वैरीकोसेल ऐसी समस्या है, जिसमें पुरुषों के अंडकोष की थैली की नसों में सूजन आ जाती है. इससे अंडकोष सूजकर बड़े दिखाई देने लगते हैं. इस समस्या के होने पर शुक्राणु उत्पादन और शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी आ सकती है, जो इनफर्टिलिटी की समस्या खड़ी कर सकते हैं. इस समस्या के लिए आयुर्वेदिक दवाइयों का उपयोग किया जा सकता है. साथ ही इसके आयुर्वेदिक इलाज के लिए हाइड्रोथेरेपी और अरोमा थेरेपी की मदद ले सकते हैं.

आज इस लेख में आप वैरीकोसेल की आयुर्वेदिक दवा और इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे -

  1. वैरीकोसेल के लिए आयुर्वेदिक दवाइयां
  2. सारांश
  3. आयुर्वेदिक इलाज के दौरान परहेज
  4. वैरीकोसेल का आयुर्वेदिक इलाज
  5. वैरीकोसेल में फायदेमंद आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां
वैरीकोसेल की आयुर्वेदिक दवा व इलाज के डॉक्टर

आयुर्वेदिक दवाओं में औषधीय गुणों से भरपूर प्राकृतिक उत्पाद शामिल होते हैं. आइए, विस्तार से जानें वैरीकोसेल की आयुर्वेदिक दवाई के बारे में-

त्रिफला गुग्गुल

त्रिफला गुग्गुल को त्रिफला, काली मिर्च और गुग्गुलु के मिश्रण से बनाया जाता है. इसको भी वैरीकोसेल के लिए फायदेमंद माना जाता है. दरअसल, इसमें मौजूद औषधीय गुण रक्त संचार को बेहतर कर सकते हैं, जिसका सकारात्मक असर वैरीकोसेल पर पड़ सकता है.

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बाहुशाल गुड़

इस आयुर्वेदिक दवाई को बनाने के लिए इन्द्रायण की जड़, गोखरू, निशोथ, कचूर, चित्रक और सोंठ आदि का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह आयुर्वेदिक दवा वैरीकोसेल को ठीक करने में सहायक साबित हो सकती है.

अभायारिष्ट

यह आयुर्वेदिक दवाई कई जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनी है. यह रक्त संचार में सुधार कर वैरीकोसेल की समस्या से राहत दिला सकती है.

चिरुविलवादी कश्यम

काली मिर्च, अदरक और पुनर्नवा के मिश्रण से बनी यह आयुर्वेदिक दवाई भी वैरीकोसेल की समस्या का उपचार कर सकती है. दरअसल, यह दवाई रक्त संचार को बेहतर कर सकती है, जिससे वैरीकोसेल से राहत मिल सकती है.

दस्परसकादी कश्यम

वैरीकोसेल की आयुर्वेदिक दवाओं में दस्परसकादी कश्यम को शामिल कर सकते हैं. इसे बेल, जीरा, पाथा और अदरक के मिश्रण से बनाया जाता है, जो वैरीकोसेल की नसों के इलाज में मदद कर सकती है.

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वैरीकोसेल का समय पर उपचार नहीं कराया गया, तो यह एक गंभीर समस्या साबित हो सकती है. इससे राहत पाने के लिए त्रिफला गुग्गुल और बाहुशाल गुड़ आदि को आयुर्वेदिक दवाई और विच हेजल और गोटू कोला का आयुर्वेदिक हर्ब्स के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा, वैरीकोसेल के आयुर्वेदिक इलाज के लिए अरोमाथेरेपी व हाइड्रोथेरेपी को अपना सकते हैं.

वात को असंतुलित करने में खाद्य पदार्थ भी जिम्मेदार होते हैं. इसलिए, वैरीकोसेल का आयुर्वेदिक इलाज करवाते समय निम्न खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए. जैसे -

  • कड़वे खाद्य पदार्थ - ये वात को असंतुलित कर सकते हैं. इन खाद्य पदार्थों में कुछ करेलाकेल जैसी सब्जियां शामिल हैं.
  • तीखा खाद्य पदार्थ - वात को संतुलित रखने के लिए तीखा और मसालेदार खाद्य पदार्थों से दूर रहना चाहिए. इस सूची में मिर्च, शलजम और मूली शामिल है.
  • एस्ट्रिंजेंट फूड्स - एस्ट्रिंजेंट आहार का सेवन करने पर मुंह सूख सकता है. इन खाद्य पदार्थों में फलियां, अनाज और फल शामिल हो सकते हैं.

आयुर्वेद के मुताबिक प्रत्येक व्यक्ति का शरीर तीन दोषों वात, पित्त व कफ के संतुलन से बना होता है. इनमें से किसी एक के स्तर में असंतुलन होने से शारीरिक बीमारी होती है. इस वजह से आयुर्वेदिक उपचार इन तीनों को संतुलित रखने पर जोर देता है. वैरीकोसेल की समस्या मुख्य रूप से वात के असंतुलन के कारण होती हैं. वात के संतुलन को ठीक करने और वैरीकोसेल से राहत पाने के लिए कुछ आयुर्वेदिक इलाज को अपनाया जाता है. यहां नीचे इन इलाज के बारे में ही बताया गया है-

लीच थेरेपी

वैरीकोसेल के आयुर्वेदिक इलाज में जोंक थेरेपी को शामिल किया जा सकता है. इस थेरेपी की मदद से ​वैरिकाज नसों के आसपास रक्त प्रवाह को बढ़ावा दिया जा सकता है. दरअसल, जब जोंक खून चूस्ते हैं, तो इस दौरान उससे प्राकृतिक ब्लड थिनिंग यौगिक रक्त में मिल जाते हैं. यह प्रभाव रक्त संचार में सुधार करने में सहायक हो सकता है 

अभ्यंग

अभ्यंग एक प्रकार की आयुर्वेदिक मालिश है, जिसमें जड़ी-बूटियों से तैयार गर्म तेल का इस्तेमाल किया जाता है. इससे शरीर की कई छोटी समस्याओं से राहत मिल सकती है, जिनमें वैरीकोसेल भी शामिल है.

हाइड्रोथेरेपी

वैरीकोसेल के इलाज में हाइड्रोथेरेपी को भी अपनाया जा सकता है. इसमें कोल्ड और हॉट वाटर बाथ लिया जाता है, जो रक्त संचार में सुधार करने के काम कर सकता है. इससे वैरीकोसेल के लक्षण कम हो सकते हैं.

अरोमाथेरेपी

वैरीकोसेल के आयुर्वेदिक इलाज में अरोमाथेरेपी को प्रभावी माना जा सकता है. इस थेरेपी के लिए रोजमेरी के तेल से प्रभावित क्षेत्र में धीरे-धीरे मालिश कर सकते हैं. इससे रक्त संचार को उत्तेजित किया जा सकता है, जिससे दर्द से राहत मिल सकती है. इसके अलावा, अरोमाथेरेपी को कैमोमाइल के तेल से भी कर सकते हैं. यह तेल सूजन को कम करने और दर्द से राहत दिलाने में सहायता कर सकता है.

वैरीकोसेल की समस्या को कुछ लाभकारी जड़ी-बूटियों के इस्तेमाल से भी कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है. इन जड़ी-बूटियों के बारे में यहां नीचे बताया गया है-

बिलबेरी

बिलबेरी को वैरीकोसेल की दवाई के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. एक अध्ययन के मुताबिक, बिलबेरी संयोजी ऊतक के सामान्य गठन में सहायता करती है और कोशिकाओं को मजबूत बनाती है. इस तरह वैरीकोसेल की नसों को बढ़ने से रोका जा सकता है.

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गोटू कोला

वैरीकोसेल की आयुर्वेदिक दवाई की सूची में गोटू कोला का नाम भी शामिल है. दरअसल, यह रक्त वाहिकाओं को मजबूत करने और पेरिफेरल सर्कुलेशन में सुधार कर सकता है. इससे वैरीकोसेल से राहत मिल सकती है.

हॉर्स चेस्टनट

वैरीकोसेल की स्थिति में हॉर्स चेस्टनट को इस्तेमाल करने से राहत मिल सकती है. इस संबंध में प्रकाशित शोध में दिया है कि यह वेन्स के सर्कुलेशन में सुधार कर सकता है. इससे वैरीकोसेल के लक्षण कम हो सकते हैं. बस किडनी राेग और लिवर रोग से ग्रस्त लोगों को इसका उपयोग करने से बचना चाहिए.

विच हेजल

वैरीकोसेल की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए विच हेजल एक अच्छी आयुर्वेदिक दवाई का काम कर सकती है. एक रिसर्च की मानें, तो विच हेजल के ऑइन्टमेंट को हफ्ते में दो से तीन बार लगाने से वैरीकोसेल की स्थिति में कुछ हद तक सुधार हो सकता है.

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