कुछ महिलाओं को तब यह पता नहीं लग पाता है कि वे पीसीओएस से ग्रस्त हैं, जब तक वे गर्भधारण करने की कोशिश नहीं करती। पीसीओएस की ओर आमतौर पर ध्यान नहीं जाता है। लेकिन अगर आप प्राकृतिक रूप से कई सालों से गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हैं, तो ऐसे में आपको डॉक्टर से जांच करवा लेनी चाहिए।
आपके डॉक्टर आपको गर्भधारण करने में मदद करने के लिए एक विशेष योजना तैयार कर सकते हैं। जीवनशैली में कुछ विशेष प्रकार के बदलाव और कुछ दवाएं हैं, जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण होने की संभावनाओं को बढ़ा देती है।
डिम्बोत्सर्जन में मदद वाली दवाएं लें
यदि आपको गर्भवती होने के लिए डिम्बोत्सर्जन की जरूरत है, तो ऐसे में डॉक्टर निम्न दवाएं लिख सकते हैं:
- क्लोमीफीन टेबलेट एक प्रकार की एंटी एस्ट्रोजन दवा होती है, जो डिम्बोत्सर्जन प्रक्रिया को सामान्य बनाने में मदद करती है।
- यदि क्लोमीफीन दवा काम ना कर पाए, तो डॉक्टर डायबिटीज की दवा मेटाफोर्मिन भी दे सकते हैं।
- यदि क्लोमीफीन और मेटाफोर्मिन दोनो ही काम ना कर पाएं, तो डॉक्टर ऐसी दवा दे सकते हैं जिसमें एफएसएच (Follicle-stimulating-hormone) और एलएच (Luteinizing hormone) होता है। इन दवाओं को इंजेक्शन की मदद से दिया जाता है।
- लेट्रोजोल (Letrozol) नाम की एक अन्य दवा भी है, जो डोम्बोत्सर्जन प्रक्रिया में मदद करती है। यह दवा आमतौर पर तब इस्तेमाल की जाती है, जब अन्य दवाएं काम ना कर पाएं।
जीवनशैली के बदलाव करें
कुछ महिलाओं में अधिक वजन बढ़ने से उनके हार्मोन का स्तर प्रभावित हो जाता है। इसलिए यदि आपका वजन अधिक है या आप मोटापे का शिकार हैं, तो वजन कम करने से आपके हार्मोन का स्तर वापस सामान्य हो सकता है। शरीर का 10 प्रतिशत वजन कम करने से भी मासिक धर्म सामान्य समय के अनुसार आने लग सकते हैं। ऐसे आप सफलतापूर्वक गर्भवती हो सकती हैं।
सामान्य तौर पर स्वस्थ आहार लेना, नियमित रूप से व्यायाम करना, धूम्रपान ना करना, तनाव मुक्त रहना और डायबिटीज को कंट्रोल करना आदि की मदद से एक स्वस्थ जीवनशैली अपना कर भी प्रजनन क्षमता में सुधार किया जा सकता है।
याद रखें कि यदि आपके पीरियड्स सामान्य समय के अनुसार नहीं हो रहे हैं या पहले ही आप में पीसीओएस का परीक्षण हो चुका है, तो ऐसे में डॉक्टर की मदद ले लेनी चाहिए। यदि आप गर्भवती होना चाहती हैं, तो किसी अच्छे फर्टीलिटी स्पेशलिस्ट (प्रजनन विशेषज्ञ) से बात करें।
वजन को रखें नियंत्रित
पीसीओडी से ग्रसित महिलाओं का वजन काफी ज्यादा बढ़ता है. अगर आप पीसीओडी से ग्रसित हैं और प्रेग्नेंट होना चाहती हैं, तो सबसे पहले अपना वजन कंट्रोल करने की कोशिश करें. इसके लिए डॉक्टर के सलाहनुसार अपनी बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) की जांच करें. बीएमआई से आप जान सकते हैं कि आपके शरीर का वजन हेल्दी है या नहीं. साथ ही आपके शरीर की संरचना कैसी है. अगर आपके शरीर में एक्स्ट्रा चर्बी है, तो उसे कम करने की कोशिश करें. डॉक्टर से बात करें कि प्रेग्नेंट होने के लिए आपके शरीर का कितना वजन होना जरूरी है.
स्वस्थ आहार लें
अगर आप पीसीओडी के साथ प्रेग्नेंट होना चाहती हैं, तो अपने आहार पर ध्यान दें. अपने खानपान में हेल्दी विकल्प का चुनाव करें. स्वस्थ आहार और व्यायाम से आप काफी हद तक हेल्दी रह सकते हैं.
ओव्यूलेशन अवधि पर दें ध्यान
पीसीओडी से ग्रसित महिलाएं भी ओवुलेट होती हैं. ऐसे में अपनी ओव्यूलेशन अवधि पर ध्यान दें. आप ओव्यूलेशन ट्रैक करने के लिए कैलेंडर या ऐप का उपयोग कर सकते हैं. इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि महीने के किस दिन आपके गर्भवती होने की अधिक संभावना है.
ब्लड शुगर की नियमित रूप से करें जांच
अपने ब्लड शुगर का स्तर जांचते रहें. ताकि आप अपने शरीर का ब्लड शुगर स्तर संतुलित रख सकें. साथ ही अपने डॉक्टर से मिलें. पीसीओडी के दौरान गर्भवती होने पर अपना ब्लड शुगर जरूर चेक करें. ताकि आप खुद को और भविष्य में होने वाले बच्चे को ब्लड शुगर की समस्या से बचा सकें.
(और पढ़ें - पीसीओएस का होम्योपैथिक इलाज)