अंडाशय के कैंसर या ओवेरियन कैंसर के एक ज्यादा आक्रामक और दुर्लभ प्रकार (कार्सिनोमा कैंसर) के इलाज के लिए शोधकर्ताओं ने संभावित नया ट्रीटमेंट खोज निकालने का दावा किया है। कनाडा के बीसी कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट और ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि अंडाशय की एक छोटी कोशिका कार्सिनोमा गर्भाशय से जुड़े इस घातक कैंसर की वजह बनता है। कार्सिनोमा हाइपरकैल्केमिया का एक प्रकार है, जिसमें रक्त में कैल्शियम की मात्रा सामान्य से ज्यादा बढ़ जाती है। गर्दन से जुड़े छोटे ग्लैंड्स की अतिसक्रियता या कैंसर होने पर कार्सिनोमा घातक रूप ले सकता है। बताया जाता है कि ओवेरियन कैंसर से जुड़ी इस कंडीशन का अभी तक कोई प्रभावी इलाज नहीं ढूंढा जा सका है। माना जाता है कि 20 साल की उम्र के बाद वाली महिलाओं में कार्सिनोमा कैंसर ज्यादा पाया जाता है।
(और पढ़ें - कई प्रकार के कैंसर को रोकने का काम कर सकता है यह मॉलिक्यूल, वैज्ञानिकों ने अध्ययन के आधार पर किया दावा)
नए अध्ययन में दिखी उम्मीद
क्लिनिकल कैंसर रिसर्च नाम की मेडिकल पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, अध्ययन से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि कोशिकाओं में मौजूद एक मेटाबॉलिक कमजोरी के आधार पर कार्सिनोमा कैंसर को टार्गेट किया जा सकता है। इस बारे में जानकारी देते हुए बीसी कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट की वैज्ञानिक और अध्ययन की लेखिका डॉ. जेनिफर जी कहती हैं, 'इस कमजोरी का पता लगाकर इसका फायदा उठाते हुए इस दुर्लभ बीमारी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति की हालत में बड़ा सुधार किया जा सकता है।'
कार्सिनोमा कैंसर का इलाज ढूंढने में एक बड़ी भूमिका जस्टिन मैटिओली नाम के व्यक्ति की भी रही। 34 वर्षीय जस्टिन वैज्ञानिक नहीं हैं। लेकिन इस अध्ययन के लिए अपनी दिवंगत पत्नी के टिशू सैंपल उन्होंने ही मुहैया कराए थे। पिछले साल कार्सिनोमा कैंसर के चलते उनकी पत्नी की मौत हो गई थी। उसके जाने के बाद जस्टिन ने फैसला किया था कि वे एडवांस कैंसर रिसर्च में मदद के रूप में अपनी पत्नी के ऊतक बतौर सैंपल दान करेंगे ताकि कैंसर से जूझ रहे अन्य पीड़ितों के लिए नए इलाज ढूंढे जा सकें। जस्टिन द्वारा दिए उपलब्ध कराए गए सैंपलों की जांच के आधार पर शोधकर्ताओं ने एक नया सेल मॉडल तैयार किया है, जिसके जरिये ओवेरियन कैंसर से जुड़े कार्सिनोमा कैंसर के इलाज के लिए तैयार किए गए नए ट्रीटमेंट को आजमाया जा सके। इससे उन्हें इस बीमारी की बायोलॉजी को समझने में मदद मिलेगी।
(और पढ़ें - कैंसर का संकेत है बुजुर्गों के खून में ब्लड प्लेटलेट का सामान्य से ज्यादा होना: शोध)
क्या है कमजोरी?
दरअसल, अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया है कि कार्सिनोमा कैंसर की कोशिकाओं में आर्जीनिन के प्रोडक्शन के लिए आवश्यक एंजाइम का स्तर काफी कम होता है। आर्जीनिन एक प्रकार का एमीनो एसिड है जो प्रोटीन बनाने में हमारी कोशिकाओं की मदद करता है। गैर-कैंसरकारी या कहें सामान्य कोशिकाओं के पास यह एंजाइम होता है और इसलिए वे अपने आर्जीनिन को खुद पैदा कर सकती हैं। लेकिन कैंसर ट्यूमर इस एंजाइम के बिना एमीनो एसिड नहीं बना सकते। इसका मतलब है कि उन्हें खुद को बनाए रखने या जीवित रहने के लिए आर्जीनिन-युक्त माहौल चाहिए होता है। इसी पॉइंट पर कार्सिनोमा कैंसर के संभावित नए इलाज की जड़ छिपी है। शोधकर्ताओं ने छोटे मॉलिक्यूल एजेंट का इस्तेमाल करते हुए ट्यूमर में मौजूद आर्जीनिन को खत्म करने का एक तरीका खोज निकाला है। यह तरीका अगर क्लिनिकल ट्रायल में कामयाब रहा तो कैंसर को पनपने के लिए एक तरह से आहार नहीं मिलेगा और वह सामान्य कोशिकाओं पर मामूली प्रभाव डालने के बाद ही खत्म हो जाएगा।
इस तरीके को खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली टीम के प्रमुख और अंडाशय के कैंसर के रिसर्चर डॉ. डेविड हंट्समैन कहते हैं, 'असल में यह एजेंट ट्यूमर में मौजूद आर्जीनिन को सोख लेता है। सेल्स खुद इसे पैदा कर नहीं सकते, जिससे ट्यूमर को आहार नहीं मिलता। इस तरह की कमजोरियां अन्य प्रकार के कैंसरों में भी पाई गई हैं। अब हम उन अन्य शोध संस्थानों के साथ साझेदारी करने पर विचार कर रहे हैं, जो उन मरीजों के इलाज में इस तरह के विकल्पों का आंकलन कर रहे हैं, जिनके कैंसर में इस विशेष एंजाइम की मात्रा की कमी है।'
(और पढ़ें - फास्टिंग-मिमिकिंग डाइट और हार्मोन थेरेपी का कॉम्बिनेशन ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में मददगार: अध्ययन)