विश्व में 7 अरब से भी अधिक लोग हैं, जिनमें से हर कोई कभी न कभी तो सिरदर्द का शिकार जरूर हुआ ही होता है। दुनियाभर की आधी युवा आबादी को 1 वर्ष में एक बार तो सिरदर्द होता ही है। हालांकि, यह कोई गंभीर या अधिक ध्यान देने वाली बात नहीं है, क्योंकि यह बेहद सामान्य स्थिति है जो कभी भी किसी को भी सिरदर्द हो सकता है।
अगर आपको यह सिरदर्द बार-बार होने लगे तो यह चिंता का विषय हो सकता है। सभी प्रकार के सिरदर्द एक जैसे नहीं होते हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में यह माइग्रेन के लक्षण होते हैं। गोल्डन बर्डन ऑफ डिजीज के 2010 में किए गए सर्वे के अनुसार माइग्रेन विकलांगता का छठा सबसे बड़ा कारण है।
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माइग्रेन क्या है?
माइग्रेन में मस्तिष्क का एक तरफ का हिस्सा प्रभावित होता है। इस स्थिति में होने वाला दर्द बेहद दुर्लभ हो सकता है और तीन दिन में 4 घंटे तक रह सकता है। अधिकतर मामलों में यदि कोई मरीज हिलता या ध्वनि और अधिक प्रकाश के संपर्क में आता है तो दर्द बढ़ जाता है। माइग्रेन के दर्द के सबसे उच्च चरण पर व्यक्ति को मितली जैसा महसूस हो सकता है और कुछ मामलों में वह उल्टी भी कर सकता है।
लोकप्रिय धारणा के विपरीत केवल 20 प्रतिशत माइग्रेन के मरीज किसी झोंके का अनुभव करते हैं। इस स्थिति में उन्हें प्रकाशित रोशनी या फ्लैश लाइट जैसे दृश्य के लक्षण दिखाई देते हैं। इसके अलावा कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें किसी के छूने या खींचने का भी अहसास होता है। बार-बार ऐसे दृश्य आने को ही औरा कहा जाता है।
यदि यह रोग बढ़ता चला जाता है तो इसके दर्द को कम करने के लिए आप कुछ दवाएं ले सकते हैं जैसे कि सुमाट्रीपटान।
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स्टडी का क्या है कहना?
अध्ययन के अनुसार माइग्रेन के करीब आधे मरीजों में सिरदर्द का कारण निद्रा रोग पाया गया। अमेरिका के बेथ इजरैल डिकॉनेस मेडिकल सेंटर की शोधकर्ता सुजैन बर्टिश ने बताया कि नींद बहुआयामी होती है और जब हमने नींद जैसे पहलू पर नजर डाली तो पाया कि आप बिस्तर पर सोने की कोशिश में जितना समय जागते हैं वह माइग्रेन से संबंधित होता है। हालांकि, उसी दिन इसका प्रभाव दिखाई नहीं देता है, लेकिन अगले दिन असर नजर आने लगता है।
परिणाम के लिए बर्टिश और उनके साथियों ने एपिसोडिक माइग्रेन से ग्रस्त 98 वयस्कों पर एक अध्ययन किया, जिन्हें कम से कम दो बार सिरदर्द होता था, लेकिन महीने के 15 दिन से कम समय के लिए। प्रतिभागियों ने 6 हफ्तों तक दिन में दो बार इलेक्ट्रॉनिक डाइरी में अपने सोने, सिरदर्द और स्वास्थ्य आदतों के बारे में बताया।
टीम ने माइग्रेन को बढ़ावा देने वाले अन्य कारकों पर भी नजर रखी, जिसमें रोजाना कैफीन का सेवन, एल्कोहल का सेवन, शारीरिक गतिविधियां, स्ट्रेस आदि शामिल थे। 6 हफ्तों के इस परीक्षण में प्रतिभागियों में 870 सिरदर्द के मामले दर्ज किए गए।
हालांकि, शोधकर्ताओं को कैफीन के सेवन और माइग्रेन के बढ़ते जोखिम के बीच कोई संबंध देखने को नहीं मिला। एक या दो कैफीन के पेय पदार्थों से उसी दिन सिरदर्द के कोई लक्षण देखने को नहीं मिले और न ही उसके अगले दिन। इसके अलावा जो व्यक्ति कैफीन का सेवन नहीं करते थे उनमें एक या 2 कैफीन के पेय पदार्थों के सेवन की वजह से सिरदर्द के लक्षण पाए गए।
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