गले में दर्द होने का मतलब है ऊपरी श्वसन तंत्र (नाक, नाक के छेद, गला और वॉइस बॉक्स) में खुजली, दर्द और सूखापन होना। ये ज्यादातर कंठनली (Pharynx) और टॉन्सिल्स में सूजन या इन्फेक्शन के कारण होता है। ये समस्या धूम्रपान, प्रदूषण, एसिड रिफ्लक्स और एलर्जिक राइनाइटिस के कारण भी हो सकती है।
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गले में दर्द होने के साथ ज्यादातर बुखार, सिरदर्द, थकान और लिम्फ नोड्स में सूजन की समस्याएं होती हैं। गर्म पानी के गरारे, पर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन और स्टीम आदि से खराब गले के लक्षणों में राहत मिल सकती है। कम गंभीर मामलों में, 7 से 10 दिन में गला ठीक हो जाता है। अगर लक्षण एक हफ्ते में ठीक न हों तो, इन्फेक्शन पैदा करने वाले सूक्ष्म जीवों को बढ़ने से रोकने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं।
एलोपैथी से भिन्न, होम्योपैथिक दवाएं रोगाणुओं से लड़ने के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं, जिससे संक्रमण अपने आप ठीक हो जाता है। व्यक्ति के लक्षणों के आधार पर चुनी गई उचित होम्योपैथिक दवाओं से न केवल गला ठीक होता है, बल्कि दोबारा ये समस्या होने से भी बचाव होता है।
गला खराब होने पर होम्योपैथिक डॉक्टर ऐकोनाइट, अर्जेन्टम नाइट्रिकम, बेलाडोना, ब्रायोनिया, कैप्सिकम, कॉस्टिकम, हेपर सल्फ, काली बाइक्रोमिकम, लैकेसिस, मर्क्यूरियस सोलुबिलिस, रुमेक्स, नक्स वोमिका, नैट्रम म्यूरिएटिकम और एस्कुलस हिप्पोकैस्टेनम जैसी दवाओं का उपयोग करते हैं।