आयुर्वेद में दांत में दर्द को दंतशूल कहा गया है। अधिकतर लोग कभी न कभी दांत में दर्द की समस्या से अकसर ग्रस्त होते हैं। विभिन्न प्रकार के दंत रोगों के कारण दांत में दर्द की शिकायत हो सकती है। दंतशूल के उचित उपचार से पहले उसके कारण की पहचान एवं इसे नियंत्रित करने के लिए सही आयुर्वेदिक चिकित्सा का चयन किया जाता है।
आयुर्वेद में दांत के दर्द को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न जड़ी बूटियों, औषधियों और चिकित्साओं का वर्णन किया गया है। दांत में दर्द के आयुर्वेदिक उपचारों में अभ्यंग (तेल मालिश), गण्डूष (तेल से कुल्ला करना), कवल (गरारे) और लेप (प्रभावित हिस्से पर औषधियां लगाना) शामिल है। दांत के दर्द को कम करने के लिए जिन जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है उनमें नंदी पुष्प, चित्रक, लवांग (लौंग), नीम, हिंगु (हींग) और तुलसी शामिल है। दांत के दर्द के लिए आयुर्वेदिक औषधियों में आमतौर पर जातिपत्रादि गुटिका, यवनादि चूर्ण, खदिरादि वटी और दशन संस्कार चूर्ण का इस्तेमाल किया जाता है।
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