माइग्रेन एक प्रकार का सिरदर्द होता है, जो एक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन है. माइग्रेन का दर्द सिर के एक हिस्से में उठता है. यह दर्द सामान्य या गंभीर हो सकता है. वहीं, कुछ लोगों में माइग्रेन का दर्द लंबे समय तक चलता है और बार-बार उठता है. माइग्रेन का दर्द व्यक्ति की पूरी दिनचर्या तक को प्रभावित कर देता है. ऐसे में लोग माइग्रेन के दर्द को कम करने के लिए अक्सर दर्द निवारक दवाइयां लेनी शुरू कर देते हैं, जबकि मेलाटोनिन इसका अच्छा विकल्प हो सकता है.

आज इस लेख में आप माइग्रेन और मेलाटोनिन के बीच संबंध के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. माइग्रेन क्या है?
  2. मेलाटोनिन क्या है?
  3. क्या मेलाटोनिन से माइग्रेन ठीक हो सकता है?
  4. मेलाटोनिन माइग्रेन को कैसे ठीक करता है?
  5. माइग्रेन को ठीक करने के लिए मेलाटोनिन कब लें?
  6. माइग्रेन में मेलाटोनिन की डोज कितनी लें?
  7. सारांश
  8. क्या मेलाटोनिन से माइग्रेन ठीक हो सकता है? के डॉक्टर

अकसर लोग माइग्रेन को सिर्फ सिरदर्द का एक प्रकार मानते हैं, जबकि यह उससे कई गुना गंभीर हो सकता है. माइग्रेन का दर्द कुछ मिनट, घंटों या दिनों तक रह सकता है. माइग्रेन होने पर सिर के एक हिस्से में गंभीर धड़कता हुआ दर्द हो सकता है. इसके अलावा, देखने में गड़बड़ी, जी मिचलाना, उल्टी, चक्कर आना व हाथों या चेहरे में झुनझुनी आदि माइग्रेन के लक्षण माने जाते हैं. कुछ लोगों में प्रकाश, ध्वनि या गंध के प्रति संवेदनशील होना भी माइग्रेन हो सकता है.

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मेलाटोनिन एक हार्मोन है, जो मस्तिष्क में स्थित पीनियल ग्रंथि द्वारा निर्मित होता है. यह हार्मोन रात को अच्छी नींद के लिए जरूरी होता है. ऐसा माना जाता है कि मेलाटोनिन सोने में मदद कर सकता है. दरअसल, दिन के समय शरीर मेलाटोनिन का उत्पादन कम करता है. वहीं, शाम में मेलाटोनिन का अधिक उत्पादन होना शुरू हो जाता है. रात में मेलाटोनिन का स्तर काफी बढ़ जाती है, जिसकी वजह से नींद आने लगती है.  

नेशनल स्लीप फाउंडेशन के अनुसार, रक्त में मेलाटोनिन का स्तर लगभग 12 घंटे तक बढ़ता है. यह आमतौर पर रात 9 बजे के आसपास तेजी से बढ़ता है. फिर सुबह 9 बजे के बाद मेलाटोनिन का स्तर कम होने लगता है.

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हां, कई अध्ययनों में पता चला है कि मेलाटोनिन का कम स्तर माइग्रेन का कारण बन सकता है. ऐसे में मेलाटोनिन की खुराक (मेलाटोनिन सप्लीमेंट) लेने से माइग्रेन का इलाज किया जा सकता है. जर्नल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि मेलाटोनिन डोज लेने से माइग्रेन के लक्षणों को कम किया जा सकता है. आपको बता दें कि मेलाटोनिन सप्लीमेंट के साथ ही मेलाटोनिन थेरेपी भी माइग्रेन की गंभीरता को कम कर सकती है. मेलाटोनिन थेरेपी लेने से माइग्रेन की आवृत्ति को कम किया जा सकता है.

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मस्तिष्क के तंत्रिका तंत्र में परिवर्तन और रसायनों में असंतुलन के कारण माइग्रेन होता है. इसके अलावा, अधिक नींद लेना या पर्याप्त नींद न लेना जैसी स्थितियां भी कुछ लोगों में माइग्रेन को ट्रिगर कर सकती हैं.

एक अध्ययन में पाया गया कि क्रोनिक माइग्रेन वाले रोगियों के पेशाब में मेलाटोनिन का स्तर कम था. ऐसे में माइग्रेन और मेलाटोनिन को आपस में जोड़ा गया है. इस रिसर्च में पता चला कि मेलाटोनिन के जरिए माइग्रेन को रोकने या उसके इलाज में मदद मिल सकती है.

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कई अध्ययनों में साबित हो चुका है कि मेलाटोनिन के जरिए माइग्रेन का इलाज किया जा सकता है. माइग्रेन का इलाज करने के लिए मेलाटोनिन को सोने से एक घंटे पहले लिया जा सकता है. इससे मेलाटोनिन हार्मोन के स्तर को बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिससे माइग्रेन के लक्षणों में भी कमी आएगी. गंभीर माइग्रेन का इलाज करने के लिए मेलाटोनिन को रात को सोते समय 8 हफ्ते तक लिया जा सकता है.

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मेलाटोनिन और माइग्रेन के बीच के संबंध पर किए गए अध्ययन वयस्कों पर हुए हैं. इसलिए, यह कहना मुश्किल है कि मेलाटोनिन बुजुर्गों और बच्चों में भी माइग्रेन का इलाज कर सकता है. इस संबंध में अभी अधिक शोध की जरूरत है. एक वयस्क माइग्रेन का इलाज करने के लिए रोज रात को सोते समय 3 मिलीग्राम मेलाटोनिन ले सकता है, लेकिन लंबे समय तक मेलाटोनिन लेने से बचना चाहिए.

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माइग्रेन को कई चीजें ट्रिगर कर सकती हैं. माइग्रेन का इलाज करने के लिए मेलाटोनिन लेना फायदेमंद हो सकता है. वैसे तो मेलाटोनिन का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है, लेकिन फिर भी माइग्रेन का इलाज करने के लिए मेलाटोनिन को डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए. माइग्रेन ठीक करने के लिए आप डॉक्टर की सलाह पर मेलाटोनिन थेरेपी भी ले सकते हैं.

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