बच्चेदानी में रसौली एक प्रकार का कैंसर रहित ट्यूमर है. ये एक प्रकार की गांठ होती है, जो गर्भाशय या उसके आसपास बनना शुरू होती है. ऐसा माना जाता है कि 5 में से 1 महिला को बच्चेदानी में रसौली की समस्या हो सकती है. 50 की उम्र तक आते-आते आधी प्रतिशत महिलाओं आबादी को बच्चेदानी में रसौली की समस्या हो सकती है. इसे यूटेराइन फाइब्रॉयड भी कहा जाता है.

बच्चेदानी में रसौली किस कारण से होती है, इस बारे में अभी सटीक रूप से बताना मुश्किल है. इस समस्या को आयुर्वेदिक दवा व इलाज से ठीक किया जा सकता है. आयुर्वेदिक दवा के रूप में चंद्रप्रभा वटी, कंचनार गुग्गुल, हरिद्र खंड का सेवन किया जा सकता है। आज इस लेख में हम बच्चेदानी में रसौली की आयुर्वेदिक दवा व इलाज के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे -

(और पढ़ें - गर्भाशय की रसौली में डाइट)

  1. बच्चेदानी में गांठ का आयुर्वेदिक इलाज
  2. लाइफस्टाइल में बदलाव
  3. सारांश
बच्चेदानी में गांठ का आयुर्वेदिक उपचार और दवा के डॉक्टर

बच्चेदाने में रसौली को ठीक करने में आयुर्वेदिक दवा व इलाज का अहम महत्व है. इसके लिए चंद्रप्रभा वटी, कंचनार गुग्गुल व हरिद्र खंड जैसी दवाइयों का सेवन करने की सलाह दी जाती है. साथ ही, जंक फूड से परहेज व लाइफस्टाइल में बदलाव करके भी बच्चेदाने में रसौली को ठीक करने में मदद मिल सकती है. आइए, बच्चेदानी में रसौली की आयुर्वेदिक दवा व इलाज के बारे में विस्तार से जानते हैं -

चंद्रप्रभा वटी के फायदे

यह हर्बल फॉर्मूलेशन पुरुष और महिलाओं दोनों के लिए लाभकारी है. चंद्रप्रभा वटी में ड्यूरेटिक गुण होता हैं, जो शरीर में जमा सभी टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद कर सकता है. साथ ही ब्लड शुगर लेवल को भी नियंत्रित करने में मदद कर सकता है. यूरिनरी ट्रैक्ट में सूजन व सामान्य कमजोरी की स्थिति में भी इसे लेने की सलाह दी जाती है.

बच्चेदानी में रसौली और ओवेरियन सिस्ट होने पर इसके सेवन से अच्छे रिजल्ट देखने को मिल सकते हैं. यह मल्टी-विटामिन का प्राकृतिक स्रोत है, जिसके सेवन से महिला को मजबूती मिलती है और उसकी इम्यूनिटी बूस्ट होती है.

(और पढ़ें - बच्चेदानी में रसौली का होम्योपैथिक इलाज)

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कंचनार गुग्गुल के फायदे

टिशू और ग्लैंड में जमा कफ को बाहर निकालें में कंचनार गुग्गुल मदद करता है. यह थायरॉक्सिन के स्राव को संतुलित करके हाइपर व हाइपो दोनों प्रकार के थायरायड में मदद कर सकता है. यह फॉर्मूलेशन रसौली, ग्लैंड, ट्यूमर, लिपोमा, ओवेरियन सिस्ट व कैंसर को विकसित होने से रोकने का काम कर सकता है. इसमें कचनार की छाल, अमलाकी, हरीतकीबिभीतकीअदरक व गुग्गुल के एक्स्ट्रैक्ट होते हैं, जो हेल्दी सेल्स व टिशू को मैनेज करते हैं.

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महिलाओं के स्वास्थ के लिए लाभकारी , एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोंस को कंट्रोल करने , यूट्रस के स्वास्थ को को ठीक रखने , शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल कर सूजन को कम करने में लाभकारी माई उपचार आयुर्वेद द्वारा निर्मित अशोकारिष्ठ का सेवन जरूर करें ।  

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प्रदरान्तक चूर्ण के फायदे

इस हर्बल फॉर्मूलेशन को लोध्रअशोक, उडुम्बर और अर्जुन जैसी जड़ी-बूटियों के मिश्रण से तैयार किया गया है. यह आयुर्वेदिक दवा रसौली के साथ-साथ ल्यूकेरियाप्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोमहार्मोनल असंतुलन, अनियमित ब्लीडिंग, ओवेरियन सिस्ट और डिस्फंक्शनल यूटरिन ब्लीडिंग को ठीक करने में मदद करता है.

(और पढ़ें - बच्चेदानी में गांठ कारण इलाज)

हरिद्र खंड के फायदे

हरिद्र खंड को हल्दीनिशोथ, हरड़, दारुहरिद्रानागरमोथाअजमोद व चित्रक मूल जैसी जड़ी-बूटियों के मिश्रण से तैयार किया जाता है. इसमें हल्दी मुख्य तत्व होता है, जिसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण की वजह से यह शरीर को डिटॉक्स करने में सहायक है. इसके सेवन से बच्चेदानी में मौजूद रसौली धीरे-धीरे खत्म हो सकती है.

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बच्चेदानी में रसौली को ठीक करने के लिए लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव भी लाने की जरूरत है, जिसमें संतुलित डाइट का सेवन और रोजाना एक्सरसाइज करना शामिल है. आइए, बच्चेदानी में रसौली को ठीक करने के लिए लाइफस्टाइल में बदलावों के बारे में क्रमवार तरीके से जानते हैं -

  • संतुलित डाइट का सेवन.
  • रोजाना सुबह कम से कम 30 मिनट के लिए एक्सरसाइज.
  • हर्बल तेल से शरीर की मालिश.
  • सूर्य नमस्कार करना.
  • जंक, पैक किए हुए व ऑयली फूड से परहेज.
  • खाली पेट एलोवेरा जूस का सेवन, इससे मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है.
  • पेट के निचले हिस्से पर गुनगुने कैस्टर ऑयल से 15 मिनट तक हल्के हाथों से मालिश करना.

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बच्चेदानी में रसौली की समस्या किसी भी महिला को हो सकती है. इसे ठीक करने में चंद्रप्रभा वटी, कंचनार गुग्गुल व हरिद्र खंड जैसी आयुर्वेदिक दवाएं मददगार साबित हुए हैं. इसके साथ ही जंक फूड से परहेज व रोजाना एक्सरसाइज करने से भी फायदा हो सकता है. हालांकि, बच्चेदानी में रसौली होने पर आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से सलाह लेने की सलाह दी जाती है, क्योंकि विशेषज्ञ ही सही तरीके से समस्या का निदान व इलाज बता सकते हैं.

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