पश्चिमी चिकित्सा में साइनसाइटिस को एलर्जी का नतीजा माना जाता है।

  1. साइनस के लिए योग कैसे है लाभदायक - How to cure sinusitis with yoga in hindi
  2. साइनोसाइटिस ट्रीटमेंट करें अनुलोम - विलोम प्राणायाम से
  3. साइनस की समस्या मे है कपालभाती प्राणायाम फायदेमंद - Kapalbhati pranayama for sinus in hindi
  4. साइनस का रामबाण इलाज है उत्तानासन - Uttanasana Good for Sinusitis in hindi
  5. साइनसाइटिस का उपचार करें कर्नापीड़ासन प्राणायाम से - Karnapidasana yoga pose for Sinusitis in hindi
  6. साइनस रोग का इलाज करने के लिए करें सर्वांगासन - Sarvangasana yoga for sinusitis in hindi
  7. साइनस का रोग मिटाए शवासन से - Savasana ke fayde for sinus in hindi
  8. साइनस के लिए अन्य योग - Other yoga posture for sinus problem in hindi

योग आपको साइनसाइटिस से ही नहीं बल्कि उसकी वजह से होने वाली दिक्कतों से भी राहत प्रदान करता है, जैसे कि माइग्रेन व बंद नाक। इसके अलावा योग नाक के निचले हिस्से की मांसपेशियों को आराम देता है जो साइनसाइटिस की वजह से सूज जाती हैं। साँस लेने के व्यायाम या प्राणायामों से गले की पाइप्स भी सॉफ हो जाती हैं, और खाँसी या कोई गले से संबंधी समस्या से राहत मिलती है।

(और पढ़ें - व्यायाम के फायदे)

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अनुलोम-विलोम प्राणायाम, जो की नाड़ीशोधन प्राणायाम का एक प्रकार है, रोज़ करने से सभी नाड़ी अच्छी तरह से शुद्ध हो जाती हैं। इसके कारण श्वास लेने और छोड़ने में आसानी होती है। यह प्राणायाम ख़ास तौर से सभी नाड़ी से अवरोध को हटाता है और इस वजह से शरीर में ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम हर किसी को करना चाहिए, ख़ास तौर से अगर आप साइनसाइटिस से पीड़ित हैं। अनुलोम-विलोम प्राणायाम 2-3 मिनिट के लिए करें और जैसे अभ्यास बढ़ने लगे, इसे ज़्यादा देर कर सकते हैं। (और पढ़ें: अनुलोम-विलोम करने का तरीका और फायदे)

कपालभाती प्राणायाम से तंत्रिका तंत्र (Nervous System) प्रबल होता है। यह साइनसाइटिस से पीड़ित रोगियों के लिए बहुत उपयोगी है, क्योंकि यह संपूर्ण श्वास प्रणाली को उत्तेजित करता है, और नाक की मासपेशियों को रिलॅक्स करके सूजन कम करता है। कपालभाती प्राणायाम 1-2 मिनिट के लिए करें और जैसे अभ्यास बढ़ने लगे, इसे ज़्यादा देर कर सकते हैं। (और पढ़ें: कपालभाती करने का तरीका और फायदे

उत्तानासन सिर और श्वसन के अंगों में ऊर्जा बढ़ाता है और साइनस ग्लॅंड्स को साफ करने में मदद करता है। इस से आपके साइनस खुल जाते हैं और बंद नाक को खोलने में शाएटा मिलती है। उत्तानासन को 1-2 मिनिट के लिए करें, और जैसे अभ्यास बढ़ने लगे, इसे ज़्यादा देर कर सकते हैं। (और पढ़ें: उत्तानासन करने का तरीका और फायदे)

कर्नापीड़ासन में आपका शरीर औंधी स्तिति में होता है और आप अपनी टाँगों से कानों पर दबाव डालते हैं। इन दोनो ही की वजह से साइनस में से म्यूकस निकल जाता है और ज़ुकाम या साइनसाइटिस में बहुत लाभ होता है। कर्नापीड़ासन को शुरुआत में सिर्फ़ 1-2 मिनिट के लिए ही करें। (और पढ़ें: कर्नापीड़ासन करने का तरीका और फायदे

सर्वांगासन ख़ास तौर से साइनसाइटिस से राहत दिलाने में समर्थ है। इसे आप जितनी देर कर सकते हैं बिना परेशानी के, ज़रूर करें। कोई अचांबे की बात नैन होगी अगर इसे करते करते ही आपको अपने साइनस ग्लॅंड्स खाली होते महसूस हों। इस आसन को भी शुरुआत में 1-2 मिनिट के लिए करें, और फिर अभ्यास बढ़ने पर धीरे धीरे अवधि बढ़ा सकते हैं। (और पढ़ें: सर्वांगासन करने का तरीका और फायदे

शवासन में आपका शरीर सबसे अधिक आराम की स्तिथि में होता है। इस आसन को योगाभ्यास के अंत में ज़रूर। इस आसन को भी 5-10 मिनिट के लिए करें। (और पढ़ें: शवासन करने का तरीका और फायदे

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  1. जल नेती बहुत लाभदायक होती है साइनसाइटिस के लिए। किंतु इसे किसी विशेषगया के निरीक्षण में ही करें।
  2. सूत्र नेती भी बहुत लाभदायक होती है साइनसाइटिस के लिए। किंतु इसे किसी विशेषगया के निरीक्षण में ही करें।
  3. खाने का ख़ास ध्यान रखें (जैसे की तला ना खाएँ)।
  4. इत्र की जैसी तीव्र गंध से बचें।

इन बातों का खास तौर से ध्यान रखें:

  1. याद रहे की योगाभ्यास से आराम निरंतर अभ्यास करने के बाद ही मिलता है और धीरे धीरे मिलता है।
  2. आसन से जोड़ों का दर्द बढे नहीं, इसके लिए अभ्यास के दौरान शरीर को सहारा देने वाली वस्तुओं, तकियों व अन्य उपकरणों की सहायता जैसे ज़रूरी समझें वैसे लें।
  3. अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न दें। अगर दर्द बढ़ जाता है तो तुरंत योगाभ्यास बंद कर दें और चिकित्सक से परामर्श करें।
  4. यह ज़रूर पढ़ें: योग के नियम

ये योगासन साइनस से राहत दिलाने में हैं बड़े काम के सम्बंधित चित्र

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