अक्सर मोटे लोगों में बीमारियों का जोखिम भी अधिक ही होता है। हृदय रोग से लेकर डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियां मोटे लोगों को आसानी से शिकार बनाती हैं। यही वजह है कि डॉक्टर वजन नियंत्रित करने की सलाह देते हैं, लेकिन मोटापे के साथ बढ़ती बीमारियां अब युवा और बच्चों में बड़े खतरे का संकेत दे रही हैं। मोटापा बच्चों के दिमाग के लिए खतरा बन सकता है। दरअसल हाल ही में की गई एक रिसर्च से सामने आया है कि मोटे किशोरों में ब्रेन डैमेज का जोखिम ज्यादा है।
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क्या कहती है रिसर्च ?
रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ अमेरिका की वार्षिक बैठक में पेश किए गए रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक एमआरआई स्कैन के बाद मोटे किशोरों और युवाओं में ब्रेन डैमेज के लक्षण मिले हैं।
अध्ययन में पता चलता है कि वजन बढ़ने के साथ मोटापा शरीर में एक तरह की सूजन बनाता है, जो नर्वस सिस्टम पर अटैक करता। इसी के कारण युवाओं में ब्रेन डैमेज का खतरा बढ़ा है।
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किशोर अवस्था में मोटापे का खतरा
रिसर्च बताती है कि अमेरिका में युवा और वयस्क दोनों में मोटापा बहुत तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन किशोरों में मोटापा एक बड़ी सार्वजनिक समस्या बनने की पूरी आशंका है।
- सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले 50 सालों में अकेले बच्चे और किशोरों में मोटापा 300 प्रतिशत तक बढ़ चुका है।
- डब्ल्यूएचओ की वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार साल 1990 से 2016 के बीच 5 साल से कम उम्र के मोटे बच्चों की संख्या 26 सालों में 3.2 करोड़ से बढ़कर 4.1 करोड़ हो चुकी है।
कई गंभीर बीमारियों का कारण है मोटापा
कई चिकित्सा स्थितियों के बीच वजन बढ़ने की अन्य कई वजहें हो सकती हैं। जैसे-
ताजा रिसर्च तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) के भीतर सूजन को बढ़ाने में मोटापे की भूमिका के बारे में चिंता पैदा करती है, जिसके चलते मस्तिष्क के कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों को नुकसान होता है।
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मोटापा, किशोरों में ब्रेन डैमेज की वजह
रिसर्च के मुताबिक मोटे किशोरों में दिमाग के क्षेत्र में कम फ्रैक्शनल एनिस्ट्रॉफी (FA) वैल्यू पायी गई, जिसे कॉर्पस कैलोसम कहते हैं।
- यह सफेद पदार्थ का एक बड़ा बंडल है, जो मस्तिष्क के दो हिस्सों को जोड़ता है और मस्तिष्क की सभी गतिविधि को संचालित करने में मदद करता है।
- एक अन्य क्षेत्र मध्य ऑर्बिटोफ्रंटल जाइरस है, जहां कम फ्रैक्शनल एनिसोट्रॉपी नजर आती है। ऑर्बिटोफ्रंटल जाइरस भावनाओं को नियंत्रित करने से जुड़ा है।
रिसर्च क्या बताती है?
एमआरआई अध्ययन के शोधकर्ताओं ने मोटापा से बढ़ती ब्रेन डैमेज की समस्या का पता करने के लिए 59 मोटे किशोरों और 61 सामान्य किशोरों के दिमाग की तुलना की।
- शोधकर्ताओं ने पाया कि लेप्टिन (फैटी टिश्यू इस प्रोटीन को बनाते हैं और यह शरीर में फैट के भंडारण को नियंत्रित करता है) और सूजन के कारण ब्रेन डैमेज था।
- मोटापे की वजह से कुछ लोगों का मस्तिष्क इस हार्मोन का जवाब दे पाने में असर्मथ रहता है। इसलिए, कई बार व्यक्ति अधिक मात्रा में वसा का भंडार होने के बाद भी खाना खाता रहता है। जिससे वजन बढ़ता और मोटापे के साथ ब्रेन डैमेज का जोखिम भी बढ़ जाता है।
मोटापे का जल्दी करें इलाज
एक्सपर्ट कहते हैं कि किशोर अवस्था में बढ़ते मोटापे का इलाज जितना जल्दी हो सके करा लेना चाहिए, ताकि युवाओं में शारीरिक और मानसिक हानि को रोका जा सके।
कैलिफोर्निया के स्टैनफोर्ड चिल्ड्रन्स हेल्थ्स वेट क्लीनिक में एसोसिऐट प्रोफेसर एमडी सोफिया येन का कहना है कि यह आत्मविश्वास को नुकसान पहुंचाता है और डिप्रेशन का भी कारण बनता है। इसके चलते लड़कों और लड़कियों में अनियमित स्तन वृद्धि (ब्रेस्ट एनलार्जमेंट) दिखती है।
- इसके अलावा लड़कियों में यह पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, अनियमित मासिकधर्म, बालों के विकास में समस्या और मुंहासों का कारण बन सकता है।
- मोटापे के चलते जोड़ों में दर्द, हृदय रोग, श्वसन संबंधी रोग, अनिद्रा, लीवर की समस्या और डायबिटीज की परेशानी बढ़ती है।
इलाज और सुझाव
डॉक्टर येन के मुताबिक 90 प्रतिशत मोटापा हम अपनी डाइट से और 10 प्रतिशत वजन हम रोजाना के व्यायाम के जरिए घटा सकते हैं।
येन सुझाव देती हैं कि आपके हर खाने की प्लेट में 50 प्रतिशत फल और सब्जी होनी चाहिए, जिसमें कम से कम 25 प्रतिशत प्रोटीन हो और 25 प्रतिशत से अधिक कार्बोहाइड्रेट नहीं होना चाहिए। इस तरह हम अपने मोटापे को नियंत्रित कर गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं।