सोरायसिस का अभी तक कोई इलाज नहीं मिल पाया है, लेकिन इसके लक्षणों को कम या नियंत्रित करने के लिए कई उपचार मौजूद हैं।
जी नहीं, सोरायसिस की वजह से कैंसर नहीं होता है और न ही कैंसर के कारण सोरायसिस हो सकता है, लेकिन सोरायसिस से ग्रस्त व्यक्ति को अपने जीवनकाल में कुछ तरह के कैंसर होने का खतरा अधिक रहता है।
अध्ययनों के अनुसार सूर्य की पराबैंगनी किरणों में इम्यूनोसप्रेसिव (इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया को रोकता है) प्रभाव होता है, जो सोरायसिस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं। सूरज की पराबैंगनी किरणें सोरायसिस से प्रभावित त्वचा की कोशिकाओं के तेज विकास को धीमा कर सकती हैं। हल्के से लेकर कम गंभीर सोरायसिस के मामलों में सूजन में आराम और पपड़ीदार त्वचा की समस्या को कम करने में भी सूरज की किरणें मदद कर सकती हैं।
सोरायसिस में भी आप अपनी उम्र के लोगों जितने ही दिखते हैं, लेकिन इसमें उम्र से संबंधित कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। चूंकि, इस स्थिति में स्किन और सिर की त्वचा पर घाव बन जाते हैं, इसलिए एजिंग के संकेतों को दूर करने वाले प्रोडट्क्स का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक करें।
सोरायसिस से ग्रस्त अधिकतर लोगों को ज्यादातर समय थकावट महसूस होती है। सोरायसिस के सबसे ज्यादा परेशान करने वाले लक्षणों में से एक थकान भी है। कुछ लोगों को सोरायसिस की वजह से लगातार थकान महसूस होती।
शोध से पता चला है कि अधिक वजन या मोटापे के कारण सोरायसिस होने की आशंका बढ़ जाती है। यदि आप मोटे हैं, तो इसकी वजह से आपके लक्षण और भी बदतर हो सकते हैं। हालांकि, सिर्फ वजन ही सोरायसिस का एकमात्र कारण नहीं है। सोरायसिस एवं अधिक वजन के बीच संबंध स्पष्ट नहीं है।
सोरायसिस से ग्रस्त लोगों की इम्यून कोशिकाएं साइटोकिन्स (शरीर में मौजूद एक तरह का प्रोटीन) नामक पदार्थ रिलीज करती हैं, जिसकी वजह से त्वचा की कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं और त्वचा चमकीली पपड़ीदार हो जाती है। ये आपके मस्तिष्क में रसायनों के स्तर को बदल देती हैं, जिससे आपका मूड भी प्रभावित होता है। टीएनएफ-अल्फा नामक एक साइटोकिन मस्तिष्क रसायनों को सेरोटोनिन की तरह प्रभावित कर सकता है, जो कि अवसाद का कारण बनता है।
सिर की त्वचा पर सोरायसिस की वजह से बाल नहीं झड़ते हैं, लेकिन सिर की त्वचा पर बहुत अधिक खरोंच या गहरी चोट लगने पर, पपड़ीदार धब्बे, कोई सख्त ट्रीटमेंट के कारण अस्थायी रूप से आपके बाल झड़ सकते हैं, लेकिन एक अच्छी बात यह है कि त्वचा के साफ (ठीक) होने के बाद बाल सामान्य रूप से फिर से उगने लगते हैं।
सोरायटिक गठिया के लक्षणों में थकान और दर्द जैसी समस्या आपको स्पष्ट रूप से सोचने में थोड़ी मुश्किल पैदा कर सकती है। सोरायटिक गठिया से ग्रस्त लोगों में अवसाद का खतरा अधिक होता है, जिससे आपकी याद्दाश्त, एकाग्रता और संज्ञानात्मक कार्य प्रभावित हो सकते हैं।
सोरायसिस एक गंभीर रोग है, जिसमें त्वचा पर सूजन और जलन जैसी समस्याएं होती हैं, जिसे एक वंशानुगत स्थिति माना जाता है। अगर यह समस्या आपके पूर्वजों में भी रही हो, तो उनके कुछ जीन अनुवांशिक रूप से आप में पास होकर सोरायसिस के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। अनुवांशिक स्थिति के अलावा, कम इम्यून वाले व्यक्ति में भी सोरायसिस के जोखिम अधिक होते हैं।
सोरायसिस के लक्षणों को कम करने के लिए हमने नीचे कुछ तरीके बताए हैं, जो ट्रीटमेंट के अलावा सोरायसिस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।
एक रिसर्च के मुताबिक चिंता सोरायसिस को अधिक बुरा कर देती है, जिसकी वजह से इसके लक्षण अधिक गंभीर हो जाते हैं। सोरायसिस अक्सर चिंता का कारण बन सकती है और इसकी वजह से आपको कई तरह की दिक्कतें भी हो सकती हैं।
सोरायसिस के गंभीर होने पर व्यक्ति की कार्य क्षमता प्रभावित हो सकती है। चूंकि, यह एक त्वचा विकार है इसलिए इससे व्यक्तिगत रूप से सामाजिक संबंधों पर असर पड़ सकता है, लेकिन इसकी वजह से किसी शारीरिक अंग के विकलांग होने की बात अब तक सामने नहीं आई है।
सोरायसिस के कारण त्वचा पर लाल, पपड़ीदार धब्बे बन जाते हैं, जो चकत्ते की तरह होते हैं। यह एक संक्रामक रोग नहीं है। इसलिए सोरायसिस से ग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में आने से यह अन्य लोगों में नहीं फैल सकता।
सोरायसिस किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है, लेकिन सोरायसिस अक्सर 15 साल से 35 साल की उम्र के लोगों को होता है। सोरायसिस से ग्रस्त लगभग 10 से 15 प्रतिशत लोगों में यह 10 साल की उम्र से पहले ही हो जाता है।
सोरायसिस और मानसिक बीमारी अक्सर एक साथ दिखाई देते हैं। कुछ नए अध्ययनों के मुताबिक सोरायसिस एक पुरानी, त्वचा में सूजन पैदा करने वाली बीमारी है, जो अक्सर अवसाद, चिंता, बाइपोलर डिसऑर्डर, सिजोफ्रेनिया और मनोभ्रम के साथ होती है।
सोरायसिस के लक्षणों की वजह से आप अधिक तनाव वाली स्थिति में पहुंच जाते हैं। सोरायसिस आपके मस्तिष्क के रसायनों को प्रभावित करता है, जिसकी वजह से मस्तिष्क में रसायनों के स्तर में भी बदलाव होते हैं, जो आपके मूड को प्रभावित करते हैं।
सोरायसिस से ग्रस्त व्यक्ति में पूरे शरीर को प्रभावित करने वाली बीमारियों जैसे कि डायबिटीज का जोखिम रह सकता है। इसमें फेफड़ों से संबंधित बीमारी भी शामिल है। चूंकि, सोरायसिस दीर्घकालिक और सूजन पैदा करता है, इसलिए इससे शरीर के आतंरिक अंगों को नुकसान पहुंच सकता है।
सोरायसिस एक सामान्य त्वचा की स्थिति है, जिसमें त्वचा पर लालिमा और जलन होती है। अध्ययन के अनुसार कॉफी से सोरायसिस का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, रिसर्च में सोरायसिस के लिए कॉफी से कोई जोखिम या लाभ नहीं मिले हैं।
कुछ विटामिन, जैसे विटामिन ए, डी, ई और के, हमारे के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी हैं। रिसर्च के मुताबिक कुछ ऐसे तथ्य मिले हैं, जो इन विटामिन के सोरायसिस से ग्रस्त व्यक्ति के उपचार में प्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचाने की पुष्टि करते हैं। हालांकि, ये तथ्य कम हैं, लेकिन अध्ययनों के अनुसार सोरायसिस के इलाज में विटामिन लाभदायक हो सकते हैं।