प्रत्येक वर्ष लाखों लोगों को प्रभावित करने वाला मूत्र मार्ग संक्रमण (यूटीआई) सबसे सामान्य बैक्टीरियल संक्रमणों में से एक है। मूत्र मार्ग में अनेक रोगजनक सूक्ष्मजीवों के पनपने के कारण ये इंफेक्शन होता है और इसका असर उन अंगों के सामान्य कार्य पर पड़ता है जो शरीर से पेशाब को बाहर निकालने में मदद करते हैं जैसे कि मूत्रमार्ग, किडनी, मूत्राशय और मूत्रवाहिनी। यूटीआई की समस्या पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में देखी जाती है।
आयुर्वेद के अनुसार यूटीआई के संकेत और संक्रमण मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में दिक्कत) से काफी मिलते-जुलते हैं। मूत्रकृच्छ के सामान्य लक्षणों में बार-बार पेशाब आना और पेशाब में जलन एवं दर्द महसूस होना शामिल है। यूटीआई के आयुर्वेदिक इलाज में आमलकी (आंवला), गोक्षुरा और कंटकारी (छोटी कटेरी) जैसी जड़ी बूटियों का इस्तेमाल चंद्रप्रभा वटी, एलादि चूर्ण, प्रवाल भस्म और तारकेश्वर रस के यौगिक मिश्रण के साथ किया जाता है।
यूटीआई के इलाज में बस्ती (पेल्विस) हिस्से में अनुवासन बस्ती और ताप बस्ती (गर्म सामग्रियों से पसीना लाने की विधि) का इस्तेमाल किया जाता है। आहार में कुछ बदलाव कर जैसे कि पुराने चावल, तक्र (छाछ), ठंडे पानी का सेवन एवं शराब, अदरक और सरसों से दूर रह कर यूटीआई से राहत पाने में मदद मिल सकती है।
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