कोविड-19 संकट से जूझ रहे केरल में एक और संक्रमण ने स्थानीय प्रशासन की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। खबर है कि केरल के कोझिकोड जिले में शिगेलोसिस  (या शिगेला इन्फेक्शन) से एक 11 साल के बच्चे की मौत हो गई है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, जिले में इस बैक्टीरियल संक्रमण के कम से कम 40 संदिग्ध केस सामने आ चुके हैं। इनमें से छह की पुष्टि हो गई है। हालांकि जिले की मेडिकल अधिकारी डॉ. वी जयश्री का कहना है कि कोझिकोड में शिगेलोसिस के मामलों को सीमित कर संकट पर नियंत्रण कर लिया गया है। लेकिन रिपोर्टों की मानें तो कोझिकोड कॉर्पोरेशन के तहत आने वाले कोटमपरंबा इलाके में शिगेला संक्रमण के 15 नए मामलों की पुष्टि के बाद स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी हाई अलर्ट पर हैं। बताया गया है कि इस इलाके में लगे एक विशेष मेडिकल कैंप के दौरान इन 15 मामलों का पता चला है। कैंप में कोई 119 लोगों ने भाग लिया था।

उधर, पिछले हफ्ते शिगेला इन्फेक्शन से मारे गए बच्चे को लेकर खबर है कि उसे डायरिया के लक्षण के कारण कोझिकोड गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (केजीएमसीएच) में भर्ती कराया गया था। इसके बाद ही उस इलाके के आसपास से शिगेलोसिस के 19 संदिग्ध मामले रिपोर्ट हुए, जहां स्थानीय विभाग ने मेडिकल कैंप लगाने का फैसला किया था। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि अभी तक सामने आए संदिग्ध मरीजों में से अधिकतर ने मृतक बच्चे के अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया था और उसके घर में खाना खाया और पानी पिया था। उसके बाद ही उनमें संक्रमण के लक्षण दिखाई दिए थे। अधिकारियों को लगता है कि बैक्टीरिया से दूषित पानी इलाके में शिगेला बीमारी के फैलने का प्रमुख कारण या सोर्स हो सकता है।

खबर के मुताबिक, केजीएमसीएच के सूत्रों ने भी दूषित पानी के सेवन को बीमारी के फैलने का संभावित कारण बताया है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग इस सोर्स को आइडेंटिफाई करने में अभी तक सफल नहीं हुआ है। उधर, डॉ. जयश्री ने बताया कि पहला मामला सामने आने के बाद ही प्रभावित इलाके में बीमारी की रोकथाम का काम तेज कर दिया गया था, जिससे इस बैक्टीरियल इन्फेक्शन को कंट्रोल करने में मदद मिली है। इस बीच, बच्चे के अंतिम संस्कार में शामिल हुए लोगों में से कम से कम छह के शिगेला इन्फेक्शन टेस्ट पॉजिटिव आए हैं और 34 अन्य लोग संदिग्ध के रूप से आइडेंटिफाई किए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि इन सभी ने पीड़ित के घर का दूषित पानी पिया था। इसके अलावा, इलाके में बने पांच कुओं के पानी के सैंपल की जांच की गई है, जिनके परिणाम अभी आना बाकी हैं।

क्या है शिगेलोसिस?
शिगेलोसिस या शिगेला इन्फेक्शन आंत से जुड़ी बीमारी है, जो शिगेला नाम के बैक्टीरिया के कारण होती है। डायरिया (दस्त) इस बीमारी का सबसे प्रमुख लक्षण माना जाता है। बताया जाता है कि शिगेलोसिस में होने वाले दस्त में खून भी आ सकता है। मल में मौजूद शिगेला बैक्टीरिया के जरिये शिगेलोसिस दूसरे लोगों में फैल सकती है। उदाहरण के लिए, अगर बच्चे का डायपर बदलने के बाद या उसका मल साफ करने के बाद मां या कोई अन्य परिजन अपने हाथ धोए बिना ही खाने-पीने की चीजें छू ले तो बीमारी के फैलने का खतरा हो सकता है। मेडिकल विशेषज्ञ बताते हैं कि संक्रमित खाद्य पदार्थ, पेय पदार्थ या संक्रमित/दूषित पानी में तैरने से भी शिगेलोसिस हो सकता है। यह समस्या होने पर पीड़ित में दस्त के अलावा पेडू में दर्द या ऐंठन, बुखार जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं। आमतौर पर ये लक्षण संक्रमण की चपेट में आने के सात दिन के अंदर दिखाई देते हैं। पांच साल से कम उम्र के बच्चे विशेष रूप से शिगेलोसिस का शिकार होते हैं। हालांकि बीमारी वयस्कों को भी प्रभावित कर सकती है।

इलाज की बात करें तो एफडीए के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि शिगेलोसिस से बचाव के लिए कोई लाइसेंस प्राप्त वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। साल 2017 में पीटीआई की एक रिपोर्ट में आईसीएमआर की पूर्व महानिदेशक और विश्व स्वास्थ्य संगठन की मौजूदा प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा था कि वैक्सीन ही शिगेलोसिस के खिलाफ लड़ाई में एक प्रभावी हथियार हो सकती है। हालांकि टीका उपलब्ध नहीं होने के कारण फिलहाल एंटीबायोटिक्स की मदद से इस बीमारी का इलाज किया जाता रहा है। वहीं, कई मामलों में केवल आराम करने और अधिक से अधिक पानी पीने से भी शिगेला इन्फेक्शन दूर हो जाता है। इस दौरान ऐसी दवा लेने से डॉक्टर मना करते हैं, जिससे दस्त तुरंत बंद हो जाए या पाचन क्रिया धीमी पड़ जाए। वे बताते हैं कि इस प्रकार की दवाओं से यह बीमारी और बढ़ सकती है।

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