पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) महिलाओं को होने वाला हार्मोनल, मेटाबॉलिक और प्रजनन से संबंधित विकार है। पीसीओएस के कारण महिलाओं के एक या दोनों अंडाशयों में द्रव युक्त गांठ बनने, मासिक धर्म में अनियमितता और पुरुष हार्मोन का उत्पादन बढ़ने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। देश के एक शहर में किए गए अध्ययन के अनुसार, करीब 22.5 फीसदी युवतियां पीसीओएस की समस्या की शिकार पाई गई। पीसीओएस की शिकार महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन और मेटाबॉलिक समस्याएं सामान्य रूप से देखी जा सकती हैं, जिसका उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पीसीओएस के सामान्य लक्षणों में अनियमित पीरियड्स या मासिक धर्म न आना, तैलीय त्वचा, चेहरे पर मुंहासे, त्वचा का कालापन और बहुत अधिक वजन बढ़ जाने की समस्या हो सकती है।

पीसीओएस किन कारणों से होता है यह स्पष्ट नहीं है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि आनुवंशिक कारक इसकी एक वजह हो सकते हैं। पीसीओएस वाली महिलाओं में एण्ड्रोजन नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो मासिक धर्म के दौरान अंडों को रिलीज करने में हस्तक्षेप कर सकता है। इस वजह से महिलाओं को अतिरिक्त बाल और मुंहासे की समस्या हो जाती है। इसके अलावा रक्त में इंसुलिन के स्तर में वृद्धि के कारण मधुमेह का भी जोखिम बढ़ जाता है। पीसीओएस के निदान के लिए डॉक्टर रोगी की मेडिकल हिस्ट्री जानने के साथ कुछ फिजिकल टेस्ट करते हैं। हार्मोन के स्तर की जांच के लिए खून की जांच और आवश्यकतानुसार पेड़ू का अल्ट्रासाउंड स्कैन किया जा सकता है। महिलाओंं को हो रही समस्याओं जैसे मधुमेह आदि का उपचार करके पीसीओएस को नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता है।

अब तक प्रकाशित कई शोधों से स्पष्ट होता है कि पीसीओएस और उससे जुड़े लक्षणों को ठीक करने में होम्योपैथी काफी उपयोगी उपचार विधि हो सकती है। होम्योपैथिक उपचार जैसे कि पल्सेटिला, लाइकोपोडियम और कैल्केरिया कार्बोनिका आदि की मदद से पीसीओएस के तमाम लक्षणों को नियंत्रित करने के साथ बांझपन जैसी जटिलताओं को काफी हद तक ठीक करने में मदद मिल सकती है।

  1. पीसीओएस की होम्योपैथिक दवाएं - PCOS ki Homeopathic medicines
  2. पीसीओएस की होम्योपैथिक दवा लेते समय जीवन शैली और आहार कैसी होनी चाहिए - PCOS ki Homeopathic treatment ke time lifestyle aur aahar
  3. पीसीओएस में होम्योपैथिक दवाएं और उपचार कितने प्रभावी हैं? - Kya PCOS me homeopathic treatment faydemand hai?
  4. पीसीओएस में होम्योपैथिक दवा के साइड इफेक्ट और जोखिम - PCOS me homeopathic treatment ke side effect kya hote hai?
  5. निष्कर्ष - Takeaway

1. एपिस मेलिफिका

सामान्य नाम : द हनी बी

लक्षण : जिन लोगों को ​निम्न प्रकार की समस्याएं हों, उन्हें इस दवा से लाभ मिल सकता है।

  • गंभीर दर्द के साथ अंडाशय में सूजन, विशेष रूप से दाहिने अंडाशय में
  • अंडाशय में ट्यूमर
  • अनियमित पीरियड्स
  • चक्कर आना और थकान महसूस होना
  • हाथ, पैर और पीठ में दर्द
  • महिलाओं के जननांगों में सूजन
  • पेट में भारीपन और दर्द

विशेषज्ञों की मानें तो खुली हवा में समय बिताने और ठंडे पानी से स्नान करने से इन लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।

2. नैट्रियम म्यूरिएटिकम

सामान्य नाम : क्लोराइड ऑफ सोडियम

लक्षण : यह उपाय मुख्य रूप से सुबह के समय महसूस होने वाली कमजोरी और थकावट को दूर करने के लिए किया जाता है। जिन लोगों को निम्न प्रकार की समस्याएं हैं उन लोगों में यह उपाय काफी फायदेमंद हो सकता है।

  • पीरियड्स में अनियमितता
  • सफेद रंग का स्त्राव होना
  • योनि का सूखापन
  • पेट में दर्द होना, यह सुबह के समय बढ़ जाता है
  • गर्भाशय का आगे की ओर झुकना (अपनी स्थिति से नीचे आ जाना)
  • पीठ दर्द और कुछ ऐसी चीजों की इच्छा होना, जिससे पीठ को सपोर्ट मिलता रहे

बहुत ज्यादा दिमागी मेहनत करने पर यह लक्षण गंभीर हो सकते हैं। खुली हवा में समय ​बिताने, ठंडे पानी से नहाने और दाहिने करवट सोने से इन लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।

3. सीपिया ऑफिसिनैलिस

सामान्य नाम : इंकी जूस ऑफ कटलफिश

लक्षण : गर्भाशय से जुड़े विकारों के इलाज के लिए सीपिया ऑफिसिनैलिस को सबसे बेहतर होम्योपैथिक उपचार माना जाता है। जिन लोगों को निम्न प्रकार की समस्याएं हों उनके इलाज में इस उपचार को प्रभावी माना जाता है।

  • अत्यधिक पसीना और कमजोरी
  • दर्द का पीठ में पहुंच जाना
  • खुजली के साथ योनि से पीले-हरे रंग का स्राव होना
  • मासिक धर्म के दौरान तेज दर्द होना
  • सुबह के वक्त खाली पेट होने पर उल्टी या मतली का अनुभव होना
  • योनि में दर्द
  • गर्भाशय और योनि का आगे की ओर बढ़ जाना

4. कैल्केरिया कार्बोनिका

सामान्य नाम : कार्बोनेट ऑफ लाइम

लक्षण : जिन लोगों को निम्न प्रकार की समस्याएं होती हैं उनमें यह उपचार प्रभावी हो सकता है।

  • पोषण के कारण होने वाली समस्याएं
  • विभिन्न ग्रंथियों में सूजन
  • अधिक काम के कारण मानसिक या शारीरिक समस्याएं
  • पुरानी मोच और जोड़ों की सूजन
  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द और पेट में चर्बी का जमाव
  • मासिक धर्म से पहले सफेद डिस्चार्ज, पेट में दर्द, ठंड लगना और सिरदर्द
  • मासिक धर्म के पहले और बाद में जलन व खुजली
  • जननांग में अत्यधिक पसीना आना
  • पीरियड्स के दौरान दांत दर्द और चक्कर आना
  • अत्यधिक रक्तस्राव के साथ मासिक धर्म समय से पहले आना और लंबे समय तक रहना

2018 में प्रकाशित एक मामले की रिपोर्ट में बताया गया कि कैल्केरिया कार्बोनिका के साथ आहार में बदलाव और नियमित व्यायाम करने से पीसीओएस में काफी लाभ मिलता है। कुछ रोगियों का इन उपायों के साथ करीब डेढ़ साल तक उपचार किया गया, परिणामस्वरूप लोगों ने फिर पीसीओएस की पुनरावृत्ति का अनुभव नहीं किया।

5. लै​क्चेसिस म्यूटस

सामान्य नाम : बुशमास्टर या सुरूकुकू स्नेक पॉइजन

लक्षण : यह उपाय मासिक धर्म की शुरुआत और अंत में विशेष रूप से उपयोगी है। इसके अलावा जिन महिलाओं को निम्न प्रकार की समस्याएं हों यह उनके लिए भी फायदेमंद हो सकती है।

  • स्तनों का नीला हो जाना और सूजन
  • बाएं अंडाशय में दर्द, सूजन और कठोरता
  • बैठने और उठते वक्त पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना
  • चुस्त कपड़ों के दबाव को सहन न कर पाना, विशेष रूप से गर्दन के आसपास
  • पेट में दर्द और संवेदनशीलता का अनुभव होना

6. लाइकोपोडियम क्लैवाटम

सामान्य नाम : क्लब मॉस

लक्षण : उम्रदराज, दाएं अंडाशय में शिकायत और जिन लोगों को निम्न समस्याएं होती हैं, उनमें यह उपचार फायदेमंद हो सकता है।

  • मासिक धर्म में देरी और इसका लंबे समय तक बने रहना
  • योनि से सफेद पदार्थ निकलना और जलन
  • दाएं अंडाशय के हिस्से में दर्द
  • शौच के समय योनि से रक्त स्त्राव होना
  • विकृत रूप से पेट का फूल जाना
  • दस्त
  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द
  • रात के समय बार-बार पेशाब जाना
  • पेट में तरल पदार्थ जमा होने के साथ लिवर के कार्यों में समस्या उत्पन्न होना
  • भूख अधिक लगना

आमतौर पर देखने को मिलता ​है कि रोगियों में शाम 4 से 8 बजे के बीच उपरोक्त समस्याओं का अनुभव अधिक होता है। गर्म भोजन और गर्म पेय पदार्थ से गले और पेट को राहत मिलता है।

7. ब्रयोनिया अल्बा

सामान्य नाम : वाइल्ड हॉप्स

लक्षण : मांसपेशी में होने वाले दर्द को ठीक करने में ब्रयोनिया अल्बा फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा जिन लोगों को निम्न लक्षणों का अनुभव होता है यह उन लोगों में भी काफी प्रभावी है।

  • रक्तस्राव के साथ समय से पहले मासिक धर्म होना
  • पेट से जुड़े लक्षणों के साथ मासिक धर्म में अनियमितता
  • पैरों में दर्द होना जो सामान्य गतिविधियों के कारण गंभीर रूप ले सकता है।
  • सांस लेते समय ओवरी के आसपास लगे टांकों में दर्द
  • दाएं अंडाशय में गंभीर दर्द। यह दर्द जांघों तक पहुंच सकता है
  • मासिक धर्म दौरान स्तनोंं में दर्द
  • स्तन का गर्म और कठोर महसूस होना
  • पीरियड्स से ठीक पहले नाक से लगातार खून आना
  • पीठ में दर्द, मुख्य रूप से मौसम में बदलाव के कारण

8. पल्साटिला प्राटेंसिस

सामान्य नाम : विंड फ्लावर

लक्षण : जिन महिलाओं को निम्न लक्षणों का अनुभव होता हो, उनको विंड फ्लावर से लाभ मिल सकता है।

  • मासिक धर्म न आना या बहुत देर से आना
  • मासिक धर्म के दौरान थक्का युक्त रक्तस्राव होना
  • मासिक धर्म के दौरान ठंड लगना, मतली और दर्द
  • जघन क्षेत्र और नीचे की ओर दबाव महसूस होना
  • पीठ में दर्द होना, विशेष रूप से बैठते समय
  • मासिक धर्म के दौरान और बाद में लूज़ मोशन
  • योनि में जलन के साथ सफेद रंग का क्रीमी तरल निकलना
  • प्यास कम लगना और मुंह सूखना

खुली हवा में जाने पर रोगी को बेहतर महसूस होता है। वसायुक्त भोजन इन लक्षणों को और खराब कर सकते हैं और इसलिए ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करना चाहिए।

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क्या करें :

  • स्वस्थ और संतुलित आहार का सेवन करें और शरीर को आराम दें
  • रोगियों को दर्द के दौरान कुछ चीजों को खाने की तीव्र इच्छा हो सकती है, उन खाद्य पदार्थोंं को खाने से बेहतर महसूस करने में मदद मिलती है
  • होम्योपैथिक दवाओं के सेवन का समय निर्धारित कर लें और उसका पालन करें
  • मासिक धर्म के शुरुआत अथवा समाप्त होते ही लेचशिस का सेवन किया जा सकता है, इस बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें

क्या करें :

  • कई खाद्य और पेय पदार्थ जैसे कि कॉफी, हर्बल-टी और मसालों में औषधीय गुण होते हैं जो होम्योपैथिक दवाओं के प्रभाव को कम कर सकते हैं। होम्योपैथिक उपचार के दौरान इन खाद्य और पेय पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए
  • ऐसी जीवनशैली जो समस्याओं को बढ़ाती हों
  • होम्योपैथिक दवाओं को तेज धूप के सीधे संपर्क में न रखें, इससे दवाओं का प्रभाव निष्क्रिय हो सकता है

होम्योपैथी दवाओं के माध्यम से रोगी के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक, दोनों प्रकार के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करके पीसीओएस का इलाज किया जाता है। होम्योपैथिक उपचार में पीसीओएस के दौरान महसूस होने वाले सभी लक्षणों को ध्यान में रखते हुए दवाइयां दी जाती हैं। इससे बिना किसी दुष्प्रभाव के अन्य पारंपरिक चिकित्सा की तरह ही रोगी को ठीक करने का प्रयास किया जाता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक होम्योपैथिक उपचारों के साथ जीवनशैली और आहार में परिवर्तन कर पीसीओएस के दोबारा होने की आशंका को कम किया जा सकता है। प्रभावित महिलाओं पर किए गए क्लिनिकल अध्ययनोंं में पाया गया कि कैल्केरिया कार्बोनिका, सीपिया, लाइकोपोडियम, फॉस्फोरस, सल्फर, पल्सेटिला, बोरेक्स, ग्रेफाइट, एपिस मेलिफेका, ओफोरिनम, नैट्रियम म्यूरिएटिकम, लैकेशिस, लैक्सिनम, लैरीसिनम, ब्रायोनिया जैसे होम्योपैथिक उपचार पीसीओएस में काफी फायदेमंद हो सकते हैं।

क्या होम्योपैथिक दवाएं मासिक धर्म चक्र को ठीक करने में प्रभावी हैं? इस बारे में किए गए नैदानिक अध्ययन में पाया गया कि कैल्केरिया कार्बोनिका, पल्सेटिला, नैट्रियम म्यूरिएटिकम, लाइकोपोडियम, फास्फोरस, बोरेक्स, ग्रेफिटेस और सीपिया जैसे उपचार, पीसीओएस के कारण होने वाली मासिक धर्म में अनियमितता और मुंहासों में काफी फायदेमंद हो सकता है।

30 महिलाओं के समूह पर किए गए एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि पीसीओएस का प्रबंधन और जीवन की गुणवत्ता को सुधारने में होम्योपैथिक उपचार के काफी प्रभावी परिणाम देखने को मिले।

चिकित्सकों के परामर्श और नियमानुसार यदि होम्योपैथिक दवाओं का सेवन किया जाए तो यह काफी सुरक्षित माना जाता है। अब तक कोई भी ऐसा डेटा उपलब्ध नहीं है, जिसमें इसके दुष्प्रभाव की बात कही गई हो।

हालांकि, यहां ध्यान रखना चाहिए कि हर किसी को हर तरह की दवाइयां सूट नहीं करती हैं साथ ही यदि दवाइयों का सेवन बहुत अधिक मात्रा में कर लिया जाए तो इसके दुष्प्रभाव हो सकते हैं। ऐसे में किसी भी दवा के सेवन से पहले होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श कर लेना अच्छा रहता है।

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पीसीओएस एक हार्मोनल समस्या है जिसमें अंडाशय में तरल पदार्थ युक्त सिस्ट बन जाते हैं। पीसीओएस के कारण मधुमेह और बांझपन जैसी स्थितियों का खतरा बढ़ जाता है। स्वस्थ जीवन शैली और संतुलित आहार के साथ यदि होम्योपैथी उपचारों को प्रयोग में लाया जाता है तो यह पीसीओएस के लिए सुरक्षित और प्रभावी हो सकता है। कई अध्ययनों में पीसीओएस के उपचार में होम्योपैथी के प्रभावी साबित होने की पुष्टि भी हो चुकी है।

हालांकि, ध्यान रहे, होम्योपैथी उपचार तभी फायदेमंद है जब इसे उचित मात्रा में और आवश्यक नियमों के तहत प्रयोग में लाया जाए। इसलिए किसी भी उपचार विधि या दवाइयों को प्रयोग में लाने से पहले अनुभवी होम्योपैथिक डॉक्टर से सलाह अवश्य ले लें।

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