक तत्वों का स्थानांतरण करने वाली थैली) का भी विकास होता है। भ्रूणावरण में एम्नियोटिक द्रव भरा रहता है, जो भ्रूण की रक्षा करता है। 

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इस तिमाही में आपका बच्चा 0.4 मिमी लंबा होता है अर्थात एक सेब के बीज के बराबर। उसका दिल धड़कता है, रक्त पंप होना और अंगों का विकास होना शुरु हो जाता है।

इस समय सोनोग्राम (अल्ट्रासाउंड) में बीच में एक छोटा सा गोला दिखाई देता है इससे अधिक कुछ भी नहीं। लेकिन यह छोटा सा गोला ही गर्भावधि थैली (Gestational sac) कहलाता है। इसका निर्माण करने वाली कुछ कोशिकाएं आगे चलकर प्लेसेंटा का निर्माण करती हैं। कुछ भ्रूणावरण बनाने में मदद करती हैं और अन्य कोशिकाएं, पलकें, मांसपेशियां और त्वचा के बनने के लिए ज़रूरी होती हैं। 

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  1. अपनी नकारात्मक आदतों को तुरंत बदल दें। यह आपके बच्चे के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। इसलिए ड्रग्स, शराब और दवाओं का सेवन न करें क्योंकि ये बच्चे को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए)
  2. अपने साथी से अपने मन की बातें साझा करें। अपनी चिंताओं और परेशानियों को व्यक्त करें और स्वयं को महसूस होने वाले लक्षणों पर चर्चा करें। उन्हें बताएं कि आप क्या महसूस करती हैं जिससे वो आपकी स्थिति समझकर आपकी मदद और देखभाल करने के लिए हमेशा तत्पर रहें। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में बदलते मूड के कारण और उपाय)
  3. परिवार और दोस्तों से संपर्क में रहें और अच्छे सम्बन्ध बनाये रखें जिससे ज़रूरत पड़ने पर वे आपकी सहायता करने के लिए तैयार रहें। ऐसा करने से सारा भार आपके साथी पर नहीं पड़ता खासकर तब जब यह आपकी पहली प्रेगनेंसी हो क्योंकि यह आपके साथ साथ आपके साथी के लिए भी पहला अनुभव ही होता है। 
  4. अपने प्रसूति विशेषज्ञ के साथ अपोइंटमेंट्स सुनिश्चित करें। (और पढ़ें - गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर से चेकअप)
  5. यदि आपके पास चिकित्सा बीमा (Medical insurance) है तो पता लगाएं कि क्या प्रेगनेंसी का के समय का खर्चा इसमें कवर हो रहा है या नहीं। अगर होता है तो आपके पूरे नौ महीनों की जांचों और डिलीवरी आदि का खर्चा आपकी बीमा कंपनी उठाएगी।
  6. अधिक से अधिक आराम और विश्राम करें।
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गर्भावस्था के प्रारंभिक चरण में और आपको अनेकों नई चीज़ों का अनुभव होता है। मॉर्निंग सिकनेस, दर्द, मूड बदलना आदि अनेकों लक्षण महसूस होते हैं जिनका सामना आपको इस दौरान करना पड़ता है। स्वस्थ आहार आपको इन समस्याओं से निपटने में मदद करता है। इस दौरान अपने आहार पर खास ध्यान दें क्योंकि आपके के साथ साथ बच्चे का भी पोषण इसी से होता है। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी डाइट चार्ट)

  1. आपको अपने आहार में फलों और सब्जियों को शामिल करना चाहिए, खासकर जिनमें फोलिक एसिड प्रचुर मात्रा में होता है। यह आपके बच्चे के तंत्रिका तंत्र का विकास करने में बहुत मदद करता है। पालक, मेथी के पत्तों, मूली, धनिया, गाजर, फूलगोभी, चुकंदर आदि फॉलिक एसिड के समृद्ध स्रोत हैं। फलों में, खरबूजा, एवोकाडो, अमरूद और संतरे में फॉलिक एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
  2. स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थों में, रोटी, चावल और चोकरयुक्त गेहूं की रोटी आदि में यह मौजूद होता है।
  3. प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे चिकन, अंडे आदि को अपने दैनिक आहार में शामिल करें। 
  4. इस दौरान थकावट से बचने के लिए पर्याप्त तरल पदार्थों का सेवन करना ज़रूरी होता है। नारियल पानी और नींबू पानी आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छे पेय पदार्थ हैं इनके अलावा आप घर के बने जूस और मिल्कशेक पे सकती हैं जो आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। (और पढ़ें - गर्भावस्था में थकान)
  5. कैफीनयुक्त पेय पदार्थों और धूम्रपान का सेवन न करें। यह आपके और आपके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।
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