पुरुषों की पौरुष ग्रंथि (अखरोट के आकार की ग्रंथि, जो वीर्य बनाती है) में होने वाले कैंसर को ही प्रोस्टेट कैंसर कहते हैं। यह पुरुषों में होने वाला सबसे आम कैंसर है। भारत की बात करें तो देश के लगभग सभी क्षेत्र इस कैंसर से समान रूप से प्रभावित हैं और देश में कैंसर के मामले लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं। आंकड़ों से पता चला है कि 2020 तक भारत में प्रोस्टेट कैंसर के मामलों की संख्या दोगुनी हो जाएगी। फिलहाल, इस खतरनाक बीमारी से जुड़ा शोध सामने आया है, जिसमें मशरूम और प्रोस्टेट कैंसर के बीच संबंध पर फोकस किया गया है। आइए जानते हैं क्या कहती है रिसर्च।
इससे पहले मशरूम और प्रोस्टेट कैंसर के बीच संबंध को लेकर कोई रिसर्च नहीं की गई थी। इस शोध में जापानी शोधकर्ताओं ने मशरूम के सेवन से प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम करने के बीच संबंध पाया। हालांकि, शोध के निष्कर्ष के आधार पर मशरूम प्रोस्टेट कैंसर से बचाने में काफी कम प्रभावी है, लेकिन फिर भी इस रिसर्च से यह बात तो साफ हो जाती है कि इस दिशा में अभी और स्टडी करने की जरूरत है ताकि मशरूम के प्रोस्टेट कैंसर पर पड़ने वाले प्रभाव और फायदों को स्पष्ट तौर पर जाना जा सके।
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इस प्रकार के कैंसर की उपचार पद्धतियों में लगातार सुधार किए जा रहे हैं, लेकिन फिलहाल न तो इसका कोई खास इलाज मौजूद है और न ही इसे रोकने का कोई तरीका है। हालांकि, अब तक इस विषय पर की गई रिसर्चों से तो यही पता चलता है कि संतुलित आहार से प्रोस्टेट कैंसर के जोखिमों को कम किया जा सकता है।
यदि वैज्ञानिक कुछ ऐसे आहार की पहचान कर लें, जो इसके जोखिम को कम कर सकते हैं, तो यह दुनियाभर में प्रोस्टेट कैंसर के बढ़ते मरीजों की संख्या में कमी ला सकता है। हाल ही में शोधकर्ताओं ने मशरूम और प्रोस्टेट कैंसर के बीच संबंध पर जो रिसर्च की थी उसके परिणाम 'इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कैंसर' में प्रकाशित हुए थे। शोध में इस बात को जानने की कोशिश की गई थी कि मशरूम कैसे प्रोटेस्ट कैंसर के खतरे को कम करने में सहायक है।
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मशरूम ही क्यों?
मशरूम काफी सस्ता है और दुनियाभर में बड़ी मात्रा में इसका इस्तेमाल किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में शुरू किए गए अध्ययन में मशरूम के बीमारियों से लड़ने की क्षमता की पहचान की गई। 2012 में की गई एक समीक्षा में दावा किया गया है कि मशरूम में कैंसर-रोधी, सूजन-रोधी और मधुमेह-रोधी यौगिक होते हैं।
फिलहाल यह शोध लैब टेस्ट और एनिमल मॉडल (जानवरों पर किया गया टेस्ट) पर आधारित था, जिसमें पता चला कि मशरूम की कुछ प्रजातियां ट्यूमर के विकास को धीमा कर सकती हैं। हालिया शोध के लेखकों के अनुसार, मशरूम और प्रोटेस्ट कैंसर के बीच के संबंध को जानने के लिए इंसानों पर अभी तक केवल एक ही ट्रायल किया गया है।
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कैसे की रिसर्च
इस रिसर्च के लिए, शोधकर्ताओं ने मियागी कोहोर्ट स्टडी और ओहसाकी कोहोर्ट स्टडी से डाटा लिया था, जिसमें 40 से 79 वर्ष की आयु के 36,499 जापानी पुरुष शामिल थे। वैज्ञानिकों ने इस दौरान प्रतिभागियों को एक प्रश्नावली दी जिसमें आहार, मेडिकल हिस्ट्री, वो कितनी शारीरिक गतिविधि करते हैं, धूम्रपान की लत, शराब की लत, शिक्षा का स्तर आदि के बारे में पूछा गया था।
इसके बाद शोधकर्ताओं ने प्रत्येक प्रतिभागी को मशरूम के सेवन के आधार पर पांच ग्रुप में बांट दिया:
- जिन्होंने लगभग कभी मशरूम नहीं खाया: 6.9%
- महीने में एक या दो बार सेवन करने वाले: 36.8%
- हर हफ्ते एक या दो बार मशरूम खाने वाले: 36.0%
- हर हफ्ते तीन या चार बार सेवन करने वाले: 15.7%
- लगभग हर दिन मशरूम खाने वाले: 4.6%
फॉलो-अप के दौरान, 36,499 में से प्रोस्टेट कैंसर के 1,204 मामले सामने आए।
तुलना करने पर पाया गया कि जो पुरुष सप्ताह में एक बार से कम मशरूम खाते थे और जो हर हफ्ते एक या दो बार मशरूम खाते थे, उनमें प्रोस्टेट कैंसर का खतरा 8 फीसदी कम था। वहीं जिन पुरुषों ने एक हफ्ते में तीन या इससे ज्यादा बार मशरूम खाया, उनमें 17 फीसदी कम जोखिम पाया गया।