पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम जिसे आमतौर पर पीसीओएस कहा जाता है हार्मोन असंतुलन से जुड़ी बीमारी है जिसमें बहुत सारे अपरिपक्व फॉलिकल्स (शरीर में स्थित रक्तस्त्रावी कूप या कोशिका) महिला के अंडाशय में एकत्र हो जाते हैं। बीमारी के नाम के बावजूद ऐसा जरूरी नहीं है कि पीसीओएस से पीड़ित हर महिला को वास्तव में सिस्ट की समस्या हो। लेकिन बाकी सारे लक्षण मिलते जुलते ही होते हैं जैसे अनियमित पीरियड्स और गर्भवती होने में कठिनाई।
बड़ी संख्या में पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में समान सह-रुग्णताएं (कोमॉर्बिडिटीज) होती हैं। सेहत से जुड़ी वे समस्याएं जो अक्सर एक साथ होती हैं। इससे पहले हुए कई शोध में यह बात साबित हो चुकी है कि पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में वजन बढ़ना या मोटापे की आशंका, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां देखने को मिलती हैं। लेकिन अब यूरोपियन सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी (ईएससी) के पियर-रिव्यूड जर्नल यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी में प्रकाशित एक नई स्टडी में यह बताया गया है कि पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में हृदय रोग का खतरा भी काफी अधिक होता है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के आंकड़ों की मानें तो दुनियाभर की करीब 116 मिलियन यानी 11 करोड़ 60 लाख महिलाओं (दुनियाभर में महिलाओं की आबादी का 3.4 प्रतिशत) को पीसीओएस की समस्या है। भारत की बात करें तो यहां के आंकड़े तो और भी डराने वाले हैं। भारत में प्रजनन की उम्र वाली करीब 20 से 25 प्रतिशत महिलाओं को पीसीओएस की दिक्कत है। यूरोपियन जर्नल में प्रकाशित हुई ये नई स्टडी कई महिलाओं और उनके परिवार के लिए उपयुक्त साबित हो सकती है।
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सितंबर महीने को दुनियाभर में पीसीओएस जागरुकता माह के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि अगर आपको पीसीओएस की समस्या है तो आप अपने हृदय को हेल्दी रखने के लिए क्या कर सकती हैं।